तिलौथू. : किसी समय में पशु मेले के लिए मशहूर तिलौथू बाजार का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. करीब 50 साल से ऊपर तक तिलौथू बाजार में लगने वाले पशु मेला में बिहार के दूसरे जिले से भी व्यापारी व किसान अपना पशु बेचने और खरीदने आते थे. अब यहां की स्थिति काफी बदल गयी है. पशु मेला लगने वाले 50 एकड़ जमीन में अब चारों तरफ भवन ही भवन दिखाई पड़ते हैं. देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि शायद ही कभी यहां पशुओं का काफी बड़ा मेला लगता होगा.
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अब बारिश होने पर बाजार की गलियों में पानी और कीचड़, बढ़ी लोगों की परेशानी
तिलौथू. : किसी समय में पशु मेले के लिए मशहूर तिलौथू बाजार का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. करीब 50 साल से ऊपर तक तिलौथू बाजार में लगने वाले पशु मेला में बिहार के दूसरे जिले से भी व्यापारी व किसान अपना पशु बेचने और खरीदने आते थे. अब यहां की स्थिति काफी बदल गयी […]
समय बदला तो बाजार की सूरत भी बदलती चली गयी. जगह-जगह पर गली नुक्कड़ों पर दुकान बन जाने के कारण जहां बाजार की खूबसूरती बिगड़ गयी, वहीं रास्ते संकीर्ण हो गये. आवागमन का रास्ता अवरुद्ध हो गया. वहीं, पानी निकासी का रास्ता भी चारों तरफ से बंद हो गया. बाजार की असली सूरत तो बरसात में दिखाई पड़ती है, जब बारिश होने के बाद बाजार की तमाम गलियों में पानी ही पानी और कीचड़ दिखाई पड़ता है.
बाजारों की गलियों से पानी का निकासी ना होने के कारण लोगों को जहां आने जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. वहीं, बाजार नरक में तब्दील हो जाता है. बाजार में सफाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं, बाजार में बढ़ती भीड़ व संकीर्ण रास्ते में दोपहिया वाहनों व साइकिल सवारों के लिए भी चलना मुहाल हो जाता है
60 साल पहले हुई थी बाजार की स्थापना :तिलौथू बाजार की स्थापना तिलौथू हाउस के राज परिवार के बाबू राधा प्रसाद द्वारा की गयी थी. इसके पूर्व तिलौथू गांव के सटे सरैया गांव में जो जमींदारों की बस्ती हुआ करती थी, वह बाजार लगते थे. यहां अब भी बाजार के शेड मौजूद हैं. दो जमींदारों के आपसी वर्चस्व की लड़ाई के बाद आखिरकार बाबू राधा प्रसाद ने तिलौथू को बाजार बनाने में सफल रहे. जबकि, सरैया गांव का बाजार उसके बाद वीरान हो गया. तिलौथू बाजार में करीब एक हजार दुकानें हैं. जबकि, ठेला और खोमचा लगा कर सैकड़ों लोग अपनी जीविका चला रहे हैं
क्या कहते हैं दुकानदार
यहां पगड़ी देकर अपनी दुकान खुद से बनायी जाती है, जिसमें दो हिस्सा दुकानदार का एक हिस्सा मालिक का. लेकिन नये मालिक के आने के अचानक बाद लगभग 300% कराया में वृद्धि कर दी गयी, जो दुकानदारों पर बोझ साबित हो रहा है. हालांकि दुकानदारों ने कहा किराया दोगुना कर दिया जाये, किंतु वार्तालाप के बाद भी कोई हल नहीं निकला. अब दुकानदार से मालिक वार्ता करने को तैयार नहीं हैं. दुकानदार संघ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इस समस्या का समाधान वार्तालाप से किया जा सकता है.
डॉक्टर बैजनाथ सिंह बटोही
मशहूर है तिलौथू बाजार की गुड़ की टीकरी
तिलौथू बाजार में वैसे तो सभी प्रकार की मिठाइयां व खाने के व्यंजन मिल जाते हैं, किंतु यहां की मशहूर मिठाई जो दूसरे जिलों व राज्यों में भी प्रचलित है गुड़ की टिकरी, जो नवंबर माह से लेकर मार्च तक बनती है. इस की सोंधी खुशबू बाजार में फैल जाती है तथा दूर दूर से आये लोग यहां के गुड़ की टिकरी ले जाना नहीं भूलते.
यहां के लाल गुलाल आलू की डिमांड
प्रखंड के देहाती इलाकों में पैदा किया गया लाल गुलाल आलू यहां का काफी मशहूर है. पटना, आरा व अन्य शहरों में लाल गुलाल आलू की काफी डिमांड है. जबकि, इधर दो वर्षों से पहाड़ी क्षेत्रों में पैदा किये जा रहे टमाटर की भी काफी डिमांड बाजार से बढ़ जाती है
तिलौथू बाजार में जहां दुकानें बनती गयी वहीं शौचालय के नाम पर सिर्फ जगदेव चौक के समीप एक शौचालय चालू हालत में है. जबकि, तिलौथू के मुख्य बाजार में शौचालय व पेयजल की व्यवस्था कहीं भी नहीं है. बाजार में आने वालों को जहां पानी होटलों के चापाकलों से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है. वहीं, शौचालय ना होने के कारण बहू बेटियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है.
शाहीन इस्लाम, दवा दुकानदार
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