उदासीनता . शहर के एकमात्र चिल्ड्रेन पार्क में बच्चों के खेलने की नहीं हैं सुविधाएं
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सुविधाओं के अभाव में गुम हो रहा बचपन
उदासीनता . शहर के एकमात्र चिल्ड्रेन पार्क में बच्चों के खेलने की नहीं हैं सुविधाएं छपरा(नगर) : चिल्ड्रेन पार्क का जीर्णोद्धार भले ही बच्चों को एक बेहतर मनोरंजक स्थल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया हो, पर अचरज की बात है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी इस पार्क में बच्चों को […]
छपरा(नगर) : चिल्ड्रेन पार्क का जीर्णोद्धार भले ही बच्चों को एक बेहतर मनोरंजक स्थल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया हो, पर अचरज की बात है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी इस पार्क में बच्चों को खेलने के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी जा सकी हैं. पार्क में न तो आज तक एक भी ढंग के झूले लगाये गये हैं और न ही बच्चों के खेलने के लिए पार्क के मैदान का मेंटेनेंस किया गया है. पार्क को रोशनी से जगमगाने के लिए चारों तरफ बड़े-बड़े लैंप पोस्ट जरूर लगाये गये हैं, पर धीरे-धीरे लैंप पोस्ट में लगे आकर्षक बल्ब भी गायब होने लगे हैं. कुछ जगहों से तो चोर-उचक्के पूरा का पूरा लैंप पोस्ट ही उखाड़ कर ले गये हैं. बच्चों के लिए बने इस पार्क में जानवरों का जमघट ज्यादा दिखता है.
पुराने जर्जर झूलों को नहीं हटाया गया : इस पार्क का जीर्णोद्धार हुए लगभग छह माह पूरे हो गये हैं. इसके बाद भी बुनियादी सुविधाएं नदारद ही दिखती हैं. लगभग 20 वर्ष पुराना एक पिरामिड झूला बुरी तरह जर्जर हो चुका है, लेकिन इस जंग लगे झूले को परिसर से हटाने की गनीमत उठाना भी निर्माण से जुड़े लोगों को पहाड़ सा लगा और इसे यूं ही छोड़ दिया गया. कई जगह से जंग लगे इस झूले पर खेलते हुए बच्चे अक्सर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. वहीं पार्क में स्लिपिंग झूला भी है, जो पुराना है.
कई जगह से टूट गया है. मेंटेनेंस के अभाव में इसकी चिकनाई भी चली गयी है. लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से हुए जीर्णोद्धार में सर्वाधिक खर्च पार्क के मध्य में स्थित तालाब पर किया गया है. तालाब के दोनों तरफ सीढ़ियों पर स्टोन फिटिंग की गयी है. मेंटेनेंस के अभाव में इस तालाब की स्थित भी दयनीय हो गयी है.
बरसात का पानी तालाब में जमा है, जो धीरे-धीरे सड़ रहा है. आसपास के कुछ बच्चे इस पार्क के तालाब में तैराकी करते हैं. गंदे पानी में तैराकी करना इनके स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डाल रहा है. तालाब के दोनों तरफ महंगे स्टोन फीटिंग किये गये हैं, ताकि यहां आने वाले लोग चैन से बैठक कुछ पल इत्मीनान के गुजार सकें. हालांकि साफ-सफाई के अभाव में सीढ़ियां गंदी हो चुकी हैं और यहां बैठना भी मुमकिन नहीं हैं.
करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं जीर्णोद्धार में
मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के अंतर्गत शहर के मध्य में स्थित वर्षों पुराने चिल्ड्रेन पार्क को करोड़ों की लागत से नया लुक दिया गया है. एक करोड़ 64 लाख नौ हजार रुपये की लागत से पूरे परिसर में लैंप पोस्ट, कैफेटेरिया, ग्रास कारपेट, तालाब का घाट, सीढ़ियों पर स्टोन फिटिंग, बोरिंग, बच्चों के लिए झूले आदि लगाये जाने थे. हालांकि पार्क का जीर्णोद्धार तो हुआ और तालाब के घाट, लैंप पोस्ट, बोरिंग आदि का कार्य भी हुआ है पर ग्रास कारपेट व बच्चों का झूला कहीं दिखाई नहीं देता.
कुछ पुराने झूले हैं, जो पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं. पार्क से जुड़ी सबसे अहम बात है कि यहां आसपास जिले के सभी वरीय प्रशासनिक अधिकारियों का आवास है. जिलाधिकारी और एसपी की कोठी बगल में ही है, वहीं सारण के कमिश्नर नर्मदेश्वर लाल का आवास पार्क के ठीक सटे है. सबसे बड़ी बात है कि आयुक्त महोदय के अलावा कुछ अन्य प्रशासनिक पदाधिकारी नियमित रूप से सुबह और शाम इस पार्क में टहलने आते हैं. इसके बाद भी यहां व्याप्त अनियमितताओं पर इनकी नजर क्यों नहीं पड़ती, यह बात हैरानी में डालती है.
पार्क में मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि शुरू-शुरू में अधिकारियों में भी पार्क के माहौल को बेहतर बनाने में इंट्रेस्ट था, पर समय के साथ उन्होंने भी चिल्ड्रेन पार्क को इसके हाल पर छोड़ देने में ही समझदारी दिखायी.
इन समस्याओं का निवारण है आवश्यक
पार्क के मैदान में नहीं है घास
बरसात के दिनों में मैदान में लगता जलजमाव
पार्क में नहीं है सुरक्षा गार्ड
जानवरों का बना बसेरा
तालाब में सड़ रहा बरसात का पानी
चोर उचक्के गायब कर रहे लैंप पोस्ट
तालाब घाट पर बनी सीढ़ियों की नहीं होती सफाई
कुछ पुराने झूले हो चुके हैं जर्जर
क्या कहा नवनिर्वाचित मेयर ने
शहर की सभी व्यवस्थाओं पर मेरी नजर है. पार्क में साफ-सफाई का शेड्यूल निर्धारित किया जायेगा. एक माह में परिवर्तन दिखने लगेगा. सुरक्षा के दृष्टिकोण से गार्ड की व्यवस्था भी की जायेगी.
प्रिया देवी, मेयर, छपरा नगर निगम
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