हाल सदर अस्पताल का. दवा के लिए गरीब मरीजों को हो रही परेशानी
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नहीं मिलती दवा, नहीं है विशेषज्ञ डॉ
हाल सदर अस्पताल का. दवा के लिए गरीब मरीजों को हो रही परेशानी समस्तीपुर : सिंघिया खूर्द गांव से आयी सुनीता देवी को पारासिटामोल देकर लौटा दिया गया, जबकि डॉक्टर ने उसके पुर्जे पर तीन प्रकार की दवा लिखी थी. बेझाडीह से आयी कविता को भी ओआरएस देकर वापस कर दिया गया. कोरबद्धा से आये […]
समस्तीपुर : सिंघिया खूर्द गांव से आयी सुनीता देवी को पारासिटामोल देकर लौटा दिया गया, जबकि डॉक्टर ने उसके पुर्जे पर तीन प्रकार की दवा लिखी थी. बेझाडीह से आयी कविता को भी ओआरएस देकर वापस कर दिया गया. कोरबद्धा से आये दीपक पासवान को तीन दवा के बदले सिर्फ सिफेक्सिन देकर यह कहा गया कि इसी से काम चलाईए. बाकी दवा बाहर से ले लो. यह तो चंद उदाहरण हैं. स्थानीय सदर अस्पताल में इन दिनों मरीजों को दवा नहीं मिल पा रही है.
मरीजों को दवा के बगैर ही वापस लौट जाना पड़ता है. जबकि सदर अस्पताल में नियमानुसार ओपीडी में 107 प्रकार की दवा मिलनी चाहिए. मरीजो ने बताया कि अस्पताल में यह स्थिति महीनों से चल रही है. जिससे गरीब मरीजों का जीवन खतरे में है. उधर अस्पताल सूत्रो का कहना है कि ऐसा नहीं है कि जिला स्वास्थ्य विभाग के पास दवा खरीदने को पैसे नहीं है. गत वर्ष सरकार ने दवा खरीदने के लिए तीन करोड़ रुपये दिये थे. लेकिन खरीदारी नहीं होने के कारण आवंटन वापस हो गया.
उधर वर्षों पूर्व आईसीयू व जेनेरिक दवा की दुकान को लेकर भवन तो बने पर उसे अबतक चालू नहीं कराया जा सका. अस्पताल के डॉक्टरों को भी कई माह से वेतन नहीं मिले हैं.
अस्पताल में नहीं है विशेषज्ञ डॉक्टर . सदर अस्पताल में इन दिनों विशेषज्ञ डॉक्टरों का अभाव है. जिससे गंभीर मरीजों को परेशानी हो रही है. बताया गया है कि अस्पताल में चर्म रोग विशेषज्ञ, ईएनटी, काडियोलॉजिस्ट का पद महीनों से रिक्त पड़ा है. जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अस्पताल में उक्त विभाग से जुड़े मरीजों के आने पर रेफर कर दिया जाता है. पैसे वाले मरीज तो प्राइवेट में दिखा कर ठीक हो जाते हैं लेकिन गरीब मरीजों की स्थिति खराब हो गई है.
अस्पताल में सिर्फ तीन प्रकार की दवाएं. इन दिनों सदर अस्पताल में सिर्फ तीन प्रकार की दवा मरीजों को दी जा रही है. बुखार हो या शरीर में दर्द अथवा चोट लगने के कारण दर्द सभी को दी जा रही है पारासिटामोल. इसके अलावा पेट खराब है तो ओआरएस दे कर चलता कर दिया जाता है वहीं एन्टीबॉयोटिक के नाम पर सभी मरीजों को सिर्फ सिफेक्सिन दी जा रही है.
अस्पताल से पुरुष वार्ड गुम
सदर अस्पताल मे इन दिनों पुरुष वार्ड नहीं दिखता. पूर्व के पुरुष वार्ड नशा मुक्ति केंद्र खोल दिया गया है. जहां नशा के आदि लोगों को रखा जाता है. ऐसी स्थिति में पुरुष मरीजों को आपातकालीन कक्ष में रखा जाता है अथवा उसे छुट्टी दे दी जाती है. अस्पताल की इस नई व्यवस्था से मरीजों व डॉक्टरों को परेशानी हो रही है. पूर्व में आपातकालीन कक्ष में उपचार के बाद मरीजों को वार्ड में भेज दिया जाता था.
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बोले अधिकारी
अस्पताल में दवा की खरीदारी के लिए सरकार को लिखा गया है. वहीं विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए विभाग अपने स्तर से प्रयास कर रहा है. राज्य सरकार ने घोषणा की है कि एक सप्ताह के अंदर राज्य के सभी अस्पतालों में डॉक्टरों के खाली पड़े पदों पर नियुक्ति कर दी जाएगी.
अवध कुमार , सीएस, समस्तीपुर
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