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राधागोविंद मंदिर के भूमि विवाद मामले का 16 वर्ष बाद हुआ पटाक्षेप

न्यायालय के आदेश से विरोधियों को लगा करारा झटका कोर्ट ने आरडी इंडेन गैस के मालिक व परिवार के अन्य सदस्यों का बहाल किया मालिकाना हक डेहरी कार्यालय : शहर के पाली पुल के पास पुराना एससी-एसटी थाने से लेकर नागा पथ तक सेन परिवार की भूमि पर पिछले 16 वर्षों से चले आ रहे […]

न्यायालय के आदेश से विरोधियों को लगा करारा झटका

कोर्ट ने आरडी इंडेन गैस के मालिक व परिवार के अन्य सदस्यों का बहाल किया मालिकाना हक
डेहरी कार्यालय : शहर के पाली पुल के पास पुराना एससी-एसटी थाने से लेकर नागा पथ तक सेन परिवार की भूमि पर पिछले 16 वर्षों से चले आ रहे विवाद को न्यायालय के आदेश से विराम लग गया है. उक्त भूमि को सेन परिवार द्वारा बिक्री किये जाने के बाद मालिकाना हक आरडी इंडेन गैस एजेंसी के मालिक इंजीनियर अंबिका प्रसाद सिंह व उनके परिवार के सदस्य संजय कुमार सिंह, अजय कुमार सिंह ,अभय कुमार सिंह व रुचि सिंह का हो गया है. 16 वर्षों के बाद आये न्यायालय के आदेश के बाद उक्त भूमि के खरीदारों को काफी राहत मिली है. इस आदेश से उक्त भूमि को विवादित बनाने के लिए आग में घी डालने का काम करने वाले लोगों को जोर का झटका धीरे से लगा है. शहर के एक चर्चित व्यक्ति इस मामले में काफी रुचि ले रहे थे.
इस संबंध में पूछे जाने पर इंजीनियर अंबिका प्रसाद सिंह ने बताया कि कोलकाता के शंभूनाथ सेन ने वर्ष 1915 में उक्त चार बीघा जमीन की खरीदारी की थी. उन्होंने अपने निजी जमीन पर वर्ष 1938 में पारिवारिक कुलदेवता राधा गोविंद जी की मंदिर का निर्माण कराया था. उक्त मंदिर की पूजा पाठ के लिए उन्होंने वर्ष 1938 में ही राधा गोविंद जी नाम से एक रजिस्टर्ड ट्रस्ट बनाया. उनकी मृत्यु 1939 में हो गयी. मृत्यु उपरांत उनके वारिसान वर्ष 1945 में कोलकाता उच्च न्यायालय में एक बार दायर किये, जिसमें न्यायालय ने 1938 के ट्रस्ट की मान्यता को रद्द करते हुए 25500 रुपये मंदिर के पूजा पाठ व राजभोग के लिए जमा करके नया मालिकाना डीड बनाने का आदेश दिया. उन्होंने बताया कि रुपये जमा करने के बाद वर्ष 1949 में बने नये मालिकाना डीड के भूस्वामियों द्वारा वर्ष 2002 व 2007 में मेरे व मेरे परिवार के नाम पर सारी भूमि का रजिस्ट्री कर दी गयी. रजिस्ट्री के बाद से दाखिल खारिज करा कर मैं शांतिपूर्ण ढंग से उक्त भूमि पर काबिज हूं. कुछ लोगों द्वारा उक्त भूमि को विवादित बनाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन न्यायालय के सामने उनकी एक न चली. न्यायालय ने न्याय करते हुए जो आदेश पारित किया उससे सेन परिवार के साथ-साथ मैं और मेरे परिवार के सदस्य काफी खुश है व न्यायालय के शुक्रगुजार हैं.
गौरतलब है कि पाली पुल के पास पुराना एससी-एसटी थाना से लेकर नागा पथ तक फैले उक्त भूमि पर पूर्व में थाना द्वारा पकड़े गये वाहन व अतिक्रमण आज भी कायम है. यही नहीं भूमि पर सीआईडी ऑफिस, गैरेज, वेल्डिंग की दुकान के अलावा कुछ कमरों व जगह पर लोग रहते हैं. सेन परिवार व इंजीनियर अंबिका प्रसाद सिंह द्वारा दायर सिविल वाद को सब जज अभय श्रीवास्तव की अदालत ने मंजूर कर लिया. कोर्ट के ताजा आदेश से वाद दायर करने वालों के बीच काफी खुशी देखने को मिल रही है.

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