उदासीनता. 19 साल पूर्व मत्स्यगंधा जलाशय के उद्घाटन पर िवशिष्ट अितथि बने थे लालू यादव
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अतिथि की गरिमा को बचाइए मंत्री जी
उदासीनता. 19 साल पूर्व मत्स्यगंधा जलाशय के उद्घाटन पर िवशिष्ट अितथि बने थे लालू यादव दो मार्च 1997 को तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद ने मत्स्यगंधा जलाशय परियोजना का लोकार्पण किया था. लेिकन आज तक परियोजना के जीर्णोद्धार का कोई प्रयास नहीं िकया गया. सहरसा : 19 साल पूर्व दो मार्च 1997 को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू […]
दो मार्च 1997 को तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद ने मत्स्यगंधा जलाशय परियोजना का लोकार्पण किया था. लेिकन आज तक परियोजना के जीर्णोद्धार का कोई प्रयास नहीं िकया गया.
सहरसा : 19 साल पूर्व दो मार्च 1997 को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने मत्स्यगंधा जलाशय परियोजना का लोकार्पण किया था. राज्य सरकार के तत्कालीन खान व भूतत्व मंत्री शंकर प्रसाद टेकरीवाल उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि बने थे. वहीं तत्कालीन सांसद दिनेश चंद्र यादव, सोनवर्षा के तत्कालीन विधायक अशोक कुमार सिंह, महिषी के एमएलए प्रो अब्दुल गफूर, सिमरी बख्तियारपुर के तत्कालीन विधायक चौधरी महबूब अली कैसर व मधेपुरा के विधायक परमेश्वरी प्रसाद निराला विशिष्ट अतिथि बन मंच पर विराजमान थे.
आज स्थिति यह है कि विशिष्ट अतिथि बने तत्कालीन सांसद दिनेश चंद्र यादव सिमरी बख्तियारपुर से सत्ताधारी दल के एमएलए हैं. प्रो अब्दुल गफूर महिषी से ही एमएलए व सरकार में काबीना मंत्री हैं, जबकि सिमरी के तत्कालीन विधायक महबूब अली कैसर अब खगड़िया से सांसद हैं. अशोक कुमार सिंह अभी विधायक तो नहीं हैं, लेकिन सत्ताधारी प्रदेश राजद के वरीय व प्रभावी नेताओं में उनकी गिनती होती है. सभी विशिष्ट अतिथियों का सत्ता में पद व प्रभाव बना रहा. लेकिन उनके आतिथ्य में उद्घाटित परियोजना का दुर्भाग्य नहीं बदल पाया. उनके द्वारा परियोजना के जीर्णोद्धार का कोई प्रयास भी नहीं दिख रहा है.
अद्भुत थी जलाशय की छटा
साल 1996 में जिले के विकास योजनाओं की 54 लाख रुपये की राशि से बने मत्स्यगंधा जलाशय की छटा अद्भुत थी. जिले के एकमात्र श्मसान स्थल पर डेढ़ किलोमीटर लंबी व आधी किलोमीटर झील में रंग-बिरंगे मोटरबोट, पतवार बोट व पैडल वोट तैरते रहते थे. झील के बीच बने फाउंटेन (फव्वारा) से रंग बिरंगी रोशनी लोगों को आकर्षित करती रहती थी. चारों ओर बने परिक्रमा पथ सहित जगह-जगह बनी सीढ़ियां व बेंच लोगों को सुकून देते थे. वहीं परिसर में लगाये गये कतारबद्ध, छायेदार व दुर्लभ पेड़ शैलानियों को शीतलता प्रदान करते थे. झील के चारों ओर बिजली की जगमगाहट से कभी श्मसान रहा वह क्षेत्र रमणीक स्थल में परिणत हो चुका था. विद्यालय के बच्चे यहां पिकनिक मनाने आते थे तो अपने अतिथियों को भी सैर कराने लोग यहीं लेकर आते थे.
बहुद्देश्यीय परियोजना के जीर्णोद्धार की नहीं दिख रही कोई सुगबुगाहट
टीएन के साथ ही चली गयी रौनक
मत्स्यगंधा जलाशय के जनक तत्कालीन डीएम टीएन लाल दास जब तक रहे, तब तक परियोजना की रौनक बनी रही. उनके स्थानांतरण के बाद ही जलशय की उल्टी गिनती होने लगी. पहले झील में पानी डालना बंद किया गया. फिर बिजली काटी गयी, जिससे फव्वारे की रौनक चली गयी. उसके बाद एक रुपये के शुल्क पर नाव की सैर को बंद कर दिया गया. क्षतिग्रस्त हुए वोटों की मरम्मती बंद कर दी गयी. जलपरी (मोटरवोट) को किनारे लगा दिया गया. पूछने पर प्रशासन ने यह कहना शुरू किया कि पहले झील में प्रयुक्त जमीन के रैयतों को मुआवजे के बाद ही इसका पुनरुद्धार किया जायेगा. फिर कहा जाने लगा कि एक करोड़ रुपये का डीपीआर बन रहा है. डीपीआर तैयार होते ही जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हो जायेगा, लेकिन टीएन लाल दास के बाद 16 और डीएम आये. सभी रैयतों का भुगतान भी हो गया, लेकिन मत्स्यगंधा की रौनक नहीं लौटायी जा सकी.
नीतीश कुमार ने भी की थी घोषणा
साल 2012 में सेवा यात्रा के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी सुबह की सैर के लिए मत्स्यगंधा गये थे, जहां परियोजना की दुर्दशा देख उन्होंने वहीं से पर्यटन विभाग के एक्सपर्ट को पटना से बुलवाया और तत्काल डीपीआर बनाने का आदेश दिया. नीतीश ने कहा था कि पहले से बेहतर मत्स्यगंधा बनेगा और यहां के लोग एक बार फिर झील का आनंद ले सकेंगे, लेकिन 16 वर्षों से दुर्दशा का दंश झेल रहे मत्स्यगंधा की तसवीर नहीं बदली जा सकी है. लोगों की निगाह अब सरकार में शामिल जनप्रतिनिधियों पर टिकी हुई है. वीरेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि उद्घाटन के समय विशिष्ट अतिथि बने लगभग सभी माननीय अभी भी सत्ता में प्रभावशाली है. वे चाहें तो शहर की इस संपत्ति में जान फूंकी जा सकती है.
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