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दिन भर गुलजार रहनेवाली मत्स्यगंधा अब फिर झांकने लायक भी नहीं रही
सहरसा : मत्स्यगंधा झील के लगभग सूख जाने से अब लोगों का पहुंचना काफी कम हो गया है. दिन भर गुलजार रहने वाले मत्स्यगंधा झील में अब झांकने भी शायद ही कुछ लोग पहुंचते हैं. झील की हालत देख कर लोगों को काफी निराशा होती है. एक माह पूर्व तक गुलजार रहने वाले मत्स्यगंधा झील […]
सहरसा : मत्स्यगंधा झील के लगभग सूख जाने से अब लोगों का पहुंचना काफी कम हो गया है. दिन भर गुलजार रहने वाले मत्स्यगंधा झील में अब झांकने भी शायद ही कुछ लोग पहुंचते हैं. झील की हालत देख कर लोगों को काफी निराशा होती है. एक माह पूर्व तक गुलजार रहने वाले मत्स्यगंधा झील के अधिकांश भाग सूख जाने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ मत्स्यगंधा पहुंचने वाले लोग भी हतप्रभ हो रहे हैं.
पूर्व जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल के अहम योगदान से मृतप्राय हो चुके झील के सौंदर्यीकरण का कार्य किया गया एवं नौका विहार प्रारंभ किये जाने से जिला ही नहीं दूसरे जिलों से भी लोगों का पहुंचना शुरू हो गया था. एक बार फिर झील के प्रति लोगों का प्यार उमड़ पड़ा. नौका विहार से लाखों का राजस्व भी प्राप्त होने लगा. लेकिन गर्मी के शुरुआत में ही झील की स्थिति दयनीय होने लगी. अप्रैल माह के शुरुआत में ही झील का अस्तित्व लगभग समाप्त होने लगा. अब स्थिति यह हो चुकी है कि झील में कहीं कहीं पानी देखने को मिलता है. जबकि आधे से अधिक जगह सूख चुके हैं.
नौका विहार से लाखों के राजस्व की हुई प्राप्ति : मत्स्यगंधा झील के सौंदर्यीकरण को लेकर पूर्व जिला अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने सितंबर माह में बुडको द्वारा झील की सफाई के कार्य का शुभारंभ करवाया एवं सफाई के दौरान ही झील में नौका विहार की योजना तैयार की. योजना अनुसार छठ पर्व के समय झील में पहले चरण में छह पैडल वोट उतारे गये. लोगों के आकर्षण का केंद्र बने वोट को देखते हुए पुनः आठ पैडल वोट सहित दो शिकारा को भी झील में उतारा गया. इससे लाखों का राजस्व प्राप्त होने लगा. मात्र छह महीने में ही 12 लाख से अधिक के राजस्व की प्राप्ति हो गयी. लेकिन यह आय झील के सूखने के साथ ही समाप्त हो गयी.
कई बेरोजगारों को मिला था काम: मत्स्यगंधा झील में नौका विहार शुरू होने के साथ ही कई बेरोजगारों को रोजगार भी मिल गया था. किसी को टिकट काटने के लिए तो किसी को नौका परिचालन के लिए रखा गया था. झील के सूखते ही नौका विहार बंद हो गया. लोगों का पहुंचना भी समाप्त हो गया. ऐसे में इन बेरोजगारों की नौकरी भी चली गयी. इन बेरोजगारों को इस छोटे से रोजगार से रोजी रोटी का मसला हल हो गया था. लेकिन एक बार फिर नौका विहार बंद होने से रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. वहीं नौका विहार के लिए झील पहुंचने वाली भीड़ को देखते हुए कई छोटे दुकानदारों की आय में भी वृद्धि हुई थी. कई खोमचे वालों ने भी अपनी दुकानदारी लगायी थी. जो नौका विहार बंद होते ही समाप्त हो गयी.
फिर बन सकता है अपराधकर्मियों का अड्डा : मत्स्यगंधा झील में नौका विहार को लेकर दिनभर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता था. जिला ही नहीं अन्य जिले के लोग भी नौका विहार का लुफ्त उठाने मत्स्यगंधा पहुंचते थे. जिससे नौका विहार के राजस्व में वृद्धि होती ही थी. कई परिवारों का गुजर बसर भी इनके आने से होता था. नौका विहार बंद होते ही मत्स्यगंधा झील एक बार फिर सुनसान स्थिति से गुजरने लगा है. इस की भयावहता इससे ही जानी जा सकती है कि सौंदर्यीकरण से पूर्व इस झील के क्षेत्र को अपराध कर्मियों का अड्डा माना जाता था. अगर समय रहते झील की स्थिति नहीं सुधरी तो फिर यह अपराध कर्मियों का अड्डा बन सकता है.
झील से मिट्टी निकालने की है जरूरत
झील की तलहटी में मिट्टी की मात्रा अधिक हो जाने से झील का पानी लगभग सूखने की स्थिति में है. आधे से अधिक झील सूख चुकी है. कहीं-कहीं झील में पानी नजर आ रहा है. जबकि अधिकांश भाग सूखा दिख रहा है. जिलाधिकारी श्री गुंजियाल ने झील से मिट्टी निकालने को लेकर बुडको से वार्ता की थी एवं बुडको के प्रोजेक्ट मैनेजर ने झील से मिट्टी काटने के लिए अप्रैल माह में ही योजना तैयार की थी. इसके लिए उन्होंने निरीक्षण का कार्य भी किया था. लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पुनः झील की स्थिति पूर्व की भांति न हो जाये. लोगों को झील सौंदर्यीकरण की आस जग चुकी थी. जिलाधिकारी श्री गुंजियाल ने झील के प्रति सकारात्मक रुख रखते हुए झील में जल की व्यवस्था के साथ मिट्टी निकासी के कार्य के प्रति भी अपनी सकारात्मक रूख दिखाया था. उनके स्थानांतरण के बाद आम लोगों को झील के पुराने दिन याद आने लगे हैं.
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