समस्तीपुर : मुक्तापुर जूट मिल के मजदूरों के ठंड पड़े चूल्हे ने उनके महापर्व के उत्साह को ठंडा कर दिया़ एक ओर जूट मिल बंद होने से उनके सामने निवाले का संकट है, तो दूसरी ओर व्यवस्था से उपेक्षा मिलने का दर्द सीने में टीस रहा है. नेताओं से गुहार, सड़क पर आंदोलन और समाहरणालय […]
समस्तीपुर : मुक्तापुर जूट मिल के मजदूरों के ठंड पड़े चूल्हे ने उनके महापर्व के उत्साह को ठंडा कर दिया़ एक ओर जूट मिल बंद होने से उनके सामने निवाले का संकट है, तो दूसरी ओर व्यवस्था से उपेक्षा मिलने का दर्द सीने में टीस रहा है. नेताओं से गुहार, सड़क पर आंदोलन और समाहरणालय के घेराव से भी कोई नतीजा नहीं निकलने पर इन मजदूरों और कर्मियों ने थक हारकर अपना संवैधानिक अधिकार का ही त्याग करना मुनासिब समझा.
मजदूरों और कर्मियों ने वोट नहीं डालने का फैसला लिया़ मुक्तापुर जूट मिल के आसपास वोट बहिष्कार का बैनर लगाकर अपने विरोध का इजहार किया़ जूट मिल के मजदूरों और कर्मियों के इस फैसले में इक्के-दुक्के लोगों को छोड़कर पूरा पंचायत ने साथ दिया़ यहां तक कि पंचायत प्रतिनिधि भी इनके साथ थे.
जूट मिल के पास रामू पासवान और सुरेंद्र पासवान खड़े थे. पूछे जाने पर बताया कि वे जूट मिल के रिटायर्ड कर्मी है़ उन्हें रिटायरमेंट का अबतक कोई लाभ नहीं मिला है़ मेडिकल सुविधा भी बंद है़ कहते हैं ‘मिल बंद वोट बंद’ भागीरथपुर पंचायत में किसी बूथ पर वोट नहीं गिरेगा़ पास ही कुछ मजदूरों का झूंड दिखा़ इन मजदूरों में व्यवस्था के प्रति काफी आक्रोश था.
जैसे उन्हें पता चला की मीडिया वाले हैं. सबों ने नारेबाजी शुरू कर दी़ बारी-बारी अपनी समस्यायें गिनाना शुरू की. मजदूर रविन्द्र प्रसाद, सहदेव पासवान ने बताया कि बोनस ग्रेच्यूटी का एक भी पैसा नहीं मिला है. इन मजदूरों के साथ खड़े पंचायत समिति सदस्य सूरज कुमार ने बताया कि मिल का मालिक मजदूरों के ग्रेच्यूटी, बोनस, पीएफ आदि का 50 करोड़ से अधिक रुपये लेकर कोलकता में बैठा हुआ है.
कुछ दूर आगे बढ़ने पर भागीरथपुर पंचायत के गाढ़ा गांव में एक बरगद के पेड़ के नीचे चबूतरे पर जूट मिल के कुछ मजदूर बैठे हुये थे़ उनके चेहरे उनके मन के दर्द की कहानी बता रही थी, पूछे जाने पर सबों ने अपने को मुक्तापुर जूट मिल का कर्मी बताया. कर्मी सहदेव चौधरी, लखिन्द्र सहनी, जीतनारायण सहनी ने बताया कि दो साल से मिल बंद पड़ा है.
दस साल से ग्रेज्यूटी नहीं मिली है़ लेबर मिस्त्री का काम करके किसी तरह रोटी की जुगाड़ कर रहे हैं. विधायक, सांसद सबों से गुहार लगा चुके किसी ने उनके लिये कुछ नहीं किया़ ऐसे में वोट डालने का क्या मतलब है़? विदित हो 6 जुलाई 2017 से जूट मिल में ताला लटका हुआ है. मिल के 45 सौ श्रमिकों और कर्मियों के सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.