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हादसे के बावजूद विभाग सजग नहीं

* मानवरहित फाटकों पर कई बार घट चुकी है बड़ी घटना* आधे से अधिक हैं मानव रहित रेलवे फाटक* सरबा मानवरहित ढाला पर तीन बार हो चुकी है दुर्घटना* समस्तीपुर रेल मंडल के 950 में से 450 ढाला ही है मानव सहितसहरसा : मानवरहित फाटकों पर रेल कर्मी के मौजूद नहीं रहने से कई बार […]

* मानवरहित फाटकों पर कई बार घट चुकी है बड़ी घटना
* आधे से अधिक हैं मानव रहित रेलवे फाटक
* सरबा मानवरहित ढाला पर तीन बार हो चुकी है दुर्घटना
* समस्तीपुर रेल मंडल के 950 में से 450 ढाला ही है मानव सहित
सहरसा : मानवरहित फाटकों पर रेल कर्मी के मौजूद नहीं रहने से कई बार ट्रेन की चपेट में वाहनों के आ जाने से बड़ी दुर्घटना हो चुकी है. उसके बावजूद रेल प्रशासन द्वारा इन मानवरहित फाटकों पर रेल कर्मी को नियुक्त नहीं किया जाना विभाग की लापरवाही को दर्शाता है.

मालूम हो कि समस्तीपुर रेल मंडल में 950 समपार रेल फाटक मौजूद है. जिसमें से सिर्फ 450 समपार फाटक पर ही रेल कर्मी प्रतिनियुक्त है. आधे से अधिक समपार फाटक को रेल प्रशासन ने यूं ही खुला छोड़ रखा है.

जिसके कारण आये दिन ऐसे फाटकों पर ट्रेनों की आवाजाही के कारण बड़ी दुर्घटनाएं होती रहती है. उसके बावजूद भी रेल प्रशासन दुर्घटना को रोकने के लिए इस दिशा में अपनी सजगता नहीं दिखा रही है. विभागीय स्तर पर अधिकारियों से सभी मानवरहित फाटकों को रेल कर्मी की प्रतिनियुक्त किये जाने की बात पूछे जाने पर विभाग कर्मियों की कम संख्या रहने की बात कहते पल्ला झाड़ लिया जाता है.

जब कभी इन फाटकों पर कोई घटना घटती है तो औपचारिकता के नाम पर विभाग द्वारा जांच कर रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. मालूम हो कि इसी लापरवाही के कारण सहरसा रेल क्षेत्र के न्यू वासिंग पिट सरबा ढाला के निकट स्थित फाटक संख्या 30 सी पर गाड़ी के ट्रेन से टकरा जाने के अब तक तीन घटना हो चुकी है.

दुर्घटना में ट्रेन से यात्रा करनेवाले हजारों यात्री की जान जोखिम में पड़ते-पड़ते बचती रहती है. मालूम हो कि इसी समपार फाटक पर नवंबर 2012 में पटना से सहरसा आ रही राज्य रानी ट्रेन ने फाटक पार करते सीमेंट से लदे एक ट्रैक्टर को सीधे-सीधे ठोकर मार दी थी. जिसके कारण उक्त ट्रक का परखच्च उड़ गया था.

ट्रक के क्षतिग्रस्त मलबे रेल की पटरियों पर बिखर गये थे. इस दुर्घटना के पूर्व भी इसी फाटक पर एक और ट्रैक्टर से ट्रेन टकराने के कारण ट्रैक्टर क्षतिग्रस्त हो गया. बार-बार हो रही ऐसी घटनाओं के बाद भी स्थानीय रेल प्रशासन द्वारा दुर्घटना को रोकने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है. मालूम हो कि जब से शहर के दक्षिणी इलाके में बाजार की भीड़ से बचते बैजनाथपुर की ओर जाने के लिए उक्त बायपास सड़क का निर्माण किया गया है. तब से इस सड़क पर छोटे-मोटे सहित बड़े वाहनों की आवाजाही हमेशा बनी रहती है.

इसलिए इस मानवरहित फाटक को मानव सहित किये जाने की जरूरत महसूस की जा रही है. घटना की सूचना मिलते ही आस-पास क्षेत्र के लोग घटना स्थल पर एकत्रित हो गये और बार-बार उक्त फाटक पर हो रही घटना का जिम्मेवार सीधा रेल प्रशासन को ठहराते उक्त ढाला पर गेट मेन की प्रतिनियुक्ति कर उसे समपार फाटक बनाने की मांग की.

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