अलर्ट. सोशल मीडिया पर अतिसक्रियता से बचें
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जिंदगियां तबाह करने लगा साइबर अपराध
अलर्ट. सोशल मीडिया पर अतिसक्रियता से बचें कोसी इलाके में भी अब साइबर अपराध बढ़ने लगा है. सोशल मीडिया के जरिये दूसरों को बदनाम किया जा रहा है. इस वजह से नेट पर सक्रिय युवतियां डिप्रेशन का भी शिकार हो रही हैं. ऐसे में सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. अनजान लोगों से दोस्ती से बचें. […]
कोसी इलाके में भी अब साइबर अपराध बढ़ने लगा है. सोशल मीडिया के जरिये दूसरों को बदनाम किया जा रहा है. इस वजह से नेट पर सक्रिय युवतियां डिप्रेशन का भी शिकार हो रही हैं. ऐसे में सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. अनजान लोगों से दोस्ती से बचें. अपनी महत्वपूर्ण जानकारी किसी से शेयर न करें.
सहरसा : कोसी इलाके के छोटे से शहर सहरसा में मिडिल क्लास परिवार में पली बढ़ी शालिनी (काल्पनिक नाम) महज 22 वर्ष की उम्र में इंजीनियर बनने का सपना लेकर साल भर पहले महानगर पटना पहुंची थी. माता-पिता के उम्मीदों का बोझ व स्वयं के सपनों में जान भरने के लिए घर से दूर पहुंची शालिनी के लिए बड़े शहरों की बनावट व लोगों के जीने का सलीका नया था. शुरुआती दौर में पढ़ाई के प्रति समर्पण का भाव रखने वाली शालिनी कॉलेज से लेकर कोचिंग संस्थानों में निरंतर लक्ष्य की तरफ अग्रसर हो रही थी. इसी बीच साथ पढ़ने वाले लड़के व लड़कियों से गांव की इस लड़की की दोस्ती होने लगी.
हालांकि इन दोस्तों से शालिनी अक्सर पढ़ाई के सिलसिले में ही मिलती थी. कभी कभार कॉलेज के कैंटिन व रेस्त्रां में शालिनी अपने माता-पिता की मर्जी से दोस्तों की पार्टी में शामिल होने लगी. गांव से शहर पहुंची शालिनी को भी दोस्तों के स्मार्ट फोन यूज करना तो कभी उनके मोबाइल में सेल्फी लेने की आदत लगने लगी. उससे पहले घर के लोगों से रोजाना होने वाली बात साप्ताहिक होने लगी. इधर रोजाना की दिनचर्या में दोस्तों से देर रात तक गपशप शामिल होने लगा. साल भर के अंतराल में ही शालिनी के फोन बुक में रिश्तेदारों से ज्यादा मित्रों के नंबर सेव होने लगे. जिसमें ज्यादातर वैसे पुरुष मित्र शामिल थे, जिनसे रोजाना कॉलेज व कोचिंग में शालिनी की मुलाकात होती थी.
पहली बार किया बर्थडे सेलिब्रेशन
बीते चार माह पूर्व शालिनी रोजाना की तरह अपने ग्लर्स होस्टल से कॉलेज पहुंची थी. कॉलेज में दोस्तों को नहीं देख उन्हें सर्च करती कैंटिन पहुंची तो वहां का नजारा बिलकुल बदला-बदला था. कैंटिन की दीवार से लेकर टेबुल तक हैप्पी बर्थडे शालिनी के नामों से पटे थे. शालिनी अपने बर्थडे पर मिले इस सरप्राइज पार्टी से अंचभित थी. घर से दूर रहने की वजह से एक पल के लिए भावुक भी हो गयी थी. यही वो लम्हा था कि कॉलेज का सबसे स्मार्ट लड़का रितेश शालिनी के करीब आने लगा.
शुरुआती दौर में शालिनी को इस बात का अंदाजा भी नहीं चला लेकिन रितेश धीरे-धीरे शालिनी के दिनचर्या में शामिल होता गया. इसके बाद इन दोनो की दोस्ती को लेकर कॉलेज में गॉशिप आम बात बन कर रह गयी. कुछ समय बाद शालिनी को भी रितेश की बातें उसके द्वारा गिफ्ट किये गये स्मार्ट फोन सबकुछ अच्छा लगने लगा. इन बातों की खबर शालिनी के घरवालों को नहीं लग सकी. कॉलेज की छुट्टियों में सहरसा आने पर अक्सर रितेश के मैसेज आते रहते थे. दूसरी तरफ रितेश शालिनी को लेकर ज्यादा गंभीर रहने लगा. हालांकि शालिनी भी इन बातों को समझने लगी व रितेश से दूरी बनाने लगी.
फिर रचने लगा एक साजिश
रितेश ने जब शालिनी को अपने से दूर जाता देखा, तो उसे बदनाम करने के लिए साइबर क्राइम को हथियार बनाया. इसके बाद शालिनी के नाम से सोशल मीडिया में फेंक आइडी बना अभद्र बातें पोस्ट करने लगा. यह सिलसिला यहीं नहीं थमा, उसने शालिनी के सभी मोबाइल नंबर भी पोस्ट करने शुरु कर दिये. शरारती लोग उस पर भद्दे कमेंट भी देने लगे. बात धीरे-धीरे शालिनी के घर तक पहुंचने लगी. शालिनी भी रितेश की हरकतों से डिप्रेशन में रहने लगी. मामला पुलिस के पास पहुंचा तो ऐसे कई मामले सामने आये. जिसमें कम उम्र के लड़के व लड़कियां खेल-खेल के चक्कर में सोशल मीडिया पर शोषण के शिकार हो रहे हैं.
बच्चों पर रखनी होगी नजर
सोशल साइट्स के मामलों में अक्सर देखा जाता है कि इस सबसे अभिभावक अनजान रहते हैं. जिसके कारण वह अपनी बात भी सही ढ़ंग से पुलिस या महिला हेल्पलाइन में नहीं रख पाते हैं. उन्हें यह पता भी नही रहता है कि उनके बच्चे मोबाइल का उपयोग करते हैं या नहीं. लेकिन जब मामला पुलिस के पास या महिला हेल्पलाइन में जाता है तो काउंसेलिंग के दौरान अभिभावक के चेहरे पर परेशानी झलकती है. जब उन्हें पता चलता है कि उनके बच्चे वर्षों से मोबाइल व सोशल साइट्स का उपयोग कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार, अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई के लिए बाहर भेजते हैं. जहां वह गलत संगत में पड़ने लगता है और अपने सहपाठी का देखादेखी करने के लिए महंगे मोबाइल व पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण करने से परहेज नहीं करते. इधर अभिभावक बच्चे के बाहर रहकर पढ़ने व कुछ करने की सपना संजोये रहते हैं कि कुछ वर्ष के बाद उनके बच्चे कुछ बनकर आयेंगे. लेकिन कुछ वर्ष के बाद ही उन्हें निराशा हाथ लगती है. जानकारों के अनुसार इस भागमभाग भरी जिंदगी में अभिभावक बच्चों की मांग की पूर्ति कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं. उन्हें महीने में भी एक बार बच्चों के पास जाकर देखने की फुर्सत नहीं होती है. जिसका फायदा बच्चे खूब उठा रहे हैं. जानकार कहते हैं कि बच्चे यदि घर से बाहर जा रहे हैं तो उसपर ध्यान देना आवश्यक है कि वह स्कूल, कोचिंग के बहाने कहीं और तो नहीं जा रहे हैं.
सोशल साइट्स जहां आम लोगों की जीवनशैली में सकारात्मक पहल भी करती है, वहीं इसके दुष्प्रभाव भी सामने आ रहे हैं. इसका गलत उपयोग कब आपको परेशानी में डाल देगा कहना मुश्किल है. सोशल साइट्स के जानकार सोमू आनंद बताते हैं कि सोशल साइट्स पर लोग अपना फ्रेंड लिस्ट में अधिक से अधिक संख्या देखने के लिए अनजान लोगों के फ्रेंड रिक्वेस्ट को भी कन्फर्म कर देते हैं. खासकर इन दिनों लड़की के नाम पर व लड़की का फोटो लगा कुछ असमाजिक तत्व सोशल साइट्स पर अपनी आइडी बना कर लड़की को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं.
प्रतिमाह ऐसा मामला सामने आता है. मामला सामने आने के बाद पहले तो युवती का काउंसेलिंग कर अभिभावकों को समझा बुझाकर उसकी परेशानी दूर की जाती है और कार्रवाई के लिए मामला पुलिस के पास भेज दिया जाता है.
-मुक्ति श्रीवास्तव, प्रबंधक महिला हेल्पलाइन
मामला साइबर क्राइम का है. इस तरह के मामले सामने आने के बाद साइबर क्राइम के पास भेज दिया जाता है. जिले में इस मामले के उद्भेन के लिए कोई संसाधन नहीं है.
-सुबोध विश्वास, सदर एसडीपीओ
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