पूर्णिया : घोषणा के लगभग दो वर्ष बीतने को हैं, लेकिन कसबा प्रखंड में राशन-केरोसिन में डीबीटी योजना मूर्त रूप ग्रहण नहीं कर पा रही है. लिहाजा प्रखंड क्षेत्र के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के लगभग 35 हजार उपभोक्ता के समक्ष ऊहापोह की स्थिति बरकार है. इसलिए यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कसबा […]
पूर्णिया : घोषणा के लगभग दो वर्ष बीतने को हैं, लेकिन कसबा प्रखंड में राशन-केरोसिन में डीबीटी योजना मूर्त रूप ग्रहण नहीं कर पा रही है. लिहाजा प्रखंड क्षेत्र के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के लगभग 35 हजार उपभोक्ता के समक्ष ऊहापोह की स्थिति बरकार है. इसलिए यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कसबा प्रखंड में राशन-केरोसिन में डीबीटी योजना की राह आसान नहीं दिख रही है.
सर्वे में फर्जी राशन कार्ड मिलने की बात भी चर्चा में है. जिसमें कसबा प्रखंड में साढ़े छह हजार फर्जी राशन कार्ड मिलने का खुलासा हुआ था. असली एवं नकली लाभुकों की पहचान किये बिना डीबीटी लागू करना मुश्किल साबित हो रहा है. गौरतलब है कि पीडीएस के क्षेत्र में डीबीटी योजना के बाबत कसबा का चयन देश के पहले प्रखंड के रूप में किया गया है.
पिछले वर्ष नवंबर माह में लिया गया था दस्तावेज. डीबीटी योजना में शामिल करने के लिए पीडीएस दुकानदारों द्वारा पिछले वर्ष नवंबर माह में ही उपभोक्ताओं से राशन कार्ड, आधार कार्ड सहित तमाम दस्तावेज लिए गये थे. अप्रैल माह के पहले सप्ताह से ही पीडीएस दुकानदारों द्वारा यह कह कर एक बार फिर दस्तावेज लेना शुरू कर दिया कि पूर्व में लिए गये दस्तावेज गुम हो गये हैं. अब एक बार फिर दूसरा दस्तावेज लिया जा रहा है. कई पीडीएस दुकानदारों द्वारा हाल के दिनों में बैंक के फार्म पर उपभोक्ताओं के आधार नंबर लिए गये हैं. कसबा में डीबीटी कब से लागू होगी ,इसके विषय में विभाग को भी सटीक जानकारी नहीं है. लिहाजा यहां के लगभग 35हजार उपभोक्ता असमंजस की स्थिति में है.
डीबीटी में देर होने के अहम कारण. कसबा प्रखंड के तमाम पंचायत में सर्वे के माध्यम से राशन-केरोसिन के लाभुकों को चिह्नित कर आधार से जोड़कर बैंक खाते से जोड़ देना था. इस क्रम में नगर पंचायत समेत ग्राम पंचायतों में भी तमाम डीलरों के अधीन लगभग साढे छह हजार से अधिक फर्जी राशन कार्ड की पुष्टि होने के साथ ही विभाग में खलबली मच गयी. अब विभाग नये सिरे से लाभुकों को चिह्नित कर रहा है. विभाग जैसे-जैसे इसकी गहराई में जा रहा है, फर्जी लाभुकों की सूची लंबी होती जा रही है.असली एवं नकली उपभोक्ताओं की पहचान में विलंब के कारण इस महत्वपूर्ण योजना में देरी हो रही है.अब विभाग जल्दी बाजी में इन कमियों को दूर कर जल्दी ही डीबीटी योजना को धरातल में उतारने के प्रयास में जुटी है. लेकिन लोग अब नाउम्मीद होने लगे हैं.