छपरा : सलिम धर्मगुरु मौलाना जाकिर ने रमजान के पाक महीने में बिना किसी परेशानी के रोजा छोड़ने वाले को सख्त गुनाहगार बताया है. उन्होंने कहा कि रमजान रहमतों का महीना है, इसी माह में कुरआन नाजिल हुआ. रोजा हर मुसलमान बालिग मर्द, औरत, जो सफर में न हो और जो बीमार न हो उन […]
छपरा : सलिम धर्मगुरु मौलाना जाकिर ने रमजान के पाक महीने में बिना किसी परेशानी के रोजा छोड़ने वाले को सख्त गुनाहगार बताया है. उन्होंने कहा कि रमजान रहमतों का महीना है, इसी माह में कुरआन नाजिल हुआ. रोजा हर मुसलमान बालिग मर्द, औरत, जो सफर में न हो और जो बीमार न हो उन पर फर्ज है. इस पाक महीने में अल्लाह अपने बंदों पर रहमतों का खजाना लुटाता है. भूख-प्यास बरदाश्त कर इबादत करने वाले बंदों के गुनाह माफ कर देता है.
रमजान पर बोलते हुए मौलाना ने कहा कि इस पाक महीने में हमें अल्लाह के इतना नजदीक रहना चाहिए कि हम पिछले 11 महीनों के पापों से पाक हो सकें.
उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ नमाज और रोजे रखने से मकसद हल नहीं होगा. गरीबों की मदद करें, उन्हें तकलीफ न पहुंचे ऐसा काम हमें करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस पाक महीने में हर चीज के भाव आसमान पर पहुंच जाते हैं, इसलिए जितना हो सके हमें जरूरतमंदों की जरूरत को पूरा करना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस महीने में दोजख के दरवाजे बंद कर दिये जाते हैं और जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं. इस मुकद्दस महीने में नफिल का सवाब फर्ज के बराबर और फर्ज का सवाब सत्तर गुना ज्यादा कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि मुसलमान रमजान के महीने में किसी की गीबत, चुगली, झूठ और तमाम बुरे कामों से बचें. इस महीने में ज्यादा से ज्यादा कुरान ए करीम की तिलावत, दुरूद शरीफ और दीगर वजाइफ में वक्त गुजारें. मौलाना जाकिर ने कहा कि रमजान में रोजेदारों को सहरी खाना चाहिए. अल्लाह व उसके फरिश्ते सहरी खाने वालों पर दुरूद भेजते हैं.
सहरी में देरी और इफ्तार में जल्दी करना सुन्नत है. बिना किसी उज्र ए शरई के किसी चीज को चखना या चबाना, नाक में पानी डलना, ज्यादा देर पानी से मुंह को भरे रखने से रोजा मकरुह हो जाता है. मुसलमान रमजान में रोजा रखें और अल्लाह की इबादत करें. रमजान के मुकद्दस महीने में एक ऐसी रात होती है, जो हजार महीनों से अफजल है. इसे शब ए कद्र कहा जाता है.