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ड्रेनेज की खुदाई में मिले पुरातन शहर के अवशेष, लगा रहे कयास
सासाराम कार्यालय : शहर में जल निकासी के लिए चल रहे स्टॉर्म ड्रेनेज निर्माण के कार्य के दौरान बुधवार को दिल्ली सम्राट शेरशाह सूरी के मकबरा के समीप हो रही खुदाई में पुरातन काल के अवशेष मिले हैं. पुरातन अवशेष मिलने से निर्माण कार्य स्थल पर कौतूहल में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. इसे ले […]
सासाराम कार्यालय : शहर में जल निकासी के लिए चल रहे स्टॉर्म ड्रेनेज निर्माण के कार्य के दौरान बुधवार को दिल्ली सम्राट शेरशाह सूरी के मकबरा के समीप हो रही खुदाई में पुरातन काल के अवशेष मिले हैं. पुरातन अवशेष मिलने से निर्माण कार्य स्थल पर कौतूहल में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.
इसे ले अलग-अलग कयास लगने लगे हैं. किसी ने सुरंग कहा, तो किसी ने पुराने जमाने के मकान के अवशेष.
लगभग चार फुट चौड़ा ईंट की दो तरफा दीवारों वाले बनावट में मिले अवशेष पर छिड़ी बहस को लेकर पुलिस को सक्रिय होना पड़ा. पुराने समय से ऐसे मौकों पर संवेदनशील हो जाने वाले इस शहर के मिजाज से यहां का प्रशासन भली-भांति परिचित है. ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मकबरा तालाब के दक्षिण पोश्ते खां की मसजिद के समीप ड्रेनेज का निर्माण हो रहा है. यहां खुदाई के दौरान दो सुरंगनुमा मकानों के अवशेष मिले हैं.
पुरातत्वविद् डॉ श्याम सुंदर तिवारी की माने तो यह शहर अति प्राचीन है. जिस सड़क के किनारे ड्रेनेज का निर्माण कार्य चल रहा है, वह शेरशाह सूरी के काल में पुराना (पहला) जीटी रोड था. जिसके आस-पास मकान होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. यह शोध का विषय है. शोध के बाद ही इसके बारे में कुछ कहा जा सकता है.
ड्रेनेज निर्माण में लगी बुडको नामक कार्य एजेंसी के प्रोजेक्ट निदेशक राकेश कुमार के अनुसार खुदाई में मिले अवशेष को यूं ही छोड़ कर कार्य जारी रखा गया है.
वहीं शेरशाह रौजा के रखरखाव की वर्षों तक जिम्मेदारी निभाएं पुरातत्व विभाग के पूर्व केयरटेकर कुमार नीरज ने बताया कि रौजा के आसपास पूर्व में भी होने वाली खुदाई में ऐसी पुरातन संरचनाएं मिलती रहीं हैं. उनकी जांच से पता चलता था कि कुछ मकान थे. कुछ सैनिकों के रहने के लिए बैरक थे.
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