जांच पर सवाल. पांच माह चुप्पी, दो दिनों में पर्यवेक्षण व चार्टशीट का निर्देश
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अपनों को बचाया, निर्दोष को फंसाया
जांच पर सवाल. पांच माह चुप्पी, दो दिनों में पर्यवेक्षण व चार्टशीट का निर्देश जब स्कूल जिला प्रशासन के कब्जे में तो संचालक कोई और कैसे घटना के दिन शिवाजीनगर के बीइओ थे स्कूल के केंद्राधीक्षक पीड़ित ने कहा, डिमांड पूरी नहीं करने के कारण फंसाया गया, दी हाइकोर्ट जाने की धमकी समस्तीपुर : पुलिस […]
जब स्कूल जिला प्रशासन के कब्जे में तो संचालक कोई और कैसे
घटना के दिन शिवाजीनगर के बीइओ थे स्कूल के केंद्राधीक्षक
पीड़ित ने कहा, डिमांड पूरी नहीं करने के कारण फंसाया गया, दी हाइकोर्ट जाने की धमकी
समस्तीपुर : पुलिस कैसे किसी निर्दोष को दोषी और दोषी को निर्दोष ठहराती है इसकी बानगी है मुफस्सिल थाना में दर्ज कांड संख्या 81/15. इसमें अनुसंधानकर्ता से लेकर डीएसपी व एसपी तक अपनी जांच रिपोर्ट पेश करते रहे, लेकिन रिपोर्ट बताते हैं कि हकीकत को खंगालने की किसी ने जहमत नहीं उठायी. इतना ही नहीं, सरकारी पदाधिकारियों को बचाने के लिए निर्दोष को ही आरोपित ठहरा दिया. अब जब मामले का खुलासा हुआ है, तो पीड़ित ने हाइकोर्ट की शरण में जाने की बात कही है.
कहां फंसा है पेच : मुफस्सिल थाना के एसआइ मनोज कुमार के बयान पर मैट्रिक परीक्षा में कदाचार को लेकर 21 मार्च 15 को कांड संख्या 81/15 दर्ज हुआ. दर्ज मामले में पुलिस ने रत्नेश कुमार, संजय कुमार, नीरज कुमार, सचिन कुमार, राजू कुमार, देशबंधु कुमार के अलावा सातवें अभियुक्त के रूप में गुरुकुल हायर सेकेंडरी स्कूल दादपुर के संचालक को आरोपित किया था.
अनुसंधान के क्रम में अनुसंधानक ने गुरुकुल के निदेशक सौरभ चौधरी को उक्त स्कूल का संचालक करार दे दिया, जबकि घटना से कई दिन पूर्व ही परीक्षा के लिए उक्त स्कूल को जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में ले रखा था. इस दौरान जिला प्रशासन ने उक्त स्कूल में दंडाधिकारी के रूप में बीइओ मो एजाज अहमद, कनीय अभियंता मत्स्य चंद्र प्रकाश यादव और बीइओ खानपुर देवशरण प्रसाद थे. जबकि केंद्राधीक्षक के रूप में शिवाजीनगर के बीइओ अभय कुमार को तैनात किया गया था. स्कूल में अन्य कर्मियों की तैनाती भी शिक्षा विभाग के द्वारा की गयी थी, जबकि परीक्षा अवधि में सुरक्षा की जिम्मेवारी मुफस्सिल थाना सहायक अवर निरीक्षक रामाधार सिंह को सौंपी गयी थी. जानकारों का बताना है कि परीक्षा की अवधि में स्कूल परीक्षा केंद्र होता है ऐसे में इसकी समस्त जिम्मेवारी केंद्राधीक्षक की होती है और घटना के वक्त केंद्राधीक्षक ही उक्त स्कूल का संचालन कर रहे थे. लेकिन पुलिस ने अपनी पूरी जांच में केंद्राधीक्षक का कोई जिक्र भी नहीं किया.
डिमांड नहीं मानी, तो फंसाया
इस मामले में आरोपित ठहराये गये गुरुकुल के निदेशक सौरभ चौधरी ने बताया कि कांड दर्ज होने के बाद अनुसंधानक ने उनसे संपर्क किया. डिमांड रखी. लेकिन उन्होंने उक्त स्कूल से अपना कोई संबंध नकार दिया था. इसके बावजूद उन्हें उक्त स्कूल का संचालक घोषित कर आरोपित किया गया है वे इसके खिलाफ उच्च न्यायालय की शरण में जायेंगे.
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