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बागों में भी अंतरवर्ती खेती कर लाभ कमाएं किसान : डॉ राय

पूसा. किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए सरकार सहित देश के विभिन्न एनजीओ एवं निजी संस्थान ने तकनीकी व आर्थिक दोनों ही ढंग से कमर कस ली है. बदलते मौसम के परिवेश में किसान के लिए अंतर्वर्ती फसलों का सहारा वरदान साबित हो रहा है. बागों में छोटे कद के पौधा के साथ […]

पूसा. किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए सरकार सहित देश के विभिन्न एनजीओ एवं निजी संस्थान ने तकनीकी व आर्थिक दोनों ही ढंग से कमर कस ली है. बदलते मौसम के परिवेश में किसान के लिए अंतर्वर्ती फसलों का सहारा वरदान साबित हो रहा है. बागों में छोटे कद के पौधा के साथ लघु कालीन फसले लगाकर दोहरा लाभ लिया जा सकता है. उक्त बातें उद्यान विभाग के चेयरमैन डॉ पीके राय ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा. साथ ही मुख्य फसल के साथ साथ एक अन्य फसल कतारों के मध्य उगायी जा सकती है. तो उसे अंतर्वर्ती फसलों की संज्ञा दी जाती है. बहुवर्षी फसलों में आम, लीची, कटहल, अमरुद, आंवला आदि के पौधे 2 से 5 वर्षो तक व्यवसायिक तौर पर फल देने के लिए तैयार नहीं रहता है. इस दौरान लघुकालीन फसल उत्पादन कर किसान बदलते मौसम के परिवेश में लाभ ले सकते हैं. लगातार दो से तीन फसल उत्पादन कर लेने से बाग में खर पतवार पर नियंत्रण कर पौधा को विकसित बनाने में सहायक होती है. ध्यान देना है कि पारस्परिक ढंग से पौधा से पौधा की दूरी 10 गुणा 10 मीटर दूरी पर लगाना हितकर होता है. कुला मिलाकर अंतरवर्ती फसलों के लिए आरंभिक वर्षों में 80 फीसदी हिस्सा सफल उत्पादन के लिए बेहतर सिद्ध होता है.

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