रोसड़ा. इमरजेंसी सेवा देने में विफल अनुमंडलीय अस्पताल में आये मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इमरजेेंसी सेवा के लिए अस्पताल में समुचित व्यवस्था के अभाव में एफआरयू का दर्जा प्राप्त करने वाले इस अस्पताल का आलम यह है कि विगत करीब 15 वर्षों से इमरजेंसी मरीजों के जख्म की सर्जरी करने के लिए वहीं पुरानी सिजर बॉक्स है. इसमें 1 कैंची, 2 आर्टिफोस, 1 चिमटा व एक ट्रे है जिसे आजतक नहीं बदला गया है. ऐसी स्थिति में कैंची अस्पताल के एक कर्मी ने बताया कि इमरजेंसी भी प्रयोग होने वाले उक्त औजार का कभी भी स्टरलाइजेशन नहीं किया गया है. साथ ही बताया कि हमलोग उक्त औजार को प्रयोग के बाद सामान्य पानी से धोकर ही पुन: काम चलाते हैं. ऐसे में मरीजों में इंफेक्शन का खतरा हमेशा बना रहता है. विभागीय सूत्रों के अनुसार पुरानी कैंची होने के कारण ठीक से कार्य भी नहीं करता है. जख्म का सिलाई करने वाला सूई एवं धागा अस्पताल में नहीं रहने के मरीजों को इमरजेंसी में सूई व धागा खरीदना पड़ता है. लेकिन अगर टूट फूट है तो चिकित्सक मरीज को रेफर करना ही बेहतर समझते हैं. इमरजेंसी सेवा में कई बार तो रास्ते में मरीज की मौत हो जाती है. इस संबंध में डीएस डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि स्टरलाइजेशन के बगैर औजार के प्रयोग से इंफेक्शन का खतरा बना रहता है. इमरजेंसी सेवा के लिए औजार की कमी के बारे में उन्होंने जल्द ही समुचित व्यवस्था कर देने की बात कही.
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इमरजेंसी सेवा देने में सेहत महकमा विफल
रोसड़ा. इमरजेंसी सेवा देने में विफल अनुमंडलीय अस्पताल में आये मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इमरजेेंसी सेवा के लिए अस्पताल में समुचित व्यवस्था के अभाव में एफआरयू का दर्जा प्राप्त करने वाले इस अस्पताल का आलम यह है कि विगत करीब 15 वर्षों से इमरजेंसी मरीजों के जख्म की सर्जरी करने […]
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