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बच्चे नहीं सुन पायेंगे दादी-नानी की कहानी

सहरसा नगर: 25 अप्रैल को शुरू हुई भूकंप की त्रसदी ने जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. भूकंप के झटके ने लगभग दो दर्जन से अधिक लोगों को जख्मी कर दिया है, वहीं लगभग आधा दर्जन लोग हादसे में जान भी गंवा चुके हैं. त्रसदी के कारण लोगों का […]

सहरसा नगर: 25 अप्रैल को शुरू हुई भूकंप की त्रसदी ने जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. भूकंप के झटके ने लगभग दो दर्जन से अधिक लोगों को जख्मी कर दिया है, वहीं लगभग आधा दर्जन लोग हादसे में जान भी गंवा चुके हैं. त्रसदी के कारण लोगों का पारिवारिक ढांचा भी बिखरने लगा है.
सोमवार की शाम में हुए भूकंप के झटके ने सत्तरकटैया प्रखंड के पद्मपुर, बेला व पटौरी में मातम का माहौल बना दिया है. हादसे में विडंबना कहिये की जान गंवाने वाली सभी महिलाओं की उम्र सत्तर के करीब है. मंगलवार को उक्त सभी जगहों पर स्थिति हृदय विदारक थी. लाश बन चुकी बूढ़ी माताओं के शरीर से लिपट बच्चे उदास थे. मासूमों के क्रंदन को देख मौजूद लोगों का कलेजा फटा जा रहा था. घर के लोग बताते हैं कि बूढ़ी मां दिन भर पोते-पोतियों को राजा-रानी के किस्से सुनाया करती थी. शरीर चलने के लायक नहीं था, लेकिन बच्चे उनके बिना अधूरे हो गये हैं.
छिन गया सिर से छाया : सत्तरकटैया प्रखंड के पद्मपुर गांव में रेलवे लाइन के समीप अपनी विधवा बहू के साथ रह रही मसोमात कुनिया देवी भी भूकंप की झटके में मौत हो गयी. विधवा बहू का रो-रो कर बुरा हाल है. वह बताती है कि पति की मृत्यु के बाद सास ही छाया बन साथ रह रही थी. बताया कि बीते 25 अप्रैल को भूकंप के पहले झटके में ही चौकी से नीचे भागने के क्रम में गिर गयी थी. लेकिन सोमवार की शाम अचानक आये झटके में लुढ़क कर गिर गयी, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गयी.
सब का ख्याल रखती थी दादी : मसोमात कुनिया देवी की मौत से उनके घर में लोग बेसुध पड़े हैं. वहीं पूरे गांव में मातम छाया हुआ है, गांव के लोग बताते हैं कि समीप में पंचगछिया स्टेशन होने के कारण रात के अंधेरे में लौटने वाले लोगों से भी दादी कुशल क्षेम पूछा करती थी. लोग अंधेरे में भी निडर होकर जाते थे. उन्हें इस बात का एहसास होता था कि दादी जाग रही है.
नन्हकी को बचाने गयी थी दादी : एकल परिवार की पद्धति में भले ही दादा-दादी व नाना-नानी के महत्व को कम कर आंका जा रहा हो. लेकिन सत्तरकटैया के पटौरी बाजार में वृद्धा 75 वर्षीय खगिया देवी ने मासूम पोती नन्हकी को बचाने के लिए अपनी जान दे दी है. पोती को बचाने के लिए दादी की कुरबानी भूकंप की त्रसदी से ज्यादा लोगों को प्रेरित करती रहेगी. लोगों ने बताया कि भूकंप के झटके के बाद घर के लोग भाग कर समीप के दुर्गा स्थान में शरण लिये थे. वहीं बुजुर्ग दादी घर में छूट गयी पोती को लाने वापस दौड़ गयी. इसी क्रम में पोती को बाहर निकाल दादी ने अपनी जान दे दी.
तीन मौत से क्षेत्र में दहशत का माहौल : सतरकटैया. प्रखंड क्षेत्र में सोमवार की शाम आये भूकंप से तीन महिलाओं की मौत से पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है़ मिली जानकारी के अनुसार पद्मपुर गांव निवासी स्व महावीर चौधरी की 72 वर्षीय पत्नी मसोमात कुमिया देवी, बरहसैर पंचायत के बेला बगरौली निवासी स्व असर्फी मंडल की 78 वर्षीय पत्नी मसोमात खगिया देवी व पटोरी निवासी 73 वर्षीय योगिया देवी की भूकंप के कारण हार्ट अटैकहोने से मौत हो गयी़ घटना की लिखित व मौखिक जानकारी बीडीओ श्वेता कुमारी, सीओ अनिल कुमार सिंह व थाना अध्यक्ष सरबर आलम को देने के बावजूद 24 घंटे तक किसी ने पीड़ित की सुधि नहीं ली थी. पूछने पर बीडीओ व सीओ ने बताया कि भूकंप से तीन महिलाओं की मौत होने की सूचना मिली है़ घटना की जांच कर परिजनों को उचित मुआवजा दिलाया जायेगा. इधर तीन दिनों से लगातार आ रहे भूकंप के झटके से लोगों का जीना मुहाल हो गया है़ भय से लोग रात की बात तो दूर, दिन में भी अपने घर जाने से डरने लगे हैं. घर घुसते ही भूकंप का भय सताने लगता है़ रात भर लोग अपने बच्चे को लेकर घर के बाहर जीवन बिताने को मजबूर हो रहे हैं.

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