सहरसा : मुख्यालयनगर परिषद क्षेत्र में पर्याप्त जगह होने के बावजूद यहां का बाल विकास परियोजना कार्यालय कहरा प्रखंड मुख्यालय में चल रहा है. शहरी क्षेत्र में खोले गये अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्र या तो बंद रहते हैं या अनियमितता का केंद्र बने हुए हैं. जिले के कुल 83 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए सरकार प्रत्येक माह 14 लाख रुपये देती है.
लेकिन किसी भी केंद्र पर गर्भवती महिलाओं, कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को प्रदत्त पोषक तत्वों का वितरण नहीं किया जाता है. आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन में व्याप्त अनियमितताओं को लेकर नगर परिषद की उपसभापति ने जिला पदाधिकारी को आवेदन देकर शिकायत की है. उन्होंने कहा है कि समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव द्वारा निर्गत आदेश के बाद भी डीपीओ व सीडीपीओ की मनमानी बरकरार है.
नये सिरे से आंगनबाड़ी विकास समिति का गठन करने का सरकार का स्पष्ट निर्देश था. जारी संशोधित आदेश में चयनित लाभुक में से साक्षर महिला के संयुक्त हस्ताक्षर से बैंक खाते का संचालन करने की बात कही गयी है, लेकिन आदेश के छह माह बाद भी न तो विकास समिति का गठन किया गया और न ही संयुक्त खाते ही खुले हैं.
उपसभापति ने डीएम को बताया है कि कुल 83 में से 90 फीसदी केंद्र सेविका अपने घर में चलाती है, जबकि सरकार केंद्र का किराया भी देती है. दस फीसदी लाभुकों को भी पोषाहार नहीं देने की शिकायत की गयी है. उन्होंने केंद्रों की जांच कर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की मांग की है. फोटो- आंगनबाड़ी 2- वार्ड नंबर 27 का बंद पड़ा आंगनबाड़ी केंद्र