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जर्जर सड़क रूलायेगी बाबा केवल आने वाले श्रद्धालुओं को

मोरवा : दर्जा तो राजकीय मेले का मिल गया लेकिन सुविधाएं नदारद. हर साल मेला के पहले मास्टर प्लान तो खूब बनता है लेकिन मेला शुरू होते होते स्थिति वही पुरानी दिखाई देती है. मेला के पहले खूब बैठकों का दौर चलता है. बीडीओ से लेकर डीएम तक और विधायक से लेकर मंत्री तक तो […]

मोरवा : दर्जा तो राजकीय मेले का मिल गया लेकिन सुविधाएं नदारद. हर साल मेला के पहले मास्टर प्लान तो खूब बनता है लेकिन मेला शुरू होते होते स्थिति वही पुरानी दिखाई देती है. मेला के पहले खूब बैठकों का दौर चलता है.

बीडीओ से लेकर डीएम तक और विधायक से लेकर मंत्री तक तो खूब इसका जायजा लेते हैं लेकिन लोगों को कितनी सुविधाएं मिल पाती है यह तो यहां आने वाले लोग ही जानते हैं. इस साल भी कुछ वैसा ही होता दिख रहा है. बरसों से समस्याओं से जूझ रहे लोगों को इस बार प्रशासन से काफी आस जगी थी.विधायक विद्यासागर सिंह निषाद खुद इसमें ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं. एसडीओ एवं डीएम की इस बाबत कई बैठकें भी हो चुकी है लेकिन अब तक इस पर कोई पहल होता नहीं दिख रहा है. सर्वाधिक दिक्कत बिजली, पानी और विधि व्यवस्था को लेकर होती है. सड़क, रैंप, स्वास्थ्य और अन्य समस्याएं भी यहां मुसीबत खड़ा कर रही है.
विगत के अनुभव बताते हैं कि करीब 25 हजार गाड़ियों का तांता और दो लाख लोगों की भीड़ ने प्रशासन के छक्के छुड़ा दिये थे. पार्किंग और बली की समस्या लोगों को खूब रूलाया था. नये विधायक द्वारा इन सभी समस्याओं के बाबत विस्तृत रोडमैप बनाया गया लेकिन उसपर अमल होना अभी बाकी है.
मेला शुरू होने में अब मात्र एक महीना ही शेष है लेकिन अबतक किसी भी दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है. जितनी भी योजनाओं को कार्यरूप देना है उस सबमें लंबा समय लग सकता है. अब तक तो काम भी शुरू नहीं हुआ फिर कैसे श्रद्धालुओं को राजकीय मेले का लाभ मिल पाएगा. मेले में आने वाले अन्य प्रदेशों से आने वाले लोगों को सड़कों की दशा खूब रूलाने वाली है.
वरूणा पुल बाधित है तो डायवर्सन ही एक मात्र सहारा है वहीं ताजपुर से आनेवाले लोगों को ताजपुर हलई मार्ग की 15 किलोमीटर की सड़क खासी मुश्किल डाल सकती है. जितनी बड़ी तादाद में लोगों का यहां जमावड़ा लगता है और गाड़ियों की लंबी लाइनें लगती है उसके हिसाब से सुविधाएं नगण्य दिखाई दे रही है.
मेला कमेटी के उमेश सहनी और तुखिया रामलगन सहनी का कहना है कि ऐसा तो हर साल होता रहा है कि मेला के चंद दिन पहले आनन फानन में काम तो शुरू होता है लेकिन लोगोें को उसका कोई लाभ नहीं मिलता. अगर विभाग और सरकार इसके प्रति संजीदा है तो समय रहते सारी तैयारियां पूरी होनी चाहिये ताकि आने वाले लोगों को इसका भरपूर लाभ मिल सके.

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