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अस्पताल पर न लगे बिचौलिये का धब्बा

सुधरे स्वास्थ्य व्यवस्था. निजी नर्सिंग होम में रेट लिस्ट लगाने को लेकर प्रशासन गंभीर प्रभात खबर की पड़ताल का असर दिखने लगा है. कई क्लिनिकों ने रेट चार्ट लगाया है. लेकिन अभी भी बिचौलियों के दाबाब में कुछ अस्पताल रेट चार्ट नहीं लगा पाये हैं. इसके लिए प्रशासनिक गंभीरता व क्लिनिक संचालकों की ईमानदारी जरूरी […]

सुधरे स्वास्थ्य व्यवस्था. निजी नर्सिंग होम में रेट लिस्ट लगाने को लेकर प्रशासन गंभीर
प्रभात खबर की पड़ताल का असर दिखने लगा है. कई क्लिनिकों ने रेट चार्ट लगाया है. लेकिन अभी भी बिचौलियों के दाबाब में कुछ अस्पताल रेट चार्ट नहीं लगा पाये हैं. इसके लिए प्रशासनिक गंभीरता व क्लिनिक संचालकों की ईमानदारी जरूरी है.
सहरसा : शहर के निजी नर्सिंग होम में रेट लिस्ट सार्वजनिक किये जाने को लेकर प्रभात खबर की मुहिम का असर दिखना भी शुरू हो गया है. शहर में ऐसे कई प्रतिष्ठित नर्सिंग होम पूर्व से संचालित हो रहे हैं, जहां रेट लिस्ट सार्वजनिक किया जा चुका है. शहर के प्रसिद्ध सर्जन डॉ अवनीश कर्ण बताते हैं कि प्रोफेशनल लोगों की फीस में एकरूपता लाना संभव नहीं है.
अस्पताल में उपलब्ध सुविधा व उसके शुल्क की समानता पर अस्पताल प्रबंधन विचार कर सकता है. डॉ कर्ण कहते हैं कि डॉक्टरी जनसेवा का सबसे बड़ा जरिया है. अस्पताल में लाचार व बेबस लोगों की सर्जरी भी होती है. जिसमें रेट लिस्ट या चार्ज की अनदेखी कर दी जाती है. ज्ञात हो कि अस्पताल प्रबंधन नर्सिंग एक्ट के प्रावधान को लागू करने के बजाय नये संशोधन का इंतजार कर रही है. अमूमन शहर के सभी नर्सिंग होम में मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ रही है. आधुनिक यंत्र लगाये जा रहे हैं.
इसके बावजूद रेट लिस्ट को सार्वजनिक करने में नर्सिंग होम संचालक के हाथ पैर फूलने लगे हैं. निजी अस्पताल में सक्रिय दलाल भी रेट लिस्ट सार्वजनिक करने में बाधक बन रहे हैं. इस पर लगाम लगाने के लिए अस्पताल संचालकों को एकजुट होने की आवश्यकता है.
प्रभात खबर के हेल्पलाइन नंबर पर प्रतिक्रिया देते गांधी पथ निवासी शिव कुमार चौधरी कहते हैं कि सभी निजी अस्पताल में एक समान रेट लिस्ट होनी चाहिए. अस्पताल में गरीब मरीजों को रियायत देने की व्यवस्था सुनिश्चित हो.
गंगजला की रूपा सिंह कहती है कि महिलाओं को डिलिवरी के बाद डिस्चार्ज होने पर निजी अस्पताल फ्री एंबुलेंस की सेवा घर तक जाने के लिए मुहैया करायें. सोनवर्षाराज के ऋषभ राज कहते हैं कि आइसीयू की बिलिंग सभी निजी अस्पताल में एक तरह की होनी चाहिए. सौरबाजार के कुंदन साह कहते हैं कि गांधी पथ के इशर नर्सिंग होम में सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है, उसमें सुधार की आवश्यकता है.
केस स्टडी 1
शहर के नरियार बायपास रोड पर अवस्थित है श्रीकृष्ण शल्य चिकित्सालय. इस नर्सिंग होम में मरीज मुख्य रूप से पेट संबंधी सर्जरी के लिए ही पहुंचते हैं.
अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए लिफ्ट व पेयजल की बेहतर व्यवस्था दिखी. हालांकि अस्पताल के वार्ड से लेकर कैंटीन तक में सफाई व्यवस्था भी ठीक नजर आ रही थी. प्रबंधक अमित कुमार दीपक ने बताया कि मरीजों को दवाई में दस प्रतिशत रियायत के अलावा भरती मरीजों को राउंड पर पहुंचने वाले चिकित्सकों का फीस नहीं भरना होता है. इनके अनुसार ओपीडी सहित सर्जरी में रियायत दी जाती है. अस्पताल में होने वाली जांच व उसकी सूची दर सहित सार्वजनिक किये गये हैं. हालांकि सर्जरी का रेट लिस्ट कहीं नजर नहीं आ रहा था.
केस स्टडी 2
शहर के नया बाजार में संचालित सत्यम हॉस्पिटल के मुख्य हॉल में मरीज व उनके परिजनों के बैठने की बेहतर व्यवस्था है. अस्पताल में कई प्रख्यात चिकित्सक अपनी सेवा दे रहे हैं. सभी प्रकार की जांच के लिए अलग-अलग जगह बनी हुई है. मौजूद लोगों ने बताया कि सर्जरी में आने वाले खर्च का ब्योरा बिलिंग काउंटर पर बताया जाता है.
अस्पताल की बनावट भव्य है, लेकिन रेट लिस्ट इस परिसर में भी नदारद है. हालांकि मरीजों की भीड़ बहुत ज्यादा होने के बावजूद व्यवस्था में कोई कमी नहीं दिखी. अस्पताल में पार्किंग जोन नहीं रहने की वजह से सड़क पर गाड़ियों का जमावड़ा यातायात व्यवस्था को बाधित जरूर कर रहा है.
केस स्टडी 3
नया बाजार में डॉ आरपी यादव चौक के समीप डॉ मोती वर्मा दशकों से अपना क्लिनिक संचालित कर रही हैं. हालांकि अभी के समय में मरीजों की आवाजाही कम हुई है. लेकिन पुराने लोग अब भी परामर्श के लिए पहुंचते हैं. अस्पताल को आधुनिकता वाली छवि से दूर रखा गया है.
ज्यादातर महिलाएं प्रसव सर्जरी के लिए ही पहुंचती है. लैब टेस्ट या सर्जरी के लिए कोई रेट लिस्ट नहीं है. डॉक्टर के परामर्श के बाद प्रबंधन से जुड़े लोग मरीज के परिजन को रेट की जानकारी देते हैं. मरीज के परिजन बताते है कि बड़े नर्सिंग होम की अपेक्षा इलाज में रियायत की सुविधा मिलती है.

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