नियम पूर्वक करें लक्ष्मी का आवाहन धनतेरस व लक्ष्मी पूजा पर रखे कुछ सावधानियां श्रुतिकांत,सहरसापुराणों में विदित है कि लक्ष्मी चंचला होती है, कही एक स्थान पर टिकती नहीं है. ऐश्वर्य, प्रकाश, भाग्य एवं सुख समृद्धि के देवी के रूप में महालक्ष्मी सदैव भक्तों के लिए सुलभ है. दीपावली और धनतेरस लक्ष्मी से जुड़ा आनंद दायक प्रकाश उत्सव है. जहां धनतेरस पर चांदी सोना या अन्य वस्तुएं खरीदते हैं. वही दीपावली में दीप जला प्रकाश की देवी के आगमन के लिए अपने परिजनों संग हिंदू रीतिरिवाज के अनुसार स्वागत के लिए तैयार रहते है.कैसे रखें मूर्ति और करें पूजा किसी उंचे स्थान पर लक्ष्मी संग गणेश की मूर्ति रख कर उसके सामने सोना, चांदी, पीतल या मिट्टी का कलश रख उसे आम के पल्लव से सुशोभित किया जाता है. ध्यान रहे कि कलश का तीन भाग जल से भरा होना चाहिए. नारियल को वस्त्र में लपेट कलश पर रखे. कपड़े का रंग पीला या लाल होना चाहिए. मान्यता यह भी है कि कलश के ऊपर छोटी प्लेट रख उसमें धान, पांच पल्लव, सिक्का, हल्दी, चंदन, सिंदूर भी रखा जाता है. जो नारियल रखते है, वे लक्ष्मी माता को समर्पित वस्त्र के एक सिरे पर इन चीजों को रख कर समर्पित करते है. फूलों से अच्छे तरीके से सजा उन्हें माला अर्पित करे. पान के पत्ते, सुपारी सहित कलश पात्र पर चढ़ावे साथ ही फल एवं मिठाइयों का भोग लगा आरती अवश्य करें. कुछ मान्यताएं और भी हैं व्यापार में यदि वृद्धि न दिखे तो लक्ष्मी के पूजा में काला उड़द काली तील, गुड़, घी से पंचोपचार पूजा कर लक्ष्मी का आह्वान कर, प्राण प्रतिष्ठा करे. तत्पश्चात आरती कर ब्राह्मणों को दान दें. सुख समृद्धि के लिए आवश्यक है कि कलश के सामने तांबा या पीतल की थाली में पंचामृत एवं कुछ स्वर्ण आभूषण या चांदी के आभूषण संग लक्ष्मी की स्थापना करे. पंचामृत में दूध दही घी अथवा मक्खन, शहद एवं जल का प्रयोग कर उससे पूजा करे. सभी प्रकार के व्यापारिक उन्नति एवं गृह कलेश के शांति के लिए ऐसी मान्यता भी है कि लक्ष्मी गणेश के मूर्ति के दोनों तरफ दो हाथी हो, आभूषणों से युक्त देवी लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति कॉटन के धागे में पिरोई गई गेंदा फूल का माला अवश्य चढ़या जाय एवं धान से तैयार लावा मूर्ति के सामने अवश्य रखी जाये. आरती में ताली भी अवश्य बजायें. मंत्र के साथ करें दीप प्रज्वलित दीप मंत्रों के उच्चारण के साथ प्रज्वलित किया जाये, जिसे पूजा स्थान और घर एवं दुकान के प्रवेश द्वार पर अवश्य रखे.दीप ज्योति परम् ब्रह्मदीप ज्योति जनार्दनम्दीपो हरातु भी पापम् दीप ज्योति नमोस्तुतो जिन्हें अंधकार एवं मृत्यु का भय सताता हो वह ग्यारह दीप रात्रि दस बजे के बाद शमशान भूमि या एकांत तिराहे पर जला दे. कहा जाता है कि इससे भय का क्षय हो जाता है.
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नियम पूर्वक करें लक्ष्मी का आवाहन
नियम पूर्वक करें लक्ष्मी का आवाहन धनतेरस व लक्ष्मी पूजा पर रखे कुछ सावधानियां श्रुतिकांत,सहरसापुराणों में विदित है कि लक्ष्मी चंचला होती है, कही एक स्थान पर टिकती नहीं है. ऐश्वर्य, प्रकाश, भाग्य एवं सुख समृद्धि के देवी के रूप में महालक्ष्मी सदैव भक्तों के लिए सुलभ है. दीपावली और धनतेरस लक्ष्मी से जुड़ा आनंद […]
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