शहर में है पहल की जरूरत
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पशुओं से बच कर सफर करते हैं शहर के लोग
शहर में है पहल की जरूरत आवारा पशुओं को पकड़ने में नाकाम साबित हो रही नप नगर परिषद के पास समस्याओं के निदान की कार्ययोजना नहीं सहरसा : आमतौर पर लोगों का झुंड यदि एक साथ बैठकर गप्पें हांकता मिलता है तो लोगों के मुंह से बरबस निकल आता है, क्यों भाई किस बात की […]
आवारा पशुओं को पकड़ने में नाकाम साबित हो रही नप
नगर परिषद के पास समस्याओं के निदान की कार्ययोजना नहीं
सहरसा : आमतौर पर लोगों का झुंड यदि एक साथ बैठकर गप्पें हांकता मिलता है तो लोगों के मुंह से बरबस निकल आता है, क्यों भाई किस बात की पंचायत हो रही है. इस नजरिये से शहर की सड़कों पर आवारा पशुओं की पंचायत लगती है. इनके लिए कोई जगह तय नहीं है. जब, जहां इनकी मर्जी होती है पंचायत लगा देते हैं. शहरवासियों के लिए यह सबसे बड़ी समस्या है. मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक में इन आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. ये सड़क पर ब्रेकर की तरह पड़े रहते हैं. इन आवारा पशुओं से निबटने के लिए नगर परिषद कतई संजीदा नजर नहीं आ रहा.
इनकी गैर संजीदगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ऐसे पशुओं के लिए बने गौशाला की स्थिति बदतर है.
बढ़ती ही जा रही संख्या
नगर परिषद के अंतर्गत आने वाले 40 वार्डों में विभिन्न चौक-चौराहों पर दर्जनों की संख्या में आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. इससे आने-जाने वालों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन आवारा पशुओं से निबटने के लिए नगर परिषद के पास कोई कार्ययोजना फिलहाल नहीं है और न ही ऐसे पशुओं को पकड़कर रखने की कोई व्यवस्था है. आवारा जानवरों की संख्या सड़कों पर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.
कचरे के ढ़ेर को देते आमंत्रण
सड़कों के विभिन्न चौक-चौराहे पर दुर्गंध देते कचरों की ढ़ेर पर गायें, बकरियों, सूअरों तथा कुत्तों की पंचायत सी लगी नजर आना आम बात हो गयी है. रोड जाम की प्रमुख वजह यह भी है कि कुछ जानवर आराम फरमाने के लिए सड़कों के बीचोंबीच पसरे रहते हैं. इससे जाम की समस्या तो होती ही है, आये दिन आने-जाने वाले वाहनों व लोगों के लिए मुसीबत का सबब भी बन जाता है. इस कारण कई बार वाहन चालक दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं.
शहर के जिस रास्ते से भी होकर गुजरा जाय, ऐसे दर्जनों आवारा जानवर मटरगश्ती करते मिल जाते हैं. ऐसे आवारा जानवरों के बीच से होकर लोग चलने को मजबूर हैं. लोगों को हमेशा यह डर सताता रहता है कि पता नहीं, कब कौन गाय की झुंड में से सींग मार दे या फिर कोई कुत्ता ही काट खाये. बस ये होता है कि पंचायत करते हुए जानवरों एवं नगर परिषद की व्यवस्था को कोसते हुए अपने गंतव्य की ओर लोग निकल पड़ते हैं. इन जानवरों की समस्या लोगों के लिए यही समाप्त नहीं होती. अधिकांश मोहल्लों में पागल कुत्ते के उत्पात से मोहल्लेवासी त्रस्त हैं. कुत्तों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है.
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