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अब कालाजार मरीजों की भी होगी एचआइवी जांच

समस्तीपुर : अब कालाजार मरीजों की भी एचआइवी जांच की जायेगी. इसको लेकर बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये हैं. पत्र प्राप्ति के साथ जिले के विभिन्न अस्पतालों में सक्रिय एआरटी सेंटर, पीपीटीसी केंद्र एवं आइसीटीसी केंद्र इसके क्रियान्वयन में जुट गया है. मिली जानकारी के अनुसार नाको का मानना […]

समस्तीपुर : अब कालाजार मरीजों की भी एचआइवी जांच की जायेगी. इसको लेकर बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये हैं. पत्र प्राप्ति के साथ जिले के विभिन्न अस्पतालों में सक्रिय एआरटी सेंटर, पीपीटीसी केंद्र एवं आइसीटीसी केंद्र इसके क्रियान्वयन में जुट गया है. मिली जानकारी के अनुसार नाको का मानना है कि यह जरुरी नहीं होता कि सभी कालाजार के मरीज सरकारी अस्पतालों में ही उपचार कराते हैं. अधिकतर मामलों में लोग निजी चिकित्सा कराते हैं.

ऐसे में यदि कहीं अहतियाती भूल हो जाती है तो वैसे मरीजों में संक्रमण के खतरे की संभावना बनने लगती है. जांच नहीं होने की स्थिति में यह संक्रमण लंबे समय तक शरीर में रहता है. बाद में रोग की जानकारी मिलने तक काफी देर हो चुकी होती है. वहीं कई ऐसे संक्रमित लोग भी होते हैं जिन्हें बालू मच्छर अपना शिकार बना लेते हैं. ऐसे में पहले से एचआइवी संक्रमण होने की वजह से उन्हें कालाजार से निजात नहीं मिलता रहता है.

ऐसा जानकारी के अभाव में होता है. यह बाद में चल कर रोगी के लिए जानलेवा साबित होता है. इसे ध्यान में रख कर ही नाको ने कालाजार मरीजों की भी एचआइवी जांच कराने का फैसला किया है. जिसे धरातल पर उतारने के उद्देश्य से बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने अपने अधीन कार्यरत सभी एआरटी के अलावा पीपीटीसी व आइसीटीसी को भी एचआइवी जांच कराने का निर्देश जारी किया है.

समिति की ओर से प्राप्त पत्र के आलोक में स्थानीय सदर अस्पताल स्थित एआरटी केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. आरसीएस वर्मा जिले सभी अस्पतालों में कालाजार के पहुंचने वाले मरीजों की एचआइवी जांच कराने के लिए आवश्यक पत्र निर्गत करने की तैयारी में जुटे हैं.

यक्ष्मा रोगियों का पहले से हो रहा टेस्ट

एचआइवी की रोकथाम को लेकर पूर्व में यक्ष्मा रोगियों की जांच का कार्य आरंभ किया गया. सूत्र बताते हैं कि जांच के क्रम में कई ऐसे मामले सामने आये हैं जिसमें यह पाया गया है कि यक्ष्मा का उपचार कराने वाले रोगियों में यह रोग दस्तक दे चुका था. जिसके कारण यक्ष्मा से निजात दिलाने में भारी परेशानी हो रही थी.

संक्रममण के पकड़ में आते ही उनमें यक्ष्मा भी धीरे धीरे कम होने लगा. संभवत: इसे भी ध्यान में रखकर नाको की ओर से अब कालाजार मरीजों को भी इस जांच में शामिल करने का फैसला किया गया है.

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