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मुख्य पार्षद के चक्कर में फंसा नियोजन

मेधा सूची प्रकाशित, पर नहीं हो रहा अनुमोदन सासाराम कार्यालय : मुख्य पार्षद के चक्कर में नगर पर्षद में शिक्षकों का नियुक्ति पत्र फंस गया है. कोर्ट ने जिसे मौखिक बहाल करने का आदेश दिया है वह भी काम नहीं कर रही और जो चुनी हुई वर्तमान में मुख्य पार्षद है वह नगर पर्षद से […]

मेधा सूची प्रकाशित, पर नहीं हो रहा अनुमोदन

सासाराम कार्यालय : मुख्य पार्षद के चक्कर में नगर पर्षद में शिक्षकों का नियुक्ति पत्र फंस गया है. कोर्ट ने जिसे मौखिक बहाल करने का आदेश दिया है वह भी काम नहीं कर रही और जो चुनी हुई वर्तमान में मुख्य पार्षद है वह नगर पर्षद से दूरी बना चुकी हैं. हालात यह है कि 17 जनवरी, 2017 को मेधा सूची का प्रकाशन तो हो गया, लेकिन अबतक मेधा सूची का अनुमोदन नहीं हो सका. इसके कारण चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं बंट पा रहा है. मेधा सूची में नाम प्रकाशन के बाद चयनित अभ्यर्थी लगातार नगर पर्षद कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.
अपना नाम सूची में देखने के बाद समीप ही दीवार पर सटे नगर पर्षद कार्यपालक पदाधिकारी की सूचना देख सकते में हैं. गौरतलब है कि बिहार नगर निकाय माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक नियोजन के तहत पांचवें चरण के नियोजन की प्रक्रिया नगर पर्षद में शुरू हुई थी. 29 दिसंबर, 2016 को अभ्यर्थियों की काउंसेलिंग हो गयी थी. मेधा सूची का प्रकाशन 17 जनवरी, 2017 को किया गया था. 30 जनवरी को मेधा सूची के अनुमोदन व नियुक्ति पत्र के वितरण के लिए बैठक होनी थी. इसी बीच 23 जनवरी को कोर्ट ने बरखास्त मुख्य पार्षद नाजिया बेगम की बरखास्तगी के आदेश को खारिज करते हुए पुन: बहाल करने का आदेश दिया. हालांकि, अबतक कोर्ट से कोई लिखित आदेश प्राप्त नहीं हुआ है.
नगर पर्षद में सटी सूचना से भ्रम की स्थिति
उच्च माध्यमिक शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए काउंसेलिंग व मेधा सूची के प्रकाशन के बाद सटी सूचना से अभ्यर्थी भ्रम की स्थिति में हैं. सूचना में नप इओ ने कहा है कि 30 जनवरी, 2017 को नगर नियोजन इकाई की आहूत बैठक में तैयार की गयी मेधा सूची का अनुमोदन कर नियोजन पत्र निर्गत किया जाना था. लेकिन, मुख्य पार्षद की अनुपस्थित के कारण बैठक नहीं हो सकी, जिससे मेधा सूची का अनुमोदन नहीं हो सका और न ही नियुक्ति पत्र निर्गत हुआ. उच्च न्यायालय, पटना द्वारा पहले रहीं मुख्य पार्षद को फिर से बहाल करने का आदेश दिया गया है. परंतु, इस संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा आदेश की प्रति प्राप्त नहीं हुई है. इस परिस्थिति में नियोजन पत्र निर्गत करना उचित प्रतीत नहीं होता है. इस लिए नियोजन पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया को स्थगित की जाती है. अब सवाल उठता है कि जब कोई लिखित आदेश प्राप्त नहीं है, तो मुख्य पार्षद को बैठक में आना चाहिए था. अगर कोर्ट के मौखिक आदेश पर अमल हो रहा है, तो पूर्व मुख्य पार्षद को बैठक में शामिल होना चाहिए था. लेकिन, दोनों की गैर हाजिरी से दो दर्जन से अधिक शिक्षक के सामने नौकरी के लिए इंतजार के अलावा कुछ नहीं.
नियुक्ति पत्र के लिए शिक्षक अभ्यर्थी लगा रहे नगर पर्षद का चक्कर
वर्तमान मुख्य पार्षद नजमा बेगम ने कहा मैं भी उक्त मुकदमे में पार्टी हूं. मैं कोर्ट के आदेश के समय हाजीर थी. मेरे वकिल ने कहा है कि 23 जनवरी के बाद किसी तरह का पेन-पेपर का काम नहीं करना है. इसलिए मैं नियोजन की बैठक में नहीं गयी. उन्होंने कहा कि मुझे कोर्ट का अबतक लिखित आदेश प्राप्त नहीं है.

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