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अपहृत याजदान की हत्या के मामले ने पकड़ा तूल

लोग लगा रहे तरह-तरह के कयासमढ़ौरा : चेहरे पर मासूमियत एवं करतूत ऐसी कि शर्म को भी शर्म आ जाये. किशोरावस्था में ही ऐसी करतूत, जिससे मानवता शर्मसार हो जाये. याजदान हत्याकांड के मास्टरमाइंड बबलू कुमार को देख कर ऐसा नहीं लगता है कि इसने अपने दोस्त के साथ मिल कर सात वर्षीय याजदान की […]

लोग लगा रहे तरह-तरह के कयास
मढ़ौरा : चेहरे पर मासूमियत एवं करतूत ऐसी कि शर्म को भी शर्म आ जाये. किशोरावस्था में ही ऐसी करतूत, जिससे मानवता शर्मसार हो जाये. याजदान हत्याकांड के मास्टरमाइंड बबलू कुमार को देख कर ऐसा नहीं लगता है कि इसने अपने दोस्त के साथ मिल कर सात वर्षीय याजदान की हत्या बेदर्दी से कर दी.

बबलू ने मीडियावालों के समक्ष बताया कि वह और उसका दोस्त विकास कुमार ब्लॉक कॉलोनी में एक खाली पड़े मकान में याजदान को ले गये. इसके बाद दोपहर में गला दबा कर उसकी हत्या कर दी. फिर बबलू चोकर का बोरा और तार लाया तथा शव उसमें बंद कर उसी मकान में छोड़ दिया.

उसके बाद आम लोग तथा प्रशासन के साथ मिल कर वे दोनों याजदान को खोजने लगे. इसी क्रम में 3.30 बजे उसने बिसमील्लाह अंसारी को मोबाइल पर फोन कर फिरौती के रूप में सात लाख रुपये मांगे. फिर नौ बजे रात को मोटरसाइकिल पर लाद कर शव को पॉलिटेक्निक के पीछे शौचालय की टंकी में फेंक दिया.

उसके बाद उच्च विद्यालय, शिल्हौड़ी के पास से फोन कर सात लाख रुपये में प्रत्येक दिन एक लाख रुपये की मांग की. उसके बाद मोबाइल बंद कर दिया गया. अप्राकृतिक यौनाचार को घटना को भी उसने स्वीकार किया तथा पहचाने जाने की डर से उसने हत्या करने की बात कही.

इस संबंध में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ इसके बारे में कहा जा सकता है. पुलिस ने शव को छुपाने में उपयोग में लाये गये तार को बरामद कर लिया है. पुलिस को मोबाइल एवं शव के पास से एक चुनौटी प्राप्त हुआ है.

पुलिस मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. याजदान हत्याकांड के मास्टरमाइंड बबलू कुमार तथा विकास कुमार इतने शातिर हैं कि पेशेवर अपराधी भी इनके सामने फीके पड़ जाये. हत्या के चार दिन बीत जाने पर भी पुलिस इनसे हत्या का कारण एवं शव कहा है नहीं मालूम कर सकी. बबलू ने तो पहले मानसिक रोगी की तरह व्यवहार करके पुलिस को उलझाये रखा.

पुलिस सूत्र के अनुसार पहले याजदान को गोपालगंज में रखने की बात कह कर पुलिस के साथ गोपालगंज में यहां-वहां दौड़ाने लगा. प्रत्येक घंटे बाद वह अपने पहलेवाले बयान से मुकर जाता था. वह हर बार किसी नये को इस कांड में होने की बात करता जब पुलिस उसको उस व्यक्ति के सामने लाती, तो वह दूसरे व्यक्ति का नाम बता देता. इस प्रकार उसको पुलिस मनोरोगी मान कर छोड़नेवाली थी, परंतु उसके परिवारवालों को उसके सामने लाया गया.

परिवारवालों की बेइज्जत न हो सके इस वजह से उसने हत्या में संलिप्त रहने की बात कही. पुलिस अभी तक घटना में उपयोग की गयी बाइक को बरामद नहीं कर पायी है.

जान-बूझ कर की हत्या!

यह यक्ष प्रश्न आम लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है. यदि फिरौती के लिए याजदान को गायब किया गया था, तो दोपहर में ही उसकी हत्या क्यों कर दी गयी. इतनी बड़ी रकम इन दोनों अपराधियों से नहीं पच सकती. इतनी रकम लेकर दोनों क्या करते. इस प्रश्न पर ये दोनों चुप हो जाते हैं.

इसके बाद ये स्वीकार करते हैं कि पुलिस को गुमराह करने के लिए फिरौती की बात कही. फिर प्रश्न उठता है कि इन दोनों की बिसमिल्लाह अंसारी से ऐसी क्या दुश्मनी थी कि इन दोनों ने उनके बेटे की हत्या कर दी. ये पुलिस के लिए जांच का विषय है.

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