फोटो संख्या : 19 1856 से भारत में कार्य कर रही रैलिस इंडिया सर्वप्रथम कोलकाता में शुरू किया गया जूट पर कार्य पूसा, प्रतिनिधि, राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा विभाग में रैलिस इंडिया लिमिटेड के तत्वावधान में रैलिस क्र ॉप एडवाईजर का दो दिवसीय प्रशिक्षण की शुरु आत की गयी. अध्यक्षता एवं स्वागत भाषण विभाग के चेयरमैन डॉ एके चौधरी ने किया. प्रशिक्षण सत्र में बतौर मुख्य अतिथि अधिष्ठाता कृषि डॉ एसके वार्ष्णेय ने अपने संबोधन में कहा की इस तरह के तकनीकी प्रशिक्षण किसानों की माली हालत सुधारने के लिए बेहतर विकल्प है. सबसे पहले किसानों को मृदा जांच की ओर आकृष्ट होना होगा. रासायनिक खाद का प्रयोग कम करने के साथ ही भूमि में उर्वरकता बढ़ाने की तकनीक से अवगत होना नितांत जरूरी है. अनचाहे खाद के इस्तेमाल पर पूर्ण रूपेण पाबंदी लगाने की आवश्यकता है. जिससे हमारे किसान की भूमि का उर्वरा शक्ति क्षीण होने से रोका जा सके. वहीं विश्वविद्यालय प्राध्यापक डॉ अशोक कुमार सिंह ने कहा की प्रशिक्षण को बेहतर बनाने का हर संभव प्रयास किया गया है. मुख्यरु प से धान , मक्के व गेहंू के फसलों के बारे में बताया जायेगा. इससे पूर्व मुख्य अतिथि को विभाग की ओर से बुके देकर स्वागत किया गया. इधर कंपनी की ओर से क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ मुकेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि यह कंपनी भारत के विभिन क्षेत्रों में 1856 ई. से ही कृषि के लिए कार्य कर रही है. संचालन छात्रा प्रियंका कुमारी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन प्राध्यापक डॉ दिव्यांशु शेखर ने किया. मौके पर डॉ एमएल अग्रवाल, डॉ डीके राय आदि मौजूद थे.
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किसानों की माली हालत सुधारने के लिए प्रशिक्षण बेहतर विकल्प : डॉ वार्ष्णेय
फोटो संख्या : 19 1856 से भारत में कार्य कर रही रैलिस इंडिया सर्वप्रथम कोलकाता में शुरू किया गया जूट पर कार्य पूसा, प्रतिनिधि, राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा विभाग में रैलिस इंडिया लिमिटेड के तत्वावधान में रैलिस क्र ॉप एडवाईजर का दो दिवसीय प्रशिक्षण की शुरु आत की गयी. अध्यक्षता एवं स्वागत भाषण […]
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