सासाराम : कभी नगर पर्षद की राजनीति में पांच पांडवों के नाम से विख्यात पार्षदों की स्थिति इस चुनाव में गंभीर हो गयी है. पांच में तीन को आरक्षण ने वार्ड छोड़ने पर मजबूर कर दिया है. वहीं दो की स्थिति अपने वार्ड में बेहतर नहीं है. पहले की करनी उन्हें भारी पड़ रही है. पांच में से एक मुख्य पार्षद के चुनाव के समय भगोड़े घोषित हुए थे.
दूसरे ने अपने कार्यकाल के दौरान राजनीतिक पाला बदल लिया था. तीसरा मुख्य पार्षद को लेकर होनेवाले हर बदलाव में पांचों की कीमत तय करता रहा. पानी से पैसा बनाना इनकी आदत में शुमार रहा है. योजनाओं में प्रतिशत का आलम यह रहा कि कई योजनाऐं जैसे-तैसे पूरी हुईं. शहर के मध्य में इनके वार्ड हैं. चुनाव आया है, तो चर्चाओं का बाजार भी गरम है. नगर पर्षद की राजनीति को अपनी चाल से प्रभावित करने की आदत का अब उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.