सहरसा : शहर का रेड लाइट एरिया कभी खिरियाही के नाम से प्रचलित था. खिरियाही मोहल्ला देह व्यापार की बदनाम गलियों में शुमार था. वहां आसपास रहने वाले अच्छे लोगों को भी उसी नजर से देखा जाता था. उस होकर गुजरना लोगों के लिए दूभर था. लोगों ने उस बस्ती का नाम बदल कर परिवर्तन नगर रख दिया. नाम तो बदल गया. लेकिन स्थिति जस की तस बनी रही. मुख्य सड़क के एक किनारे ऊंची-ऊंची बिल्डिंग तो दूसरे किनारे पान की गुमटियां और उस गुमटी पर सजी-संवरी हर आने जाने वाले को निमंत्रण देती धंधे में शामिल लड़की व महिलाएं. गुजरने वाले लोगों का सिर कल भी शर्म से झुका रहता था और आज भी.
लगभग दो दशक पूर्व तक रेड लाइट एरिया एकांत था. बढ़ती आबादी और शहरीकरण के कारण अब इस देह व्यापार मंडी के इर्द-गिर्द संभ्रांत लोगों की पूरी की पूरी बस्ती बस गयी है. लेकिन इन संभ्रांत लोगों का इस मंडी पर कोई फर्क नहीं पड़ा. देह व्यापार का धंधा बदस्तूर जारी रहा. सिर्फ चलता ही नहीं रहा, फलता-फूलता चला गया. इस मंडी में दिल्ली, कोलकाता, सिलीगुड़ी, मुजफ्फरपुर सहित अन्य इलाकों से लड़कियां लायी जाती रही. उसे देह व्यापार के धंधे में झोंका जाता रहा. देह व्यापार के धंधे से जुड़े महिला व पुरुष भी जमीन से आसमान तक पहुंच गये हैं. कल तक झोपड़ियों में रहने वाले दलाल आज महलों में पलंग, सोफा, एसी व चार चक्के वाहनों के मालिक बने बैठे हैं. हालांकि इनके घर पर पुलिस, प्रशासन के साथ-साथ कई सफेद पोशों का आना-जाना लगा रहता है. मानव व्यापार रोकने के लिए बने कई संगठनों ने समय-समय पर पुलिस के सहयोग से यहां से कई लड़कियों को मुक्त भी कराया है. बावजूद मंडी को हटाने की प्रशासन अथवा किसी सामाजिक संगठन की ओर से कभी कोई कवायद नहीं की गयी.