छपरा(कोर्ट) : 16 वर्ष पूर्व मंडलकारा में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे एक कैदी के शरीर पर केमिकल डालकर आग लगा देने के मामले में पीड़ित ने कोर्ट में अपनी गवाही दर्ज करायी. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दशम बीरेंद्र कुमार मिश्रा के न्यायालय में चल रहे इस मामले के सत्रवाद 210/17 के सूचक व पीड़ित मोहन बहेलिया को अभियोजन ने साक्ष्य के लिए कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया. जहां सूचक ने अपनी गवाही दर्ज करवायी. विदित हो कि मंडलकारा में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे मोहन ने 17 अगस्त, 2002 को सीजेएम कोर्ट में एक परिवाद दर्ज कराया था, जिसमें कारापाल कृपाशंकर पांडे, उप कारापाल विनोद सिंह, गुमटी जमादार लक्ष्मण सिंह और तत्कालीन जेलर को आरोपित बनाया था.
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मंडलकारा में कैदी को जला देने के मामले में सूचक ने दी गवाही
छपरा(कोर्ट) : 16 वर्ष पूर्व मंडलकारा में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे एक कैदी के शरीर पर केमिकल डालकर आग लगा देने के मामले में पीड़ित ने कोर्ट में अपनी गवाही दर्ज करायी. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दशम बीरेंद्र कुमार मिश्रा के न्यायालय में चल रहे इस मामले के सत्रवाद 210/17 के सूचक […]
आरोप लगाया था कि घटना के दिन वह जेल में बैठा था कि गुमटी जमादार लक्ष्मण सिंह उसके पास आये और बोले कि चलो जेलर साहब तुम्हें फिनाइल बनाने के लिए बुला रहे हैं. उसने यह कहकर जाने से इन्कार कर दिया कि उसे फिनाइल बनाने नहीं आता है. इसपर उसे मारते पीटते जबरन उस जगह ले जाया गया जहां जेलर व अन्य के समक्ष चूल्हे पर फिनाइल बन रहा था. वहां भी नहीं बनाने की बात कही तो सभी मारने लगे और तीनों ने उसके शरीर पर केमिकल उड़ेल दिया और कृपाशंकर उसके शरीर पर माचिस की जलती तिल्ली फेंक दिये जिससे शरीर में आग लग गयी. उसके बाद सभी वहां से उसे जलता छोड़ चल दिये, तब अन्य कैदी दौड़े और उसे बचाया तथा इलाज के लिए जेल के अस्पताल ले गये.
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