सहरसा: सहरसा सहित राज्य के 24 जिलों में 331 लोगों की सुरक्षा में पांच सौ से भी अधिक सुरक्षा गार्ड तैनात हैं. इन सुरक्षा गार्डों को सरकारी खजाने से ही भुगतान किया जा रहा है. सिर्फ सहरसा जिले में 18 लोगों को वीआइपी श्रेणी में रखकर राज्य सरकार के खर्च पर सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराये गये हैं.
इन 18 लोगों में स्थानीय राजनीतिज्ञों से अधिक सोशल स्टेटस के लोग शामिल हैं. हालांकि इनमें ऐसे भी कई लोग शामिल हैं, जो सरकारी सुरक्षा को स्टेटस सिंबल के रूप में इस्तेमाल करते हैं. भागलपुर के आरटीआइ कार्यकर्ता अजीत कुमार सिंह द्वारा राज्य के पुलिस महानिरीक्षक के सहायक (क्यू) सह लोक सूचना पदाधिकारी से आरटीआइ के तहत पूरे राज्य में निजी लोगों द्वारा सरकारी सुरक्षा और सरकारी गार्ड का उपयोग करने वालों की मांगी गयी जानकारी से यह खुलासा हुआ.
गरीब राज्य में सबसे अधिक वीआइपी
आरटीआइ के तहत मांगी गयी जानकारी में बताया गया है कि सरकार एक सुरक्षा गार्ड पर एक दिन में 1130 रुपये खर्च कर रही है. इस हिसाब से 18 निजी व्यक्तियों पर सरकारी खजाने से प्रति महीने छह लाख दस हजार दो सौ रुपये खर्च हो रहे हैं. इस हिसाब से सरकारी खजाने से सभी 24 जिलों में निजी लोगों को उपलब्ध कराये गये 331 सरकारी सुरक्षा गार्ड पर प्रति माह करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. आरटीआइ कार्यकर्ता ने बताया कि जिस राज्य में गरीबी सबसे ज्यादा हो और प्रति व्यक्ति आमदनी बहुत कम हो, वहां निजी लोगों की सुरक्षा के नाम पर सरकारी खजाना लुटाना शासन व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि गरीब व संसाधनविहीन बता देश में सर्वाधिक वीआइपी की संख्या गिना व उन्हें सरकारी सुरक्षा मुहैया करा राज्य बता कर खजाने पर बोझ बढ़ा रही है.
सलाना डेढ़ सौ करोड़ का सरकारी खर्च
सुरक्षा गार्ड मुहैया कराने में सबसे अधिक खर्च करने वाला राज्य बिहार ही है. जहां इस मद में सालाना लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपये खर्च किये जाते हैं. साल 2013 में बिहार सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश एक हलफनामे के बाद यह बात सामने आयी थी कि देश भर के अति महत्वपूर्ण कहे जाने वाले लगभग 15 हजार लोगों की सुरक्षा में 48 हजार पुलिसकर्मी लगे हुए हैं. इसमें 20 फीसदी योगदान अकेले बिहार का है. ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) के अनुसार राज्य के 32 सौ से अधिक वीआइपी की सुरक्षा में 6,248 पुलिस अधिकारी और जवान तैनात हैं. बिहार में 1,456 लोगों पर एक पुलिसकर्मी का अनुपात है. जबकि राष्ट्रीय अनुपात 761 पर एक पुलिसकर्मी का है. इस स्थिति में आम लोगों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए पुलिस बल की कमी आसानी से समझ आती है.