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सहरसा जिले में निजी चिकित्सक हड़ताल पर
सहरसा : कहते हैं कि डॉक्टर ही धरती के भगवान हैं, उनके हाथों में ही धरती पर रह रहे मानव प्रजाति के प्राण रक्षा करने की जिम्मेवारी होती है. शुक्रवार को जिले के निजी चिकित्सकों की हड़ताल के कारण घर से गंभीर मर्ज लिए नर्सिंग होम पहुंचे मरीज पीड़ा से छटपटाते दिखे. वहीं डॉक्टर अपनी […]
सहरसा : कहते हैं कि डॉक्टर ही धरती के भगवान हैं, उनके हाथों में ही धरती पर रह रहे मानव प्रजाति के प्राण रक्षा करने की जिम्मेवारी होती है. शुक्रवार को जिले के निजी चिकित्सकों की हड़ताल के कारण घर से गंभीर मर्ज लिए नर्सिंग होम पहुंचे मरीज पीड़ा से छटपटाते दिखे.
वहीं डॉक्टर अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन में व्यस्त रहे. शहर के नया बाजार, बनगांव रोड, मीरा सिनेमा रोड, राइस मिल सहित अन्य जगहों पर संचालित होने वाले निजी अस्पतालों का मुख्य द्वार सुबह से ही बंद रहा. मरीज व उनके परिजन डॉक्टर के इंतजार में इधर-उधर भटकते रहे. हालांकि सदर अस्पताल में सभी ओपीडी, आपातकालीन सेवा बहाल रहने की वजह से मरीजों को ज्यादा परेशानी नहीं हुई.
नया बाजार के चिकित्सक डॉ ब्रजेश सिंह को मिली रही लगातार धमकी के बाद डॉक्टर सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग को लेकर आक्रोशित हो गये हैं.
दिन भर लगी रही आवाजाही
ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के लोगों को जब तक स्ट्राइक की जानकारी हुई. तब तक डॉक्टर के पास मरीजों की भीड़ लग चुकी थी. लेकिन बंदी की वजह से कुछ मरीज वापस होते गये. कहरा प्रखंड के प्रो एसएन झा ने कहा कि निजी डॉक्टरों का स्ट्राइक कहीं से जायज नहीं है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर अपना काम करते हुए भी अधिकार की लड़ाई लड़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि बड़े शहरों में स्ट्राइक की वजह से ही कॉरपोरेट अस्पतालों की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. बड़े-बड़े ग्रुप अस्पताल खोल रहे हैं. जहां मरीजों को कभी भी स्ट्राइक जैसी समस्या से दो-चार नहीं होना पड़ता है.
दूसरी सेवा पर भी दिखा असर
डॉक्टरों की हड़ताल का असर दवा दुकान, जांच घर के अलावा पास के होटलों पर भी देखने को मिला. नया बाजार स्थित सिटी गेस्ट हाउस के प्रबंधक ने बताया कि हड़ताल की वजह से बीते दो दिनों से इलाज के लिए ठहरे मरीज व उनके परिजन वापस जा रहे हैं. इसके अलावा होटलों में खाना खाने वालों की तादाद भी शुक्रवार को काफी कम रही.
फोटो- हड़ताल 1- नया बाजार में बंद नर्सिंग होम के बाहर खड़े मरीज
डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीज व उनके परिजनों में काफी आक्रोश है. लोगों का कहना है कि हड़ताल का कारण प्रशासनिक गलती है, जबकि परेशान मरीजों को किया जाता है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर को इस मामले में संवेदनशील बनना चाहिए. चिकित्सा करते हुए भी विरोध दर्ज किया जा सकता है. इसके अलावा हड़ताल की जानकारी दो दिन पूर्व देनी चाहिए, ताकि गंभीर मरीजों को उपचार के लिए ससमय अन्यत्र ले जाया जा सके.
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