सहरसा: आज मकर संक्रांति है. इसी के साथ हिंदुओं की धार्मिक आस्था का सभी त्योहार शुरू हो जायेगा. किसी विशेष कार्य के लिए शुभ मुहूर्त भी मकर संक्रांति के बाद से ही देखा जाने लगेगा. इन सबों के अलावे संक्रांति के बाद से ही छोटा दिन तिल-तिल कर बढ़ता जायेगा. ठंड का प्रभाव भी घटता जायेगा. कई सार्थक महत्वों को समेटने वाले इस त्योहार को लेकर हिंदू धर्मावलंबियों में खासा उत्साह है. घरों में दही-चूड़ा, शक्कर, तिलकुट व लाई बनाने की तैयारी की जा रही है.
लिहाजा बाजारों में इन सभी सामग्रियों की बिक्री चरम पर रही. दही जमाने के लिए दूध की मांग सामान्य दिनों की अपेक्षा कई गुणा बढ़ गयी. पैकेट बंद दूध ने लोगों की आवश्यकता को पूरा किया.
घरों में होगी खास पूजा
मकर संक्रांति पर हिंदुओं के घर में गृह देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना होगी. उन्हें चावल, तिल, केले व शक्कर का भोग लगाया जायेगा. उसी को प्रसाद के रूप में घर के सदस्यों को बांटे जाने की परंपरा है. प्रसाद देने के साथ घर के बड़े-बूढ़े बच्चों से अपना धर्म निभाने का वचन लेते हैं. बच्चे व छोटे वचन स्वीकार कर उस प्रसाद को ग्रहण करते हैं व बड़ों को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं. ऐसा माना जाता है कि साल का शुभ दिन संक्रांति से ही शुरू होता है. अच्छे कार्यो की शुरुआत के लिए इस दिन तक का इंतजार किया जाता है.
दही-चूड़ा, शक्कर व केला
मकर संक्रांति पर घर-घर दही-चूरा और शक्कर खाने का प्रचलन है. लिहाजा लोगों ने अपने पसंद के चूड़े की खरीदारी कर ली है. दूध खरीद भी घर में ही जमा लिया गया है.
मिठास व गरमी के लिए चीनी की जगह शक्कर का प्रयोग होता है. इस व्यंजन को और भी स्वादिष्ट बनाने के लिए तिलकुट को भी शामिल कर लिया जाता है. मकर संक्रांति के खास व्यंजन में चूड़ा, मूरही एवं उजले व काले तिल के लाई का विशेष स्थान होता है.
सात दालों से बनेगी खिचड़ी
सामान्य दिनों में घर में बनने वाली खिचड़ी में एक से दो तरह के दाल डाले जाते हैं, लेकिन मकर संक्रांति पर बनने वाली खिचड़ी में चना, अरहर, मसूर, मूंग, उड़द, मटर, एवं कुरथी सात तरह के दाल डाल कर उसे विशेष स्वादिष्ट बनाया जाता है. सोमवार को दाल की दुकान पर भी सुबह से शाम तक ग्राहकों की भीड़ बनी रही.
सूर्य की होती है उपासना
मकर संक्रांति पर्व से सूर्य दक्षिणायन की अपनी स्थिति छोड़ उत्तरायण होने लगता है. आज के बाद से धीरे-धीरे सूर्य की किरणों में तपिश बढ़ती जायेगी और रात की अपेक्षा दिन बड़ा होता जायेगा. ऐसा माना जाता है कि हिंदू धर्म के अधिकांश देवताओं का निवास स्थान उत्तरी गोलार्ध में है.
इसीलिए सूर्य के उत्तरायण प्रवेश की तिथि को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जो काफी शुभ माना जाता है और इसीलिए मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. प्रत्येक वर्ष जनवरी माह के 14 तारीख को ऐसी स्थिति आती है.