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रोज तेज हो रहा इबादतों का दौर
समस्तीपुर : इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना ‘रमजान’ का अंतिम चरण यानी तीसरा और अंतिम दस दिनों का आशरा शुरू हो गया़ इस दौरान मुसलमान जहन्नम (नरक) से बचने के लिए जाने अनजाने में हुई अपनी गलतियों से बचने को दुआएं मांगने में पूरी शिद्दत से जुट गये हैं इबादतों का दौर और तेज हो […]
समस्तीपुर : इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना ‘रमजान’ का अंतिम चरण यानी तीसरा और अंतिम दस दिनों का आशरा शुरू हो गया़ इस दौरान मुसलमान जहन्नम (नरक) से बचने के लिए जाने अनजाने में हुई अपनी गलतियों से बचने को दुआएं मांगने में पूरी शिद्दत से जुट गये हैं
इबादतों का दौर और तेज हो गया है़ 17 जुलाई को रमजान का अलविदा जुमा होगा़ अनुमंडल की तमाम मस्जिदों में नमाज के बाद इंसानियत के लिए विशेष दुआएं की जायेगी़ शिक्षाविद् शाह जफर इमाम बताते हैं कि रमजान के आखिरी दस दिनों में ही वह पांच रातें हैं जिनमें से किसी एक में इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रंथ कुरान का संदेश इंसानों के मार्गदर्शन के लिए धरती पर उतारा गया़ इन रातों को शब ए कद्र कहते हैं मसजिदों व सार्वजनिक स्थल पर शब ए कद्र की नमाज के लिए खास इंतजाम किए जाते हैं
रातभर इबादत का दौर चलता है़ हर बंदा अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी, तरक्की, अमन-चौन और भाइचारे के लिए दुआ करता है़ रमजान के अंतिम दस दिनों में ‘एतकाफ’ किया जाता है़ एतकाफ करने वाले को दो हज और दो उमरा का सवाब मिलता है़
औरतें भी अपने घरों में खास जगह पर एतकाफ की नियत कर सकती है़ मोहल्ले के एक आदमी भी मसजिद में एतकाफ कर ले तो तमाम मोहल्ला या रहने वाले निवासी गुनाह से बचेंग़े नहीं करने पर सभी गुनहगार होंग़े एतकाफ में बैठे शख्स को गैर जरूरी बातों से बचना पड़ता है़ केवल जरूरी बातें ही संक्षिप्त में करने की इजाजत है़
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