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सिर्फ फॉर्म बेच कमा लेते हैं 44 लाख

समस्तीपुर. निजी स्कूलों में जनवरी से ही नर्सरी और एलकेजी-यूकेजी में प्रवेश जारी है़ अगले कुछ दिनों में प्राय: सभी स्कूलों में दाखिला बंद हो जायेगा़ फिर शुरू होगी असली भागदौड़ यानी किताब-कॉपी, ड्रेस और स्टेशनरी की खरीदारी़निजी स्कूलों के लिए यह कमाई का बेहतर मौसम है़. दाखिले के समय ही ये स्कूल बिचौलियों के […]

समस्तीपुर. निजी स्कूलों में जनवरी से ही नर्सरी और एलकेजी-यूकेजी में प्रवेश जारी है़ अगले कुछ दिनों में प्राय: सभी स्कूलों में दाखिला बंद हो जायेगा़ फिर शुरू होगी असली भागदौड़ यानी किताब-कॉपी, ड्रेस और स्टेशनरी की खरीदारी़निजी स्कूलों के लिए यह कमाई का बेहतर मौसम है़.
दाखिले के समय ही ये स्कूल बिचौलियों के सहयोग से 20-25 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा लेते हैं. जिले में सीबीएसइ से संबद्ध लगभग 14 स्कूल हैं, जिनमें पौने दो लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं. फरवरी, मार्च और अप्रैल में एडमिशन फॉर्म, किताब-कॉपी, ड्रेस और स्टेशनरी के मद में ये प्रति छात्र एक-डेढ़ हजार रुपये की वसूली करते हैं. कारण, अभिभावक खुले बाजार से ये चीजें नहीं खरीद सकते, उन्हें किसी खास दुकानों से ही खरीदनी पड़ती है.
निवेश सिफर, कमाई दो करोड़
एक-डेढ़ हजार की यह रकम सुनने में भले ही मामूली लगे परंतु यह 2 करोड़ रुपये का कारोबार है, जिसे निजी स्कूल और बिचौलिये मिलकर करते हैं. प्रसिद्ध यूनिफॉर्म विक्रेता के अनुसार खुले बाजार और स्कूलों से संबद्ध विक्रेताओं के रेट में करीब 50 फीसदी का अंतर रहता है़ उदाहरण के तौर पर खुले बाजार में जिस जुराब की कीमत सिर्फ 29-30 रुपये है, वह संबद्ध दुकान में 50-60 रुपये में मिलती है़ शर्ट-पैंट, स्कर्ट-टॉप, टाई, बेल्ट, जूते और स्कूल बैग सभी वस्तुओं का दाम अधिक रहता है़
बोले अधिकारी
इस संबंध में डीइओ बीके ओझा ने बताया कि अगर किसी अभिभावक के द्वारा लिखित शिकायत दी जाती है तो निजी विद्यालयों पर कार्रवाई की जायेगी. साथ ही सीबीएसइ को लिखा जायेगा.

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