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तरैया व अमनौर के निचले इलाकों में स्थिति गंभीर
तरैया/अमनौर : प्रखंड में दस दिनों से बाढ़ का कहर जारी है. तरैया व अमनौर के निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. नारायणपुर, भटगाई, पचौड़र बाढ़ की सबसे विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है. तरैया से सड़क संपर्क भी भंग हो गया है. पचौड़र पंचायत के हजारों बाढ़पीड़ित परिवार सारण तटबंध […]
तरैया/अमनौर : प्रखंड में दस दिनों से बाढ़ का कहर जारी है. तरैया व अमनौर के निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. नारायणपुर, भटगाई, पचौड़र बाढ़ की सबसे विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है. तरैया से सड़क संपर्क भी भंग हो गया है. पचौड़र पंचायत के हजारों बाढ़पीड़ित परिवार सारण तटबंध पर शरण लिये हुए हैं.
बांध पर शरण लिए हुए शरणार्थियों को राहत पहुंचाने में जनप्रतिनिधियों व अन्य लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. बाढ़पीड़ितों के समक्ष अब भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो रही है. प्रशासन द्वारा फूड पैकेटों का जो वितरण किया गया है उन फूड पैकेटों में मात्र दो किलो चिउरा, मीठा, मोमबत्ती, सलाई है. बाढ़पीड़ितों का कहना है कि इतनी कम राहत सामग्री में कब तक गुजारा होगा. प्रशासन द्वारा तरैया के तेरह पंचायतों के बीच 23 राहत शिविर चलाये जा रहे हैं. प्रशासन द्वारा एक पंचायत में दो शिविर चलाये जा रहे हैं. दो शिविरों के माध्यम से पंचायत के सभी लोगों को राहत का सामान नहीं मिल पा रहा है. दस दिनों से घर छोड़ कर जी रहे बाढ़पीड़ितों के बीच अब भरपेट भोजन की समस्या उत्पन्न हो गयी है.
बांध व ऊंचे स्थानों पर बाढ़ को लेकर घर छोड़कर रह रहे बाढ़पीड़ित नेताओं व अन्य गाड़ियों को आते राहत के लिए दौड़ पड़ते हैं. तरैया सीओ बीरेंद्र मोहन ने बताया कि तरैया के 13 पंचायतों के 88 गांवों के एक लाख 34 हजार 500 सौ लोग बाढ़ से पीड़ित हैं. बाढ़पीड़ितों के बीच अबतक 93 सौ फूड पैकेट, 4270 पॉलीथिन सीट का वितरण किया जा चुका है. बाढ़पीड़ितों के बीच 60 नाव व 23 राहत शिविर चलाये जा रहे हैं.
10 हजार बाढ़पीड़ितों को नहीं मिल रही राहत
अमनौर में बाढ़ की तबाही से लगभग दस हजार लोग समस्याओं से जूझ रहे हैं. जहां एक ओर बाढ़ की वजह से बाढ़पीड़ित आशियाना छोड़ ऊंचे जगहों पर तिरपाल व प्लास्टिक के नीचे जीने को मजबूर हैं. वहीं अपने पेट की आग बुझाने के लिए सरकार व अन्य दूसरे लोगों के भरोसे का मोहताज बन गये हैं. मालूम हो कि अमनौर प्रशासन द्वारा अब तक मात्र 2950 लोगों के बीच राहत पैकेट का वितरण किया गया है.
शनिवार को जिला प्रशासन से एक हजार राहत पैकेट की मांग की गयी थी. मगर अब तक एक भी राहत पैकेट उपलब्ध नहीं हो पायी है. वहीं रविवार को भी दो हजार पैकेट का डिमांड की गयी है. बाढ़ पीड़ितों का कहना यह हमलोगों से अधिकारी व नेता मिलने व हाल जानने पहुंच तो रहे हैं, मगर आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिल पा रहा है. बाढ़पीड़ितों को अपने भोजन के आलावा सबसे बड़ी समस्या उनके मवेशियों को लेकर उत्पन्न हो गयी है. उनके रहने खाने के लिए कोई उपाय नहीं सुझ रहा है. हालांकि प्रशासन द्वारा राहत कैंप चलाने की बात कही जा रही है. मगर स्थिति कुछ और बयां कर रही है. पानी का बहाव दुसरे गांव में भी फैल रही है. लोग भयभीत एवं आक्रांत हैं.
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