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बाजारीकरण पर लगे प्रतिबंध

सहरसा : स्थानीय स्टेडियम परिसर स्थित धरना स्थल पर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षक नेताओं ने अपने राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत आठ सूत्री मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना दिया. शनिवार को आयोजित धरना के माध्यम से शिक्षक नेताओं ने अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षक संघ महासंघ के 25 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में लिए […]

सहरसा : स्थानीय स्टेडियम परिसर स्थित धरना स्थल पर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षक नेताओं ने अपने राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत आठ सूत्री मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना दिया. शनिवार को आयोजित धरना के माध्यम से शिक्षक नेताओं ने अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षक संघ महासंघ के 25 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में लिए गये प्रस्ताव के आलोक में इस राज्यव्यापी धरना के तहत सभी प्रखंड मुख्यालयों में धरना दिया.

संघ के राज्य कार्यकारिणी सदस्य सह कोसी माध्यमिक शिक्षक संघ के वरिष्ठ सचिव सुरेश सिंह ने कहा कि देश के सभी सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण व समावेशी शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नियमित व अहर्ता प्राप्त प्रशिक्षित शिक्षकों की अविलंब नियुक्ति कर पारा शिक्षक, संविदा शिक्षक, नियोजित शिक्षकों की अवधारणा को खत्म कर सामान काम के अनुरूप समान वेतनमान की व्यवस्था की जाये. उन्होंने कहा कि देश के 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 को संशोधित करते हुए सभी 18 वर्ष तक के छात्र-छात्राओं के लिए 12 वीं तक की शिक्षा नि:शुल्क व अनिवार्य रूप से लागू किया जाय.

संघ के संयुक्त सचिव विद्यानंद यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 1968 व 1986 में राष्ट्रीय बजट के अनुरूप सकल घरेलू उत्पाद का छह प्रतिशत शिक्षा पर व्यय करने की सिफारिश व संप्रग सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम इसे स्वीकार किये जाने के बावजूद जो लागू नहीं किया गया है. अब इसे छह प्रतिशत से बढ़ा कर दस प्रतिशत किये जाने की आवश्यकता जतायी. ताकि राष्ट्रीय बजट में सकल घरेलू उत्पाद के दस प्रतिशत व राज्यों के बजट में तीस प्रतिशत शिक्षा पर व्यय सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

संघ के कोसी प्रमंडल अध्यक्ष रंजीत प्रसाद सिंह व सचिव कमलेश्वरी यादव ने देश में शिक्षा के सुदृढ़ीकरण को लेकर कहा कि देश में बच्चों को शिक्षा का संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित करते हुए सार्वजनिक धन पर आधारित सामान स्कूल प्रणाली की शिक्षा पद्धति लागू की जानी चाहिए, ताकि देश के गरीब व अमीर वर्ग के सभी बच्चे एक साथ शिक्षा का मौलिक अधिकारी प्राप्त कर सके. वही शिक्षक नेताओं ने देश में बढ़ रहे शिक्षा के निजीकरण व बाजारीकरण पर चिंता व्यक्त करते हुए इस पर प्रतिबंध लगाये की मांग सरकार से की.

धरने के माध्यम से राज्य के मुख्य सचिव द्वारा देश के प्रधानमंत्री को सौंपे गये ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के नियमों के तहत चुनाव, जनगणना व आपदा जैसे कार्य में शिक्षकों से काम लेने जैसे शिक्षणोतर कार्यो पर अविलंब रोक लगायी जाये. साथ ही स्कूलों में संचालित की जानेवाली मध्याह्न् भोजन, भवन निर्माण जैसे कार्यो से भी शिक्षकों को मुक्त रखने की मांग की गयी. धरना में राज्य कार्यकारिणी सदस्य शिक्षक नेता गोपाल जी, प्रभाकांत झा, रणवीर सिंह, सौर प्रखंड के सचिव संजय कुमार, कहरा के मनोरंजन सिंह, मिश्री लाल यादव, कामेश्वर यादव आदि मौजूद थे.

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