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कैसे हो मदद : साहब आवाज सुनते ही काट देते हैं फाेन

बिक्रमगंज : अनुमंडल क्षेत्र के सूर्यपुरा प्रखंड मुख्यालय के पास बारून गांव की रहनेवाली 18 वर्षीय पूनम कुमारी दो वर्ष पूर्व एक हादसे में अपना दोनों पैर गंवा चुकी है. गरीबी के बीच बिना पैर के उसे अपनी जिंदगी बोझिल हो गयी है. घटना के बाद से अब तक उसे किसी के द्वारा कोई सहायता […]

बिक्रमगंज : अनुमंडल क्षेत्र के सूर्यपुरा प्रखंड मुख्यालय के पास बारून गांव की रहनेवाली 18 वर्षीय पूनम कुमारी दो वर्ष पूर्व एक हादसे में अपना दोनों पैर गंवा चुकी है. गरीबी के बीच बिना पैर के उसे अपनी जिंदगी बोझिल हो गयी है. घटना के बाद से अब तक उसे किसी के द्वारा कोई सहायता नसीब नहीं हो सकी है. सूबे के मंत्री जो स्थानीय विधायक भी हैं़

सबों ने दो वर्षों से केवल आश्वासन ही देते आ रहे हैं. पूनम अब चारों ओर से निराश हो अपने आपको कोसती रहती है. गौरतलब हो कि 5 मार्च, 2016 को विजय शंकर की पुत्री पूनम कुमारी अपने गांव में मधुरा सिंह के घर शादी देखने गयी थी. द्वारपूजा के समय घर का छज्जा गिर पड़ा, जिसमें दो लोगों की मौत हो गयी तथा 40 लोग जख्मी हो गये थे. उसी घटना में पूनम के दोनों पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया. इलाज के दौरान दोनों पैर काटना पड़ा.

घटना की सूचना पाकर जिले के सभी वरीय अधिकारी, सूबे के मंत्री सह स्थानीय विधायक जयकुमार सिंह पहुंचे. मृतक के परिजनों को तत्काल मुआवजा दिया गया लेकिन जख्मी लोगों की कोई खबर नहीं ली गयी. उसी जख्मी में पूनम भी शामिल थी. चिकित्सक के द्वारा दोनों पैर काट दिया गया. इसकी जानकारी भी सभी को पूनम के परिजनों के द्वारा दिया गया. उसके बाद भी उसे किसी प्रकार की सहायता किसी ने नहीं की. पूनम बताती हैं कि घटना के बाद मंत्री जयकुमार सिंह ने घर आकर आश्वासन दिया कि तुझे सरकार से मुआवजा दिलाऊंगा तथा स्वस्थ हो जाने के बाद तुम्हारे लिये नौकरी की व्यवस्था कर दूंगा. दो वर्ष बीत गये. नौकरी को कौन कहे एक पैसा मुआवजा भी नसीब नहीं हुआ. बताती है कि डीएम, एसडीओ, बीडीओ सहित सभी अधिकारियों से गुहार लगा चुकी हूं. किसी ने एक न सुनी सभी केवल आश्वासन ही देते रहे. अपनी आप बताते हुए उसके गला भर आता है. रूहांसे आवाज में कहती है कि अब मंत्री और अधिकारी मेरा नाम सुनते ही फोन काट देते हैं. अब मेरा कोई सहारा नहीं है.

पूनम के पिता विजय शंकर कहते हैं कि मेरे पास थोड़ी सी जमीन है, जिसमें खेती करता हूं. उससे सालभर भोजन के लिए अनाज भी नहीं होता है. बेटी के इलाज के उसी में से कुछ जमीन बेचनी पड़ गयी. अब हमलोगों का भगवान ही सहारा है. जदयू के जिला महासचिव सत्येंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि पूनम को आर्थिक सहायता के लिए प्रयास किया जा रहा है. मंत्री जयकुमार से भी मिलकर बात की जायेगी. आवश्यकता पड़ी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुहार लगायी जायेगी.
हादसे में दोनों पैर गंवा चुकी पूनम को नहीं मिल रहा सहारा
दो वर्ष बाद भी सरकार और जनप्रतिनिधियों से नहीं मिला मुआवजा
सूबे के मंत्री के आश्वासन पर काट रही है किसी तरह जिंदगी

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