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सोन नद में बढ़ा पानी
टीलों पर लगायी गयी सब्जी की फसल बाढ़ में बही पशुपालकों के समक्ष भी आयी परेशानी प्रशासन ने दी टीले पर नहीं जाने की चेतावनी डेहरी (कार्यालय) : मॉनसून के सक्रिय होने के बाद लगातार बारिश होने से सोन नद में बने टीलों पर पानी चढ़ गया है़ इसके कारण अस्स्थायी रूप से वहां रह […]
टीलों पर लगायी गयी सब्जी की फसल बाढ़ में बही
पशुपालकों के समक्ष भी आयी परेशानी
प्रशासन ने दी टीले पर नहीं जाने की चेतावनी
डेहरी (कार्यालय) : मॉनसून के सक्रिय होने के बाद लगातार बारिश होने से सोन नद में बने टीलों पर पानी चढ़ गया है़ इसके कारण अस्स्थायी रूप से वहां रह कर गुजर-बसर करने वाले लोगों को अपना नया बसेरा ढूढ़ना पड़ रहा है़ टीलों पर पानी चढ़ने से सब्जी की खेती पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
सब्जियों के पौधे पानी में बह गये हैं. इधर, प्रशासन ने भी स्थानीय लोगों को टीलों पर नहीं जाने की चेतावनी दी है. गौरतलब है कि पिछले वर्ष सोन नद में पानी बढ़ने पर टीले के खेतों में काम करने नाव से जा रहे मजदूरों की मौत नाव दुर्घटना में हो गयी थी़ इस बार प्रशासन ने सभी नाव चालकों को सोन के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के कारण नाव नहीं चलाने की भी कड़ी चेतावनी दे रखी है. अनुमंडल पदाधिकारी पंकज पटेल ने खुद सोन तट का निरीक्षण कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये हैं.
चल रहा सैकड़ों लोगों का परिवार: सोन टीले की खेती पर शहर व आस-पास के सैकड़ों परिवार आश्रित है. शहर से नाव के सहारे प्रतिदिन टीले का काम करने के लिए मजदूर जाते हैं और शाम में वापस आते हैं. मजदूरों में महिलाओं की संख्या भी काफी होती है. टीले पर खेती करनेवाले लोगों के साथ-साथ सैकड़ों मजदूरों के परिवार भरण पोषण उसी पर आश्रित है. वैसी स्थिति में वहां खेती पर संकट के बादल मंडराने से इन सैकड़ों घरों का चूल्हा भी प्रभावित हो रहा है. क्योंकि, कई टीलों पर पानी भर जाने के कारण खेती का काम बंद हो गया है.
पिछले वर्ष नाव दुर्घटना में हुई थी मजदूरों की मौत
टीले पर काम करने के लिए नाव से जा रहे आधा दर्जन से अधिक मजदूरों की मौत सोन नद में नाव पलटने से हो गयी थी. मरने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक थी़ उस समय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों द्वारा मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए तांता लग गया था. सभी ने कहा कि टीले पर जान जोखिम मे डाल खेती करने वाले मजदूरों के हित के लिए काम करेंगे. लेकिन, हुआ कुछ भी नहीं. आज भी उस टीले पर अपनी जान को जोखिम में डाल महिला-पुरुष व बच्चे जाते हैं.
क्या है सोन टीला
सोन नद में कई जगह अत्यघिक बालू के जमा होने से बड़े बड़े टीले बन गये है. नदी में पानी बढ़ने के समय इन टीलों पर आये दाब के कारण उक्त क्षेत्र काफी उपजाऊ हो जाता है. ये टीले काफी दूरी में फैले होते हैं. ऐसे टीलों पर शहर व आस-पास के रहनेवाले रह कर खेती करते हैं. सबसे अधिक सब्जी की खेती इन टीलों पर की जाती है. पशुपालक भी अपने मवेशियों को टीले पर ही रख कर खेती के साथ-साथ दूध का व्यवसाय करते हैं.
कीचड़ से सनी सड़क पर फिसल रहे पैर : डेहरी. सब्जी मंडी के समीप स्थित हनुमान मंदिर के आस-पास सड़क पर पसरे कीचड़ से पैर फिसलने से कई लोग चोटिल हो चुके हैं. एकता चौक से एस ब्लॉक कॉलोनी को जाने वाली आधी सड़क पानी में डूबी है, तो आधी कीचड़ से सनी है.
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