चेनारी : रोहतास व कैमूर जिले की महत्वाकांक्षी दुर्गावती जलाशय परियोजना का पांच वर्ष पहले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बड़े ही तामझाम के साथ उद्घाटन तो कर दिया. परंतु, रोहतास जिले के किसानों को उसके हिस्से का एक बूंद पानी भी नहीं मिला. जिले के किसानों की जीवन रेखा समझी जाने वाली महत्वाकांक्षी दुर्गावती जलाशय परियोजना अपने उद्घाटन के दो वर्ष बाद भी उद्देश्यों पर खरा नहीं उतर पा रही है. लगभग 44 वर्षों के इंतजार के बाद अक्तूबर 2014 में मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने इस परियोजना का उद्घाटन किया तो रोहतास व कैमूर जिले के किसानों में खुशी की लहर दौड़ गयी थी. तब किसान यह मान रहे थे
कि पीढ़ियों से अकाल की मार झेलने के बाद अब उनके दिन बदलेंगे. लेकिन, जल्द ही उनका सामना हकीकत से हो गया. हालात ऐसे हैं कि मुख्य कैनाल के दुरुस्त नहीं होने व वितरणियों का निर्माण नहीं होने से खरीफ व रबी की खेती के लिए इस जलाशय से जुड़े रोहतास जिले के 25 फीसदी खेतों को भी पानी नहीं मिल पाया है.
आश्वासनों के भरोसे हो रही खेती :दो वर्ष पहले विधानसभा में चेनारी के विधायक ललन पासवान के एक सवाल के जवाब में जल संसाधन मंत्री ने कहा था कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में दुर्गावती जलाशय योजना की वितरणियों के शेष कार्यों को पूरा करा लिया जायेगा. डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के तहत 32 वितरणियों में से दो का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. शेष 30 का निर्माण नये वित्तीय वर्ष में करा लिया जायेगा. लेकिन अब तक स्थिति जस की तस बनी हुई है. जिससे रबी मौसम में भी परियोजना का लाभ किसानों को नहीं मिल पायेगा.
कब तक मिलेगा पानी, नहीं मिलता जवाब
आखिर रोहतास जिले में खेतों को कब तक निर्बाध पानी मिल पायेगा. इसका माकूल जवाब न तो जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के पास है और न ही जन प्रतिनिधियों के पास. दुर्गावती बांध का जलग्रहण क्षेत्र 627 वर्ग किलोमीटर है, जिसका जल संग्रहण क्षमता 33700 क्यूसेक है. जिसकी पटवन क्षमता 39620 हेक्टेयर है. इस जलाशय से जिले के चेनारी, शिवसागर व सासाराम के दक्षिणी भाग के किसान लाभान्वित होंगे. लेकिन परियोजना से जुड़ी वितरणियों का काम पूरा नहीं होने से इस है जिसके कारण लाभ नहीं मिल रहा है.
बर्बाद हो रहा पानी
वितरणियों के अभाव में परियोजना का काफी पानी यूं ही बर्बाद हो जा रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को तब होती है, जब अकाल का साया मंडराने लगता है. मुख्य नहर के पास के गांववाले किसान नहर में अवरोधक लगा कर पानी रोक देते हैं. फिर एक खेत से दूसरे खेत के रास्ते खेत का पटवन करते हैं, जिससे काफी पानी बर्बाद हो जाता है. जबकि, उससे आगे के गांव के किसान फसल को सूखते देख जब अवरोधक को हटाने का प्रयास करते हैं, तो स्थिति मारपीट तक पहुंच जाती है.
पिछले दिनों इस तरह की कई घटनाओं को पुलिस-प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद शांत कराया जा सका था. बहरहाल किसान वितरणियों के इंतजार में खेत में लगी फसलों को मुरझाते देखने को विवश हैं. चेनारी के बैरियां, ममरेजपुर, तेतरी, डोइयां, चैनपुरा आदि गांवों के किसानों की माने, तो हाल के दिनों में बारिश कम होने से किसान महंगे दाम पर डीजल खरीद कर धान की फसल का पटवन कर रहे हैं.
इसके अलावा शिवसागर व सासाराम प्रखंड के जुड़े दर्जनों गांवों में पानी शुरू से ही पहुंच नहीं पा रहा है.