खुलासा. मोटी है काली कमाई, गोदाम से जुड़े हैं लिंक
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चावल के काले कारोबार में कई और हैं निरंजन
खुलासा. मोटी है काली कमाई, गोदाम से जुड़े हैं लिंक शनिवार को पकड़े गये सरकारी चावल में निरंजन का नाम वाहन चालक के बयान पर बतौर सप्लायर प्राथमिकी में दर्ज की गयी है. गोदाम मालिक दिनेश जायसवाल के साथ ड्राइवर व एक और शख्स को अभियुक्त बनाया. पूर्णिया : गरीबों के निवाला सफेद सरकारी चावल […]
शनिवार को पकड़े गये सरकारी चावल में निरंजन का नाम वाहन चालक के बयान पर बतौर सप्लायर प्राथमिकी में दर्ज की गयी है. गोदाम मालिक दिनेश जायसवाल के साथ ड्राइवर व एक और शख्स को अभियुक्त बनाया.
पूर्णिया : गरीबों के निवाला सफेद सरकारी चावल के बेहद काले कारोबार में ऐसे कई निरंजन जुड़े हैं, जो इस खेल को अंजाम दे रहे हैं. फिलहाल बीते शनिवार को पकड़े गये सरकारी चावल में निरंजन का नाम वाहन चालक के बयान पर बतौर सप्लायर प्राथमिकी में दर्ज हो गया है.
गोदाम मालिक दिनेश जायसवाल के साथ ड्राइवर और एक और शख्स अभियुक्त बना है. लेकिन सफेद चावल के इस काले कारोबार में अभी कई निरंजन और कई दिनेश और हैं, जो बेफिक्र अपने काम को अंजाम दे रहे हैं. दरअसल सरकारी अनाज के इस काले कारोबार की कमाई जितनी मोटी है, उतने कारोबारी और गोदाम बेलौरी से लेकर चंदन नगर, गुंडा चौक, बागेश्वरी रोड, जीरो माइल और सीसोबाड़ी दमका में है. यह दीगर बात है कि कभी-कभार बड़ी कार्रवाई में बरामदगी और गिरफ्तारी हो जाती है. लेकिन जिस पैमाने पर इस काम से कारोबारी जुड़े हैं, उसका जाल किसी भंवर जाल से कम नहीं है. इनके तार भी काफी ऊपर तक जुड़े हुए हैं.
इस खेल में 400 रुपये प्रति क्विंटल है मुनाफा : जानकारी के मुताबिक इस खेल का तार व्यावसायिक मंडी गुलाबबाग स्थित बीएसएफसी के गोदाम तक है. जानकार बताते हैं कि गरीबों का अनाज जैसे ही यहां के गोदाम से बाहर निकल कर वाहनों पर चढ़ता है, अनाज बिक जाता है और खरीदार इस गाड़ी का रूट तय करता है.
दरअसल गोदाम के पास निरंजन जैसे कई और निरंजन मौजूद रहते हैं, जो अनाज उठाव करने वालों के संपर्क में रहते हैं. इसके बाद यहां से खरीदार बाजार में खड़े अनाज के लोडरों से संपर्क कर मोल भाव के बाद इनके गोदामों तक चावल भेजते हैं. जानकार बताते हैं कि इस खेल में तकरीबन 400 रुपये प्रति क्विंटल का मुनाफा इस काले कारोबार में लगे लोग कमाते हैं.
लोडरों को है 200 रुपये से ज्यादा की कमाई
सूत्रों की मानें तो निरंजन जैसे लोग अपनी कमाई का आधा हिस्सा अपनी सुरक्षा और अपने स्टाफ में खर्च करते हैं, ताकि इस काम में कोई अड़ंगा नहीं लगे. वहीं अनाज की गाड़ी जिस गोदाम तक जाती है, वहां तक उसका आदमी जाता है. जहां बोरा बदलने के बाद गोदाम के मालिक अथवा लोडर द्वारा उस चावल को असम और भूटान भेज दिया जाता है जिससे उन्हें तकरीबन 200 रुपये प्रति क्विंटल की कमाई होती है. इतना ही नहीं सूत्रों की मानें तो वहीं चावल पैकेजिंग कर वापस पैक्सों के माध्यम से बीएसएफसी तक भी पहुंचाया जाता है.
करीब दो दर्जन हैं गोदाम व कारोबारी
सफेद अनाज के काले कारोबार से जुड़े तकरीबन दो दर्जन गोदाम व कारोबारी बेलौरी से लेकर चंदन नगर, गुंडा चौक, जीरो माइल, बागेश्वरी रोड व हांसदा रोड में है. ऐसे लोगों को निरंजन जैसे लोग सरकारी अनाज सप्लाई करते हैं. इस काले कारोबार में वर्ष 2015-16 में महेंद्र जायसवाल, कैलाश साह, दिनेश जायसवाल जैसे कारोबारी तो कार्रवाई के बाद सामने आये, लेकिन कई ऐसे चेहरे भी हैं, जो इनसे बड़े पैमाने पर चावल के गोरखधंधे में लगे हैं और इनके गोदामों में सरकारी चावल का कारोबार जारी है. हालांकि इस खेल का सबसे अधिक गुंडा चौक के आसपास और बागेश्वरी रोड के इलाके में जारी है.
शातिराना अंदाज में होता है कारोबार
सूत्र बताते हैं कि सरकारी चावल के कालाबाजारी के खेल में कई कड़ियां आपस में जुड़ी है. पहला यह कि बड़े खिलाड़ी डीलरों का अनाज खरीदने के बाद उनके नाम से ड्राफ्ट जमा करते हैं और फिर चालान कटने के बाद वे खुद डीलर के साथ गोदाम तक मौजूद रहते हैं. इस काम में वाहन भी पेशेवर चालकों द्वारा जो पहले से इस खेल में शामिल है, उनका होता है. वैसे लोग बखूबी खरीदारों के गोदाम, उनके नाम व मोबाइल नंबर की जानकारी रखते हैं. सरकारी गोदाम से अनाज निकलने से पहले खरीदार के गोदाम पर मजदूर मुस्तैद रहते हैं. खरीदार भी अपने स्तर से स्थानीय तौर पर सब कुछ मैनेज कर ही गाड़ी गोदाम तक मंगाते हैं.
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