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रौजा तालाब अधिक बदसूरत
पार्क, ग्रिल व सड़क की मरम्मत होती है, पर तालाब की सफाई नहीं बदहाल पड़ा शेरशाह सूरी के मकबरे का परिसर सासाराम शहर : जिला प्रशासन 28 व 29 जनवरी को शेरशाह महोत्सव आयोजित कर रहा है. महोत्सव में एक से बढ़ कर एक नामचीन कलाकारों के शिरकत करने की चर्चा हो रही है. दो […]
पार्क, ग्रिल व सड़क की मरम्मत होती है, पर तालाब की सफाई नहीं
बदहाल पड़ा शेरशाह सूरी के मकबरे का परिसर
सासाराम शहर : जिला प्रशासन 28 व 29 जनवरी को शेरशाह महोत्सव आयोजित कर रहा है. महोत्सव में एक से बढ़ कर एक नामचीन कलाकारों के शिरकत करने की चर्चा हो रही है. दो दिन का महोत्सव है और वह भी सरकारी स्तर पर. ऐसे में रुपये खर्च होने की बात करना ही बेमानी है.
जिस नाम पर महोत्सव मनाया जाना है, उसी की स्मृति से जुड़ी जिले की पहचान व शहर के गौरवशाली इतिहास के प्रतीक रहा शेरशाह का मकबरा उपेक्षित है. हालांकि, इसके रख-रखाव पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं. जिसमें पार्क, ग्रिल, सड़क आदि का निर्माण व मरम्मत लगातार होते रहता है. नहीं होती तो सिर्फ उसके वृहद तालाब के पानी की सफाई. यह पूरा मकबरा भारतीय पुरातत्व विभाग के जिम्मे है. इसकी तरफ से ऊपर से दिखने वाले मकबरे की सफाई व जिर्णोद्धार का काम तो करा दिया जाता है, लेकिन वृहद तालाब के पानी की सफाई नहीं होता है.
राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से लग चुकी है गुहार
हालात यह है कि पर्यटक मकबरे के दीदार के समय नाक पर रूमाल रख कर घूमते हैं. पानी की सड़ांध से आस-पास के निवासी भी परेशान हैं. इसकी बात दूर तक गयी. राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री तक शहर के रिब्युलूशन अगेंस्ट पॉल्यूशन (रैप) संस्था के बच्चों ने इसकी गुहार लगायी. प्रधानमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लिया. पानी की जांच हुई. जांच में पानी अम्लीय पाया गया. मुख्यमंत्री से लेकर डीएम तक इसके जीर्णोद्धार की बात करते रहे, लेकिन हालात वहीं ढाक के तीन पात. पानी का सड़ांध दूर नहीं हुई.
पांच वर्षों में खर्च हुए दो करोड़ से अधिक रुपये
जिले में पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रही संस्था रैप के कार्यकर्ता मनीराज सिंह व विनीत प्रकाश द्वारा आरटीआइ के तहत मांगी गयी जानकारी में बताया गया है कि तालाब की साफ-सफाई में व उसके विकास पर गत पांच वर्ष के दौरान दो करोड़ से अधिक रुपये खर्च किये जा चुके हैं.
हालांकि, विभाग का कहना है कि शेरशाह सूरी मकबरा तालाब के इनलेट व आउटलेट नहर की सफाई का काम पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. इसके लिए विभाग द्वारा समय-समय पर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से साफ-सफाई के लिए कहा जाता है. लेकिन, सबसे बड़ा सवाल तो यह उठता है कि आखिर उस राशि का क्या होता है, जो तालाब की सफाई के लिए विभाग को मिलता है.
उठ रहा सवाल, पानी आयेगा या नहीं
एक बार फिर शेरशाह महोत्सव के बहाने शेरशाह सूरी के मकबरे की बात लोगों में होने लगी है.हाल के दिनों में मकबरा तालाब को पानी आपूर्ति के लिए बनी इनलेट नहर की सफाई हो रही है. लोगों के मन में बात उठने लगी है कि सफाई के बाद पानी भी आयेगा या सफाई कर महोत्सव के समापन के साथ ही नहर को कूड़े से भरने के लिए छोड़ दिया जायेगा. यह सवाल भी जायज है, क्योंकि इसी इनलेट नहर के लिए करीब 84 लाख रुपये खर्च कर नाला का निर्माण करीब छह वर्ष पहले किया गया था, जो आज गंदा पानी बहने के काम नहीं आता. लोग उसे कूड़ा निस्तारण के काम में लाते हैं.
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