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पशुओं को ले जा रहे पशुपालक
सिमरी बख्तियारपुर : कोसी नदी में लगातार पानी बढ़ने व नेपाल द्वारा लगातार पानी छोड़ने के कारण संभावित बाढ़ के खतरे को लेकर पशुपालक पशुओं के साथ पलायन करने लगे हैं. सर्वाधिक पशुओं का पलायन कोसी क्षेत्र से हो रहा है. कई पशुपालक पशुओं को ओने पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं. पानी आने […]
सिमरी बख्तियारपुर : कोसी नदी में लगातार पानी बढ़ने व नेपाल द्वारा लगातार पानी छोड़ने के कारण संभावित बाढ़ के खतरे को लेकर पशुपालक पशुओं के साथ पलायन करने लगे हैं. सर्वाधिक पशुओं का पलायन कोसी क्षेत्र से हो रहा है. कई पशुपालक पशुओं को ओने पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं.
पानी आने से पूर्व 45 से 50 हजार की भैंस पशुपालकों द्वारा 12 से 15 हजार में बेची जा रही है. यही स्थिति गाय और अन्य पालतू जानवरों की भी बनी हुई है. कोसी तटबंध के अंदर रहने वाले पशुपालक अपने पशुओं को बचाने के लिए कोसी तटबंध व रेलवे ट्रैक सहित ऊंचे स्थानों पर पलायन कर जान बचा रहे हैं. सड़कों पर झुंड का झुंड मवेशियों को पलायन करते देखा जा रहा है. कोसी तटबंध के अलानी चानन. सहरिया रागिनियां का भूभाग बाढ़ प्रभावित है. इन इलाकों में मवेशियों के लिए चारा की समस्या है. बाढ़ के कारण पशुओं में फैलने वाली बीमारी की आशंका से पशुपालक परेशान हैं. पशुओं को बचाने के लिए पशुपालक उन्हें बेचने को मजबूर हैं. जहां खरीदार मजबूरी का फायदा उठाकर औने-पौने दाम में पशुओं को खरीद रहे हैं. कल तक जहां पशुओं की आबादी होती थी, वहीं पशुओं को बांधने वाला खूंटा ही नजर आ रहा है.
चारा की नहीं है व्यवस्था: कोसी का अधिकांश इलाका टापू में तब्दील हो जाने के कारण पशुपालक पशुओं के लिए चारा की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. पशुपालक हरदेव यादव, योगेंद्र, धर्मवीर यादव, सुरेश यादव ने बताया कि हम लोगों को चारा की कमी नहीं होती थी. लेकिन पानी आ जाने के कारण चारों ओर का चारा पानी में डूब गया. पशुपालकों ने जिला प्रशासन से पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करने की मांग की है.
दूध की हो रही है कि किल्लत : कोसी के अधिकांश क्षेत्रों में दूध उपलब्ध करा रहे धमारा घाट के रेलवे स्टेशन के समीप स्थित दूध सेंटर आज बाढ़ के कारण डूब चुका है. यही कारण है कि पशुपालक अपने पशुओं का दूध लोगों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ, सहरसा, बनगांव, महिषी, मधेपुरा तक यहां के पशुपालक दूध पहुंचाते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं हो पा रहा है. इसके कारण दूध की किल्लत होने लगी है.
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