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पहल: बाल विकास विद्यालय का निर्णय, एनसीइआरटी की चलेंगी किताबें

सासाराम शहर: शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान स्थापित करनेवाला बाल विकास विद्यालय ने एक नयी पहल शुरू की है. स्कूल प्रबंधन ने कक्षा एक से 12वीं तक के छात्रों की पढ़ाई के लिए एनसीइआरटी की पुस्तकें अनिवार्य कर दी है. स्कूल की इस कार्रवाई से जहां छात्रों को अपने विषयों की पढ़ाई करने […]

सासाराम शहर: शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान स्थापित करनेवाला बाल विकास विद्यालय ने एक नयी पहल शुरू की है. स्कूल प्रबंधन ने कक्षा एक से 12वीं तक के छात्रों की पढ़ाई के लिए एनसीइआरटी की पुस्तकें अनिवार्य कर दी है. स्कूल की इस कार्रवाई से जहां छात्रों को अपने विषयों की पढ़ाई करने में सहूलियत होगी. वहीं अभिभावकों को अन्य प्रकाशनों की महंगी किताबों को खरीदने से निजात व आर्थिक रूप से सबलता मिलेगी. स्कूल प्रबंधन के कदम की शहरवासियों ने सराहना की है.

हालांकि, इससे पहले शहर के डीएवी पब्लिक स्कूल ने भी एनसीइआरटी की किताबों को लागू कर चुका है. लोगों का मानना है कि वह संस्थान कुछ अलग है. बाल विकास की तरह अन्य स्कूलों को भी इस रास्ते पर चलना चाहिए. अन्य प्रकाशनों की महंगी किताबें अभिभावकों की कमर तोड़ दे रही है. सरकार के सख्त आदेश के बावजूद निजी स्कूलों के मालिक अपने स्कूल परिसर में ही अन्य प्रकाशनों का स्टॉल लगा कर मनमानी दामों पर किताब बेचने से बाज नहीं आ रहे हैं.

बोले अभिभावक
फजलगंज निवासी मंजू उदय सिंह, गौरक्षणी निवासी अनिल सिंह, कालीस्थान निवासी राधेश्याम उपाध्याय व न्यू एरिया निवासी रमेशचंद्र कुशवाहा का कहना है कि बाल विकास विद्यालय के प्रबंधन ने एक नयी पहल शुरू कर छात्रों व अभिभावकों के चेहरे पर खुशी ला दी है. अब किताबों को खरीदने के लिए बहुत ज्यादा पैसा नहीं खर्च पड़ेगा. अन्य निजी स्कूलों को भी एनसीइआरटी की पुस्तकें ही पढ़ाना चाहिए. कमीशन के चलते स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को अन्य प्रकाशन के महंगी किताबों को खरीदने पर मजबूर कर देते हैं. शिक्षा विभाग को भी निजी स्कूलों के मनमानी पर लगाम लगाना चाहिए, ताकि छात्र व अभिभावक दोनों को राहत मिल सके.
बोले स्टूडेंट
स्कूली छात्र-छात्रा अमित, विनय सुजीत, अंकिता, निक्की, प्रिया, अनामिका आदि का कहना है कि स्कूल में एनसीइआरटी की पुस्तकों को अनिवार्य हो जाने से अपने विषयों की पढ़ाई करने में सहूलियत मिलेगी. बाहर के प्रकाशनों की किताबों को खरीदने में काफी पैसे भी खर्च हो जाते थे और उच्च स्तर की पढ़ाई भी नहीं हो पाती थी. अन्य प्राइवेट स्कूलों में भी एनसीइआरटी के किताबों की ही पढ़ाई होनी चाहिए. सरकार को भी स्कूल मालिकों की मनमानी पर नकेल कसनी चाहिए.

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