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डेहरी हाइडल में बिजली का उत्पादन हो गया ठप

तकनीकी खराबी. देख-रेख का अभाव बना कारण दो रुपये 49 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिहार सरकार को मिलती है बिजली सस्ती बिजली पैदा करनेवाली सरकार की महत्वपूर्ण परियोजना डेहरी कार्यालय : चार टरबाईनों से 6.60 मेगावाट बिजली उत्पादन करनेवाले डेहरी हाइडल से बिजली का उत्पादन ठप हो गया है. उत्पादन ठप होने का […]

तकनीकी खराबी. देख-रेख का अभाव बना कारण

दो रुपये 49 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिहार सरकार को मिलती है बिजली
सस्ती बिजली पैदा करनेवाली सरकार की महत्वपूर्ण परियोजना
डेहरी कार्यालय : चार टरबाईनों से 6.60 मेगावाट बिजली उत्पादन करनेवाले डेहरी हाइडल से बिजली का उत्पादन ठप हो गया है. उत्पादन ठप होने का कारण तकनीकी खराबी व देख-रेख का अभाव बताया जाता है. अपने निर्माण कार्य के समय से ही देख-देख की जिम्मेवारी ठेका के रूप में दिये जाने से कभी भी उक्त हाइडल की स्थिति ठीक नहीं रही बतायी जा रही है. जानकार बताते हैं कि ठेका प्रवृत्ति से अलग हट कर अगर विभाग के स्तर से समुचित व्यवस्था की जाये तो हाइडल का उत्पादन कभी भी प्रभावित नहीं होगा.
यह भी बताया जाता है कि पुन: अधिक पैसा देकर हाइडल को निजी हाथों में सौंपने के एक सोची समझी साजिश के तहत भी मजदूरों की समस्या बता कर साफ-सफाई की अनदेखी की जा रही है. सच्चाई चाहे जो हो यह विभाग के लिए जांच का विषय है, लेकिन इतना तो सत्य है कि बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में जुटी बिहार सरकार के पास एक महत्वपूर्ण परियोजना जो सबसे सस्ती बिजली पैदा करती है. मामूली समस्या से उत्पादन का ठप होने को अधिकारी कितनी गंभीरता से लेते है. यह आनेवाला समय बतायेगा.
चार टरबाइन से 6.60 मेगावाट बिजली का होता है उत्पादन
बिजली उत्पादन की क्षमता
विभागीय अधिकारी बताते हैं कि उक्त केंद्र में प्रत्येक टरबाइन से 1.65 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता हैं. चार यूनिट में 6.60 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. यहां से उत्पादित बिजली को बिहार सरकार के बिजली विभाग को दो रुपये 49 पैसे प्रति यूनिट की दर से उपलब्ध कराया जाता है. इतने सस्ते दर से सरकार को बिजली उपलब्ध कराने वाले केंद्र का मामूली समस्या के कारण बंद हो जाना न तो केंद्र व न ही सरकार के सेहत के लिए अच्छा है. केंद्र के बंद होने के लिए जिम्मेवार लोगों व षडयंत्र अगर हो तो उसकी जांच कर कार्रवाई की जानी चाहिए.
प्रोजेक्ट इंचार्ज सुरेंद्र कुमार कहते है कि हाइडल को सुचारु रूप से चलाने का प्रयास जारी है. खरपतवार की सफाई व टरबाइनों में आयी खराबी को दूर करा कर यथाशीघ्र बिजली उत्पादन को शुरू कराया जायेगा.
हाइडल के टरबाइनों की स्थिति
एनएच टू सी पर तारबंगला मोड़ के समीप स्थित पनबिजली उत्पादन केंद्र में चार टरबाइनों से 6.60 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने की क्षमता है. यहां टरबाइन संख्या एक वाकरसील इंटेकगेट की समस्या से बंद है. टरबाइन संख्या दो व चार में बेरिंग की समस्या से उत्पादन ठप बताया जाता है. एक मात्र टरबाइन संख्या तीन से ही रही बिजली का उत्पादन हो रहा था, जो मुंह पर खरपतवार के फंस जाने के कारण बंद किया जाना विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर उंगली उठाता है. मजदूरों से खरपतवार की सफाई नहीं करा पाने की जिम्मेवारी आखिर किस पर निर्धारित की जाये. यह वरीय अधिकारियों को सोचना होगा.
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