छपरा (सदर) : नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, गंडामन में 23 छात्रों की मौत व रसोइया समेत 25 के पीड़ित होने के मामले में आरोपित प्रधानाध्यापिका मीना देवी मंडल कारा, छपरा में दूसरे दिन सामान्य मन: स्थिति की ओर लौटने की स्थिति में दिखीं. मंडल कारा में संध्या पांच बजे पहुंचने के बाद प्रधानाध्यापिका के काफी हताश रहने को लेकर कारा प्रशासन सजग दिखा.
जेल मैनुअल के अनुसार, शाम को आनेवाले बंदियों को गुड़-चूड़ा ही दिया जाता है, परंतु काराधीक्षक द्वारा पहले जेल के चिकित्सक से जहां प्रधानाध्यापिका की चिकित्सकीय जांच करायी गयी, वहीं जेल अस्पताल से ही ताजी रोटी-सब्जी दी गयी. हालांकि स्पष्ट तनाव के कारण खाने में रुचि नहीं लेने के बावजूद इच्छा के अनुसार खाया.
* महिला बंदियों से रखा गया अलग
प्रारंभिक जांच में स्कूल में कथित लापरवाही की वजह से हुई घटना के मामले में गिरफ्तार प्रधानाध्यापिका को काराधीक्षक द्वारा अलग एक कमरे में रखा गया है.
साथ ही उनके साथ एक महिला आरक्षी को तैनात किया गया है. इसके पीछे कारा प्रशासन का तर्क है कि उनके विरुद्ध अन्य महिला बंदियों के द्वारा ताना कसे जाने या अन्य किसी कारगुजारी को अंजाम दिये जाने से बचने के उद्देश्य से ही ऐसा किया गया है. यही नहीं, कारा प्रशासन द्वारा सिविल सजर्न से संपर्क कर प्रतिदिन एक महिला चिकित्सक की ड्यूटी पूरे दिन में एक बार आकर स्वास्थ्य जांच करने के लिए लगाने का आग्रह किया गया है. वहीं, महिला पुलिसकर्मी को प्रधानाध्यापिका से बात करने व उन्हें सामान्य स्थिति में लाने का प्रयास भी कारा प्रशासन कर रहा है.
* दूसरे दिन कमा तनाव
काराधीक्षक एसडी मित्र दूसरे दिन भी प्रधानाध्यापिका से जाकर मिले व उनकी मन: स्थिति को जाना. बार-बार प्रधानाध्यापिका एक ही बात कहती हैं कि उन्होंने सोचा भी नहीं था कि शिक्षक बनने के बाद अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही के आरोप को लेकर उनकी यह स्थिति होगी.
* मीना देवी की सुरक्षा व्यवस्था से कुख्यात भी शरमाये!
छपरा (सदर) : वैसे तो सारण जिले में समय-समय पर कुख्यात अपराधियों, दबंग राजनेताओं या नक्सलियों की पेशी के दौरान जिला व पुलिस प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था का नजारा कोर्ट परिसर में उपस्थित लोगों को देखने को मिलता है.
परंतु, गुरुवार को विषाक्त भोजन खाने से हुई 23 बच्चों की मौत व रसोइया समेत 25 के पीड़ित होने के मामले में आरोपित प्रधानाध्यापिका मीना देवी की कोर्ट में पेशी के दौरान सुरक्षा की जो व्यवस्था पुलिस प्रशासन ने की थी, उसे लेकर हर कोई आश्चर्य व्यक्त कर रहा था. हालांकि कुछ प्रशासनिक व पुलिस पदाधिकारी इतनी बड़ी संख्या में पदाधिकारियों जवानों व सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में यह कहते सुने गये कि प्रशासन को यह भय था कि पेशी के दौरान मीना के साथ कोई अप्रिय घटना नहीं हो.
कोर्ट में उपस्थित लोगों का कहना था कि अब तक किसी भी वर्ग, किसी भी कुख्यात या नक्सली की गिरफ्तारी के बाद पेशी को ले ऐसी सुरक्षा नहीं दिखी. पेशी के दौरान उपस्थित लोगों का कहना था कि पेशे से एक शिक्षिका मीना कुमारी, जिस पर पूरे जीवन में कभी एक सनहा भी दर्ज नहीं हुआ, वहीं प्रथम जांच में कथित लापरवाही के कारण विषाक्त भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत व कम-से-कम 25 के पीड़ित होने के आरोपित की गिरफ्तारी और पेशी के दौरान इतनी बड़ी संख्या में पदाधिकारियों व पुलिस कर्मियों की तैनाती, दर्जन भर गाड़ियों के काफिले के बीच आधा दर्जन वरीय पदाधिकारियों की उपस्थिति सहसा लोगों को सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल के लिए मजबूर कर रही थी.
10 दिन पूर्व विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के काम में मशगूल रहनेवाली प्रधानाध्यापिका के लिए 16 जुलाई का मंगल अमंगल साबित हुआ तथा उन्हें पूरे समाज के बीच न्यायालय में पेशी के बाद जेल की सलाखों में पहुंचा दिया है. मंडल कारा में बंद कई कुख्यात अपराधी, जिन्होंने अपराध की दुनिया को ही अपनी दुनिया बना ली है, वे भी मीना की सुरक्षा व्यवस्था से अपनी सुरक्षा हैसियत की तुलना करते हुए कोसते हैं.