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डॉक्टरों की कमी के कारण लौट रहे मरीज

परेशानी . सदर अस्पताल के ओपीडी में हर दिन औसतन 1200 मरीज पहुंचते हैं इलाज कराने सदर अस्पताल के ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यहां रोजाना औसतन 1200 मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण इनके इलाज के नाम पर खानापूरी की जाती है. ऐसी […]

परेशानी . सदर अस्पताल के ओपीडी में हर दिन औसतन 1200 मरीज पहुंचते हैं इलाज कराने

सदर अस्पताल के ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यहां रोजाना औसतन 1200 मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण इनके इलाज के नाम पर खानापूरी की जाती है. ऐसी भी स्थिति होती है कि कई मरीजों को दिनभर भटकने के बाद बिना इलाज कराये वापस लौटना पड़ता है.
पूर्णिया : कई माह से लगातार ओपीडी मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है, लेकिन मरीजों के अनुपात में डॉक्टरों की संख्या बहुत ही कम है. यहां सृजित पद 59 की तुलना में महज 30 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं. सदर अस्पताल के ओपीडी में रोजाना औसतन 1200 के आस पास मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में ओपीडी ड्यूटी कर रहे डॉक्टरों का हाल बेहाल हो जाता है. वहीं दूसरी ओर इलाज की आस में दूर दराज इलाके से आये सैकड़ों मरीजों को कतार में दिन भर धक्के खाने के बाद भी बिना इलाज कराये बैरंग वापस लौटना पड़ता है.
पांच डॉक्टर लंबे समय से हैं अनुपस्थित
सदर अस्पताल में पदस्थापित 30 डॉक्टरों में से पांच डॉक्टर लंबे समय से छुट्टी पर हैं. इनमें चार मेडिसिन विभाग व एक इनटी विभाग के डॉक्टर हैं. समस्या यह है कि छुट्टी में गये इन डॉक्टरों की जगह दूसरे चिकित्सक को भी नहीं रखा जा सकता है.
ऐसे में महज 25 डाक्टरों के कंधे पर सदर अस्पताल आने वाले हजारों मरीजों को स्वस्थ करने की जिम्मेवारी है. सबसे बुरा हाल बाल रोग विभाग का है. यहां महज एक ही डॉक्टर तैनात है. एक बाल रोग विशेषज्ञ के भरोसे ओपीडी, वार्ड राउंड, एसएनसीयू वार्ड तक संचालित हो रहा है.
इलाज के स्थान पर खानापूर्ति की विवशता
सृजित पद की तुलना में आधे से कम डॉक्टर होने का दंश झेल रहा सदर अस्पताल एक साथ कई पीड़ा से जूझ रहा है. डॉक्टरों में प्राय: भागमभाग की स्थिति बनी रहती है. इस स्थिति में मरीजों का इलाज मात्र खानापूर्ति बन कर रह गयी है. चार घंटे के अंतराल में हर एक डॉक्टर के लिए सवा सौ से भी अधिक मरीजों को देखने की बाध्यता है. ऐसे में डॉक्टर इलाज के नाम पर खानापूर्ति के अलावा और क्या कर सकते हैं. अस्पताल के पदाधिकारियों का मानना है कि इतने कम संसाधन में जो भी सुविधा यहां उपलब्ध करायी जा रही है, वह अन्य जिला अस्पतालों की तुलना में बेहतर है.
मरीजों को करनी पड़ती है जद्दोजहद
सदर अस्पताल के ओपीडी में रोजाना 12 सौ के आसपास मरीज पहुंचते हैं. विभिन्न विभागों के 12 सौ मरीजों को काउंसेलिंग करने का जिम्मा महज आठ डॉक्टरों पर होता है. सर्वाधिक भीड़ मेडिसिन विभाग व स्त्री व प्रसूति रोग विभाग में देखने को मिलती है. इन दोनों विभागों से परामर्श के लिए सुबह के सात बजे से ही कतार लगना आरंभ हो जाता है. इस कतार में सबसे पहले निबंधन के लिए जद्दोजेहद करना पड़ता है. उसके बाद काउंसेलिंग, फिर जांच और अंतिम पायदान पर दवा लेना होता है. इन प्रक्रियाओं से गुजरने में मरीजों को पूरे दिन लग जाता है. कई मरीजों को तो दूसरे दिन का भी चक्कर लग जाता है. सदर अस्पताल के ओपीडी में मरीजों का इलाज करा पाना आसान नहीं है.
सदर अस्पताल में डॉक्टरों की स्थिति
मेडिसिन 11
सर्जरी 04
हड्डी 04
आंख 02
इएनटी 03
स्त्री 03
बच्चा 01
मुर्च्छक 02
कुल 30
ओपीडी में रोज डॉक्टरों की स्थिति
मेडिसिन विभाग 02
सर्जरी विभाग 01
हड्डी विभाग 01
इएनटी 01
नेत्र रोग 01
शिशु रोग 01
स्त्री रोग 01
टीबी विभाग 01
चर्म रोग 01
कुल 10

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