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सतर्क होकर खाएं आम

* कारबाइड की वजह से हानिकारक बन रहा आमछपरा (नगर) : यदि आप आम के शौकीन है और रोजाना इसका सेवन करते हैं, तो थोड़ा सतर्क हो जाएं. इन दिनों बाजारों में आम के नाम पर जहर बेचा जा रहा है. जिले के विभिन्न बाजारों में दुकानों, ठेले व टोकरियों में बिक रहे पीले-पीले व […]

* कारबाइड की वजह से हानिकारक बन रहा आम
छपरा (नगर) : यदि आप आम के शौकीन है और रोजाना इसका सेवन करते हैं, तो थोड़ा सतर्क हो जाएं. इन दिनों बाजारों में आम के नाम पर जहर बेचा जा रहा है. जिले के विभिन्न बाजारों में दुकानों, ठेले व टोकरियों में बिक रहे पीले-पीले व हरे-हरे आम देखने में तो बड़े लुभावने लग रहें हैं. लेकिन, ये सभी कारबाइड जैसे हानिकारक केमिकल से भरे रहते हैं.

व्यवसायियों द्वारा धड़ल्ले से आम को पकाने में केमिकल का उपयोग किया जा रहा है. इसका दुरगामी प्रभाव आम का सेवन करनेवालों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. चिकित्सकों की मानें तो ऐसे हानिकारक केमिकल का सेवन फुड प्वाइंजनिंग, डायरिया, कॉलरा जैसे गंभीर बीमारियों को जन्म देते हैं.

* मांग को ले केमिकल का प्रयोग
ग्राहकों की मांग को देखते हुए व्यवसायी वर्ग ज्यादा मुनाफा की चाह में आम के नैसर्गिक रूप से पकने का इंतजार नहीं करते और आम को तोड़ कर बाजारों में पहुंचा देते है. व्यवसायी इन कच्चे आमों को बाजार का मांग के अनुसार कारबाइड जैसे केमिकल से पका कर खुदरा बाजार में उतार देते हैं.

* मालदह की मांग सबसे ज्यादा
वैसे तो बाजार में लोकल आम के साथ ही बाहर से आ रहे आम के आधा दर्जन से ज्यादा वेराइटी उपलब्ध है. मगर इनमें गुद्देदार रसीले मालदह आम की मांग सबसे ज्यादा है. 40 से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खुदरा बाजार में ग्राहकों द्वारा जम कर उसकी खरीदारी की जा रही है. मालदह के साथ ही लंगड़ा, बिजू, कृष्ण भोग, सफेद जर्दा, गुलाब खास आदि की भी ग्राहकों द्वारा खूब खरीदारी की जा रही है.

* खरीदारी में बरतें सावधानी
चिकित्सकों की मानें तो आज कल बाजारों में मिल रहे अधिकांश फल व सब्जियों के उत्पादन व संरक्षण में हानिकारक केमिकल का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है. सदर अस्पताल के डीएस डॉ शंभूनाथ सिंह की मानें तो केमिकल युक्त आम समेत अन्य फल व सब्जियों का सेवन फूड प्वाइंजनिंग, कॉलरा, स्किन डिजिज के साथ ही पेट, लिवर व किडनी संबंधी बिमारियों को जन्म देते हैं.

उन्होंने कहा कि इससे बचाव का एक मात्र उपाय यही है कि किसान कम-से-कम कीटनाशक व रसायनों का प्रयोग करें. वहीं खाने से पहले लोगों को कम-से-कम तीन बार फलों को धोना चाहिए.

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