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पोषण वाटिका के माध्यम से महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर

रासायनिक उर्वरकों से मुक्त गुणवत्तापूर्ण सब्जियों के उत्पादन से जुड़ रही महिलाएं महिलाएं घर बैठे अपने खाली समय में सफलतापूर्वक कर रही है सब्जियों की खेती विनय कुमार मिश्र / सहरसा : कम जगहों में सब्जी उत्पादन के लिए महिलाओं को प्रेरित व जागरूक करने का कार्य अगवानपुर कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया जा […]

  • रासायनिक उर्वरकों से मुक्त गुणवत्तापूर्ण सब्जियों के उत्पादन से जुड़ रही महिलाएं
  • महिलाएं घर बैठे अपने खाली समय में सफलतापूर्वक कर रही है सब्जियों की खेती
विनय कुमार मिश्र / सहरसा : कम जगहों में सब्जी उत्पादन के लिए महिलाओं को प्रेरित व जागरूक करने का कार्य अगवानपुर कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है. जिससे महिलाएं बड़ी संख्या में पोषण वाटिका की ओर उन्मुख हुई है.अगवानपुर कृषि महाविद्यालय की वैज्ञानिक डॉ सुनीता सिंह के नेतृत्व में सौरबाजार प्रखंड के गम्हरिया गांव की दर्जनों महिलाएं पोषण वाटिका से जुड़कर आत्मनिर्भर हो रही है. रासायनिक खादों से दूर रहते हुए ऑर्गेनिक खेती कर गांव की दर्जनों महिलाएं लाभान्वित हो रही है. साथ ही बाजार में मिलने वाले रासायनिक सब्जियों से उन्हें जहां पूरी तरह छुट्टी मिल गयी है.
वहीं अगल-बगल के लोगों को भी इस पोषण वाटिका से ऑर्गेनिक सब्जी मिल पा रही है. वैज्ञानिक डॉ श्रीमती पासवान ने बताया कि वरीय वैज्ञानिक डॉ केएन सिंह के दिशा निर्देशन में उन्होंने इसका सफल प्रयोग खासकर सौरबाजार प्रखंड के गम्हरिया गांव में शुरू किया है.
शुरूआत में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे घर बैठी महिलाएं पोषण वाटिका का महत्व समझने लगी. जिससे अब दर्जनों महिलाएं पोषण वाटिका से जुड़कर लाभान्वित हो रही है.
उन्होंने बताया कि मटर, बंद गोभी, फूल गोभी, बैगन, गाजर, शलजम, टमाटर, पालक साग, लाल साग, मेथी साग, धनिया पत्ता, हरी मिर्च, बीम, चुकंदर व आलू की खेती महिलाएं घर बैठे अपने खाली समय में सफलतापूर्वक कर रही हैं. उन्होंने बताया कि महिलाओं के थोड़े से परिश्रम से पूरे परिवार में जहां रसायनिक खादों से उत्पादित होने वाली सब्जियों से पूरी तरह मुक्ति मिल गयी है, वहीं बगल के लोगों को भी इस सब्जी का लाभ मिल रहा है.
वह भी बाजार के मूल्य से कम कीमत में उन्हें घर बैठे उपलब्ध हो रहा है. उन्होंने बताया कि गांव की मीना देवी अपने बच्चों के साथ पोषण वाटिका का सफल संचालन कर रही है. मीना देवी ने बताया कि स्कूल में पढ़ने वाली उनकी बेटी अर्चना कुमारी, सपना कुमारी व खाली समय में पति अरुण खां के सहयोग से वह सफलतापूर्वक पोषण वाटिका से सब्जियों का उत्पादन कर रही है.
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक डॉ श्रीमती पासवान के दिशा निर्देशन में उन्होंने इसका प्रयोग शुरू किया जो काफी लाभान्वित रहा. उनके द्वारा की गयी शुरूआत से अब दर्जनों महिलाएं अपने घर के बच्चे छोटे से जमीन में भी अच्छी सब्जियों का पैदावार कर रही है.
कम जगहों में हो रहा अधिक उत्पादन
घर के बचे थोड़ी से जगह में भी महिलाएं पोषण वाटिका निर्माण कर सब्जियों की अच्छी पैदावार कर रही है. गम्हरिया गांव की चंद्रकला देवी, नंद देवी, सुनीता देवी, मंचुन देवी, खुशबू देवी सहित दर्जनों महिलाएं अगवानपुर कृषि महाविद्यालय की वैज्ञानिक सुनीता पासवान के नेतृत्व में सफलतापूर्वक सब्जियों का उत्पादन कर रही है.
महिलाओं ने बताया कि रासायनिक खादों का प्रयोग पूरी तरह बंद करने के बाद सब्जियों की खेती में आशातीत सफलता मिली है. उन्होंने कहा कि गोबर व केंचुए की खाद से खेती में जहां कीड़े मकोड़े का प्रकोप भी सब्जियों पर कम पड़ रहा है. वहीं फसल भी अच्छी हो रहा है.
उन्होंने कहा कि जिन जमीन के टुकड़ों को वह बेकार समझ रही थी आज वह टुकड़ा पूरे परिवार सहित अगल-बगल के लोगों के लिए बड़ा कामयाब सिद्ध हुआ है. इन छोटे से जगहों में किए गये सब्जी उत्पादन से उनके परिवार के अलावे पड़ोस के लोग भी कम मूल्य में अच्छी सब्जी का उपयोग कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि शुरूआत में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे धीरे यह पूरी तरह आत्मनिर्भर होने वाला कार्य सिद्ध हुआ. खेती में ना कोई अधिक समय लगा ना ही किसी तरह की झंझट आ रही है.
अनुपयोगी जल से हो रही खेती
पोषण वाटिका में सब्जियों के पटवन में लगने वाले पानी की व्यवस्था स्नानघर व रसोईघर के जल से संभव हो रहा है. इसके लिए अलग से जल की व्यवस्था भी करने की जरूरत नहीं रह गयी है. वैज्ञानिक डॉ श्रीमती पासवान ने बताया कि कम से कम 20 गुणा 30 मीटर जमीन पर भी एक अच्छी पोषण वाटिका तैयार हो सकती है. उन्होंने कहा कि इसमें मौसम के अनुसार सभी तरह के सब्जियों का उत्पादन किया जा सकता है.
इतनी जगह में एक मध्यम आकार के परिवार के लिए पूरी तरह सभी सब्जियों का उत्पादन संभव है. उत्पादन के लिए बड़ी लागत की आवश्यकता नहीं है. ना ही किसी तरह के रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाना है. गांव घरों में गोबर की खाद लगभग सभी घरों में उपलब्ध है. ऐसे में इन ऑर्गेनिक खाद से अच्छी सब्जियों की पैदावार ली जा सकती है.
उन्होंने कहा कि रसोईघर, स्नान घर से निकलने वाले पानी ही इस पोषण वाटिका के लिए काफी है. इसके लिए अलग से पानी की व्यवस्था भी नहीं करनी होती है. घर बैठी महिलाएं अपने थोड़े से समय में पूरे परिवार के लिए सब्जी का उत्पादन कर सकती है. यह कार्य गम्हरिया की महिलाओं ने सफलतापूर्वक कर दिखाया है.

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