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खुले चेहरे में पहुंचे थे तीन अपराधी
चैता ठाकुरबाड़ी लूटनेवाले गिरोह के सदस्यों ने दिया घटना को अंजाम! सरायरंजन : गंगापुर स्थित रामजानकी मंदिर में लाखों रुपये अष्टधातु मूर्तियों की चोरी की घटना के 96 घंटे बाद भी पुलिस इसका सुराग निकाल पाने में नाकामयाब है. इस पूरे घटनाक्रम पर निगाह डालें तो पता चलता है कि घटना को अंजाम देने पहुंचे […]
चैता ठाकुरबाड़ी लूटनेवाले गिरोह के सदस्यों ने दिया घटना को अंजाम!
सरायरंजन : गंगापुर स्थित रामजानकी मंदिर में लाखों रुपये अष्टधातु मूर्तियों की चोरी की घटना के 96 घंटे बाद भी पुलिस इसका सुराग निकाल पाने में नाकामयाब है.
इस पूरे घटनाक्रम पर निगाह डालें तो पता चलता है कि घटना को अंजाम देने पहुंचे आधा दर्जन अपराधियों में से तीन ने तो अपनी पहचान छुपाने के लिए चेहरे पर नकाब लगा रहे थे लेकिन तीन अपराधी पूरी तरह आश्वस्त थे कि उन्हें कोई पहचान करने वाले नहीं हैं जिसके कारण वे खुले चेहरे में ही मंदिर के अंदर दाखिल हुए थे.
इसमें से एक अपराधी के चेहरे को पुजारी ने जिस तरह से बयां किया है उसके मुताबिक इस अपराधी की बायीं आंख काना है. लंबाई साढे पांच फुट के करीब होगी. रंगत श्याम था.
वैसे तो घटना के बाद से पुजारी काफी घबराया हुआ सा प्रतीत हो रहा था जिसके कारण वह कई तरह की बातें पुलिस को बता रहा था. इस क्रम में उसने एक बार कहा कि घटना को अंजाम देने के लिए पहुंचे अपराधियों ने जब मंदिर की चाबी के लिए दबाव दिया था तो उसने इसका पुरजोर विरोध किया. इस पर एक अपराधकर्मी ने खुर्दरे आवाज में उसे धमकाते हुए कहा था कि इसी विरोध के कारण अंगारघाट के चैता ठाकुरबाड़ी में लूट के दौरान जिस तरह से महंथ की हत्या कर दी थी उसी तरह उसे भी ठिकाने लगा देगा.
हालांकि कुछ ही देर बात वह इस बात को यूं टालने लगा था जैसे कि उसने यह बात कह कर भारी गलती कर दी हो. पुजारी ने यदि सही बात बतायी है तो इतना जरूर स्पष्ट हो गया है कि इस घटना में कहीं न कहीं उन्हीं अपराधियों में से कोई जरूर शामिल था जिसने करीब दो वर्ष पूर्व घटना को अंजाम दिया था. या फिर अपराधियों ने अपनी ओर से पुलिस का ध्यान भटकाने को लेकर चैता महंथ हत्या कांड की चर्चा कर दी होगी. बहरहाल यह तो पुलिसिया जांच के क्रम में ही सामने आयेगा कि अपराधी कौन थे. इसका गांववालों का बेसब्री से इंतजार है.
किसने निभायी लाइनर की भूमिका
जिस तरह अपराधी मंदिर में पहुंचे और सीधे योगेंद्र दास के कमरे के दरवाजे पर पहुंच कर सीधा धक्का देकर दरवाजा खोल लिया इससे प्रतीत होता है कि अपराधियों को पहले से इस बात की जानकारी थी कि इस कमरे को अंदर से लॉक करने की व्यवस्था नहीं है. यह हमेशा खुला ही रहता है.
या फिर अंदर से किसी तरह बंद कर लिया जाता है. यही वजह है कि राजेंद्र दास के पास सीधे नहीं जाकर इसी कमरे पर धावा बोला. इसके बाद उसे कब्जे में लेकर राजेंद्र वाले कमरे तक ले गये और उसकी आवाज से ही कमरे खुलवाये. इससे प्रतीत हो रहा है कि अपराधियों के साथ जरुर कोई शख्स ऐसा था जिसे यहां की हर गतिविधि और कमियों के बारे में पूरी जानकारी थी.
घटना के वक्त मंदिर के निकट खड़ी ऑल्टो किसकी!
चोरी की घटना के बाद जो बातें छन कर सामने आ रही है उसके मुताबिक किसी राहगीर ने मंदिर से करीब दो सौ गज की दूरी पर एक ऑल्टो को उसी वक्त खड़ा देखा था जिस वक्त की घटना बतायी जा रही है.
यह सड़क गंगापुर से मोरवा हाइस्कूल की ओर जाता है. इसी राह में मध्य विद्यालय भी है. जिसके एक कोन पर वाहन खड़े देखे गये थे. इसके पास ही एक बाइक भी लगी थी.
इसके आसपास कोई नजर नहीं आया. हालांकि इस चर्चा में कितना दम है इसको लेकर कोई भी खुल कर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. जिसके कारण इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही है. लेकिन यह भी सच है कि कोई पैदल ही इतनी वजनदार मूर्तियों को कितनी दूर तक ले जा सकता है. जिससे प्रतीत होता है कि अपराधी भले मंदिर परिसर में पैदल पहुंचे हों लेकिन उनके वाहन जरुर आसपास ही लगे होंगे. इसी से कयास लगाया जा रहा है कि इसी बाइक सवार राहगीर की आहट पर बाहर खड़े अपराधियों ने अंदर मौजूद अपने साथियों को किसी के आने की खबर दी.जिसके कारण जल्दबाजी में अपराधी लक्ष्मण की मूर्ति छोड़ कर ही भाग निकले. इसके यह कीमती मूर्ति बच गयी है.
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