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उद्योग परिसर में छायी रहती है वीरानगी

रेलवे ने अब तक नहीं हटाया फैक्टरी का कबाड़ डेहरी : कभी एशिया महादेश में एक ही फैक्टरी कैम्पस के अंदर विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट तैयार करने वाली सबसे बड़ी फैक्ट्री माने जाने वाला डालमियानगर स्थित रोहतास उद्योग समूह के उजड़े चमन में आखिर कब फूल खिलेगा, यह लोगों के जेहन में कौंध रहा है.करीब […]

रेलवे ने अब तक नहीं हटाया फैक्टरी का कबाड़

डेहरी : कभी एशिया महादेश में एक ही फैक्टरी कैम्पस के अंदर विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट तैयार करने वाली सबसे बड़ी फैक्ट्री माने जाने वाला डालमियानगर स्थित रोहतास उद्योग समूह के उजड़े चमन में आखिर कब फूल खिलेगा, यह लोगों के जेहन में कौंध रहा है.करीब 419 एकड़ में फैली इंडस्ट्रियल एरिया के 24 अक्टूबर 1995 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गये आदेश के बाद समापन में चले जाने पर रोहतास उद्योग समूह परिसर में वीरानगी छाने के करीब 10 वर्षों बाद छह जनवरी 2007 में जब रेलवे द्वारा 219 एकड़ में फैली इंडस्ट्रियल कैंपस की खरीद किये जाने के बाद लोगों को ऐसा लगने लगा था कि एक बार फिर उद्योग समूह परिसर में हरियाली लौट आयेगी.
लेकिन अब तक ऐसा होता कुछ नहीं दिख रहा है. रेलवे द्वारा फैक्टरी कैंपस को खरीदे जाने के बाद डालमियानगर खेल मैदान में एक भव्य समारोह आयोजित कर फैक्टरी परिसर में रेलवे द्वारा कारखाना खोलने की घोषणा तत्कालीन यूपीए की चेयर पर्सन सोनिया गांधी, तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद, केंद्रीय मंत्री मीरा कुमार, सांसद डॉ कांति सिंह, निखिल कुमार आदि की उपस्थिति में की गयी थी. उस समय पूरे इलाके के लोगों के बीच खुशी का ठिकाना नहीं रहा था कि अब बहुत जल्द एक बार फिर रोहतास उद्योग समूह परिषद में छायी मायूसी समाप्त हो जायेगी. समय-समय पर फैक्टरी खोलने की सुगबुगाहट सरकारी स्तर पर होती दिखी लेकिन अंततः आज तक लोगों को निराशा ही हाथ लगी है. कुछ माह पहले यह खबर आयी थी कि मई माह में रेलवे द्वारा फैक्टरी का शिलान्यास किया जायेगा. लेकिन, आधा मई बीतने के बाद भी अब तक रेलवे द्वारा खरीदे गए फैक्टरी परिसर से कबाड़ नहीं हटाया जा सका है.
फैक्टरी का रहा है गौरवशाली इतिहास
रोहतास उद्योग समूह द्वारा आजादी से पूर्व वर्ष 1921में डालमियानगर में करीब 11 एकड़ भूमि पर शुरू की गयी ई शुगर फैक्ट्री एक ही परिसर में सर्वाधिक वस्तुओं का उत्पादन करने वाला एशिया महादेश का सबसे बड़ा फैक्टरी बन गया था. इस गौरवशाली इतिहास को ग्रहण तब लगा जब वर्ष 1984 में फैक्टरी बंद हो गयी. लोगों का कहना है कि फैक्टरी के बंद होने से पूर्व डालमियानगर में रात और दिन में कोई फर्क लोगों को महसूस नहीं होता था. चकाचक साफ-सुथरी कॉलोनी व आर्थिक रूप से सुदृढ़ कर्मचारी व उनके परिवार काफी सुख समृद्धि में जीवन व्यतीत करते थे.
फैक्टरी बंद होने के बाद कई परिवारों ने किया पलायन
फैक्टरी के बंद हो जाने के बाद कुछ कर्मचारी अपने परिवार के साथ यहां से पलायन कर गये व बचे हुए कर्मचारियों के परिवार के सामने काफी दयनीय स्थिति उत्पन्न हो गयी. सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन पर अक्टूबर 1989 में रिहेबिलिटेशन के लिए बिहार सरकार द्वारा 30 करोड़ रुपये मुहैया कराये गये. जिससे सीमेंट, स्टील, एस्बेस्टस, वनस्पति व वर्कशॉप यूनिट को स्टार्ट करने का प्रयास शुरू हुआ. उस समय रिहेबिलिटेशन कमिश्नर के रूप में आईएएस संजय श्रीवास्तव को जिम्मेवारी सौंपी गयी. वर्ष 91 के मध्य उक्त सारे यूनिट स्टार्ट हो गये, परंतु दो वर्ष से कुछ अधिक का समय बीतते-बीतते फंड की कमी के कारण पुनः उद्योग समूह की व्यवस्था लड़खड़ाने लगी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुनः बिहार सरकार द्वारा करीब 10 करोड़ रुपये फैक्टरी को चलाने के लिए मुहैया कराया गया. फैक्टरी की जिम्मेदारी एके चौहान को सौंपी गयी. कुछ दिनों तक फैक्टरी की व्यवस्था को दुरुस्त करने का प्रयास करते हुए श्री चौहान द्वारा यह लिखित में दे दिया गया कि वर्तमान परिस्थिति में फैक्टरी को फायदे वाली फैक्टरी के रूप में लाना संभव नहीं है. तत्पश्चात हैदराबाद की सोनी एंड कंपनी को यह जिम्मेवारी सौंपी गयी कि फैक्टरी का मुआयना कर अपना रिपोर्ट दे. कंपनी द्वारा सर्वे के उपरांत यह बताया गया कि करीब 250 करोड़ रुपया खर्च कर नयी टेक्नोलॉजी की मशीन लगा कर फैक्टरी को मुनाफे में लाया जा सकता है. इस पर सरकार ने कोई कारगर कदम उठाने से असमर्थता जता दी.
निकाला गया था ग्लोबल टेंडर
न्यायालय की पहल पर वर्ष 94 में फैक्टरी को चलाने के लिए एक ग्लोबल टेंडर आयोजित किया गया, जिसमें दो कंपनियां एलेन डालमिया व स्पीड क्राफ्ट ने हिस्सा लिया. उक्त दोनों कंपनियों के ऑफर से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ. उस दौरान सीनियर आईएएस बेक जूलियस को कमिश्नर बनाया गया व न्यायालय के 24 अक्टूबर 1995 के आदेश के द्वारा फैक्टरी बंद हो गया. 291 एकड़ में फैक्टरी परिसर व करीब 200 एकड़ में फैक्टरी की कॉलोनी बसी है जो आज वीरान है.

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