समस्तीपुरः मशरक में मिड डे मील खाने से हुई मौत के बाद विभाग पूरी तरह संवेदनशील नजर आने लगा है. स्कूलों में बच्चों के बीच स्वच्छ, सुरक्षित एवं ताजा खाना उपलब्ध कराने के लिए शिक्षा विभाग ने व्यापक कार्य योजना तैयार की है.
इसको लेकर सरकार से प्राप्त निर्देशों का हवाला देते हुए डीइओ जयचंद प्रसाद श्रीवास्तव ने प्रारंभिक शिक्षा के अंतर्गत आने वाले सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को गुणवत्ता पूर्ण मिड डे मील परोसने के साथ साथ उसे पकाने में सुरक्षा एवं सावधानी बरतने का सख्त निर्देश दिया है. इसको लेकर भेजे पत्र में डीइओ ने विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष, सचिव एवं सदस्यों को भी भूमिका निभाने का सुझाव दिया है.
रजिस्टर में दर्ज होगा विवरण
मिड डे मील के वितरण व उसकी गुणवत्ता से संबंधित रिकार्ड कायम रखने के लिए सभी स्कूलों को भोजन चखने की पंजी संधारित करने का निर्देश दिया गया है, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी पाये जाने पर जांच के दौरान उसकी हकीकत का पता चल सके. प्रतिदिन भोजन बनाने के बाद विद्यालय के प्रधानाध्यापक, रसोइया के साथ विद्यालय शिक्षा समिति के 1 सदस्य भी भोजन को चखकर अपना मंतव्य देंगे. इसके बाद ही भोजन बच्चों को दिया जायेगा, इसके बाद ही खाना बच्चों के बीच वितरित किया जायेगा. जब भोजन चखने वाले व्यक्ति उक्त पंजी में अंकित कर यह सुनिश्चित कर देंगे कि भोजन की गुणवत्तापूर्ण है और इसे बच्चों के बीच वितरित किया जा सकता है, तभी भोजन का वितरण होगा.
मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापकों पर
मिड डे मील की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूलों में साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है. इसके लिए फिनाइल, एसिड आदि चीजें क्रय करने का निर्देश दिया है. ताकि स्कूलों में साफ सफाई कायम रह सके. इसके अलावा यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे हाथ धोकर ही खाना खायें, साथ ही संस्था द्वारा भोजन आने के पश्चात तुरंत कंटेनर खोलकर देख लेने तथा उसके पश्चात उसे स्वच्छ एवं बंद स्थल पर रखने को कहा गया है.
ऐसी हो गुणवत्ता
बच्चों के दोपहर के खाने में एगमार्क युक्त मसाला, तेल तथा आयोडीनयुक्त नमक का ही उपयोग करने की सख्त हिदायत दी गयी है. नमक, मसाला, हल्दी इत्यादि के डिब्बे को उपयोग के बाद बंद कर के रखने को कहा गया है. इतना ही नहीं बच्चों को बासी सामग्री देने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गयी है. अगर कोई सामग्री भोजन बनाने के दौरान जल जाये अथवा खराब हो जाय से उसे किसी भी हालत में बच्चों के बीच नहीं परोसा जाय.